दोस्तों एक बार फिर से स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट The Comprehensive Minds में। दोस्तों एक तरफ जहाँ हम राम जन्मभूमि में मंदिर बनने की खुशियां मना रहे हैं तो वहीँ पाकिस्तान के ऊपर अटैक हो रहे हैं, बम धमाके हो रहे हैं।
शायद किसी ने सोचा होगा कि ईरान और पाकिस्तान के बीच की यह जंग इस मोड़ पर पहुँच जाएगी जहां दोनों देश एक दूसरे के जानी दुश्मन बन जायेंगे और एक दूसरे पर अटैक करने लगेंगे। अचानक से हो रहे इन अटैक्स का कारण कोई नहीं समझ पा रहा है।
पूरी दुनिया हैरान है कि आखिर ये हो क्या रहा है और क्यों पाकिस्तान में इस तरह का आतंक मच रहा है। आज के इस लेख में मैं आपको पूरा मामला विस्तार से बताने वाला हूँ।
सबसे पहले सवाल खड़ा होता है कि ईरान ने पाकिस्तान पर अटैक क्यों किया?
आज इरान सुर्खियों में है क्योंकि उसने हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान पर अटैक किया है। मिसाइल और ड्रोन से पाकिस्तान टेरिटरी पर बलूची मिलिटेंट ग्रुप के जैश अल अदल के दो बेस ढेर किए गए।
ईरान का कहना है कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान वाले इलाके में इस आतंकी ग्रुप के कुछ लोग छुपे हुए थे जिन्होंने पिछले महीने यानी दिसंबर 2023 में इरान पर अटैक किया जिसमें 11 पुलिस ऑफिसर्स की जान चली गई।
ये अटैक पाकिस्तान के बॉर्डर के करीब हुआ था। इस अटैक की जिम्मेदारी जैश अल अदल ने ली थी। और यह कोई एकलौता हादसा नहीं है। पिछले साल जुलाई के महीने में पाकिस्तान और ईरान के बॉर्डर पर कई पुलिस ऑफिसर्स को इसी ग्रुप ने मारा था।
जैश अल अदल कौन है?
असल में ये एक सुन्नी मिलिटेंट ग्रुप है जो 2012 में बना था। आज ये ग्रुप पाकिस्तान से ऑपरेट करता है। इस ग्रुप के बनने के लिए ईरान पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराता है और पाकिस्तान ईरान को जिम्मेदार ठहराता है। दोनों देश कहते हैं कि वो एक दूसरे के देश में आतंकवादी गतिविधियां करवाते हैं।
ईरान का कहना है कि पाकिस्तान की तरफ से उन पर टैरेरिस्ट अटैक होते हैं। इससे पहले भी ईरान ने टेररिस्ट ग्रुप के खिलाफ ऐसे एक्शन लिए हैं लेकिन इस लेवल का एक्शन पहली बार ईरान ने लिया।
और सबसे खतरनाक बात यह है कि ईरान के मिलिट्री एक्शन ईरान के साउथ ईस्ट में पाकिस्तान के बॉर्डर के पास शुरू हो चुके हैं। ठीक वैसे ही जैसे रूस ने यूक्रेन के ऊपर अटैक करने से पहले उनके बॉर्डर पर किए थे।
अब इस तरह के अटैक के बाद पाकिस्तान की इस पर क्या प्रक्रिया है,चलिए समझते हैं। दोस्तों, अटैक के समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री वर्ल्ड इकॉनोमिक फॉर्म के लिए निकले थे लेकिन अटैक के बाद वह सीधा पाकिस्तान लौट आए।
दोस्तों यह तो आप जानते हैं कि पाकिस्तान केवल नाम की डेमोक्रेसी है। वहां किसी भी प्रधानमंत्री ने आज तक पूरे पांच साल का कार्यकाल नहीं किया है। पाकिस्तान को चलाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान के मिलिट्री की होती है।
ऐसे सिचुएशन में अगर ईरान पाकिस्तान पर अटैक करता है तो पाकिस्तान चुप कैसे बैठेगा? पाकिस्तान का कहना है कि ईरान ने टेररिस्ट पर ही नहीं बल्कि उनके नागरिकों पर भी अटैक किया है जोकि सही नहीं है और बदले के तौर पर पाकिस्तान ने ईरान के टेररिस्ट आउटफिट्स पर अटैक किया।
दोस्तों अब पाकिस्तान क्या करना चाहता है यह तो किसी को नहीं मालूम लेकिन सबसे पहले हैरान करने वाली बात यह है कि दोनों देशों के लीडर्स अभी हाल ही में मिले थे।
अगर इनके बीच इतना ही विवाद था तो ये लोग मिलकर सॉल्व कर सकते थे। लेकिन पाकिस्तान इस तरह दिखाना चाहता है कि उन पर भी दूसरे देश से अटैक होते हैं। इसलिए उन्होंने एक नया टेरर ग्रुप भी बनाया और सिस्तान और बलूचिस्तान में अटैक भी किया।
यह अटैक ईरान के लिए काफी डेडली मैसेज है क्योंकि 1988 में ईरान इराक के बीच की जो जंग थी वो आठ सालों तक चली थी। इस जंग में लगभग 5 लाख लोगों की जान गई थी। इसके बाद इतने सालों के लिए ईरान पर कोई अटैक नहीं हुआ था।
लेकिन अब यह सिलसिला टूटा और वह भी ईरान के पहले अटैक करने की वजह से। पाकिस्तान का कहना है कि ईरान में कई सारे ऐसे टेरर ग्रुप्स हैं जो छुप छुपकर पाकिस्तान पर अटैक करते हैं।
यानी कि पाकिस्तान खुले तौर पर ईरान को अपना दुश्मन कह रहा है और इस अटैक को हल्के में बिल्कुल नहीं ले रहा। जहां ईरान और पाकिस्तान का बॉर्डर बलूचिस्तान से शेयर होता है।
आपको बता दें बलूचिस्तान बहुत समय से पाकिस्तान से अलग होना चाहता है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट को पाकिस्तान ने टारगेट किया है और यही चीज पाकिस्तान दुनिया को बताना चाहता है कि, यानी इस अटैक के जरिए पाकिस्तान बलूचिस्तान में जो रिवॉल्यूशन हो रहा है, उसे दबाना चाहता है।
क्योंकि अब बलूचिस्तान में पाकिस्तान जो भी करेगा, इसका जिम्मा वह ईरान के माथे पर मढ़ सकता है। पाकिस्तान के पास बलूचिस्तान को रोकने का पूरा मौका है।
क्योंकि अगर अभी पाकिस्तान में बलूचिस्तान को नहीं रोका तो हो सकता है भविष्य में पाकिस्तान चार टुकड़ों में बंट जाएगा। ऐसे में आप यह समझ गए होंगे कि इन दोनों के बीच की जंग का कारण बलूचिस्तान में मौजूद टेरर ग्रुप है।
दोनों देशों के बीच शुरू हुई इस जंग का परिणाम क्या होगा।
क्योंकि दोनों ही देश न्यूक्लियर पावर है, दोनों की लीडरशिप अनस्टेबल है, दोनों ही देशों में पॉलिटिक्स डगमगाई रहती है, दोनों ही देश में आतंकवाद फैला हुआ है।
और वैसे भी दोस्तों जब दो देशों के बीच में जंग होती है तो उस जंग को कोई भी हारता है, जीतता नहीं है। दो देशों के बीच की जंग सिर्फ और सिर्फ तबाही लाती है, नुकसान होता है, लोगों की जानें जाती हैं।
यही वजह है कि आज पूरी दुनिया यह चाहती है कि ईरान और पाकिस्तान आपस में न लड़ें। यहां तक कि चीन भी यही कह रहा है कि इस बात को बढ़ाना नहीं चाहिए। यूनाइटेड स्टेट्स ने ईरान की मिसाइल स्ट्राइक का विरोध किया।
उन्होंने भी यही कहा कि ईरान ने यह एक बार नहीं बल्कि बार बार किया है। उन्होंने इराक पर भी अटैक किया और सीरिया पर भी। अब यूनाइटेड स्टेट्स और इरान के बीच में तो कोल्ड वॉर चल रही है।
लेकिन जिस हिसाब से ईरान हरकतें कर रहा है उसे देखकर तो यही लगता है कि वह किसी न किसी तरह से युद्ध में घुसने की कोशिश कर रहा है, जिसके लिए उसने पाकिस्तान से शुरुआत की है।
अगर यह बात सच है की ईरान वाकई में युद्ध चाहता है तो कहानी यहीं पर नहीं रुकेगी। रूस, यूक्रेन और इजरायल हमास की तरह ही ये दोनों देश आपस में लंबे समय तक भिड़ सकते हैं और अगर ऐसा हुआ तो दिक्कत बढ़ जाएगी।
भारत को इन दोनों देशों से कोई खास मतलब नहीं है, लेकिन अगर इनके बीच जंग होती है तो यह देखने वाला होगा कि भारत किसकी तरफ से बोलता है और क्या ईरान केवल पाकिस्तान तक ही सीमित रहेगा या फिर यह और भी दूसरे देशों पर अटैक करके अपने आप को ताकतवर दिखाने की कोशिश करेगा।
अब आगे क्या होगा यह तो वक्त ही बताएगा। बाकी आपको इस पूरे मामले में क्या कहना है, हमें कॉमेंट में जरूर बताइयेगा।धन्यवाद।