10 गलतियाँ जो आप रोज कर रहे हैं अपनी सेहत के साथ

कुछ ऐसी आदतें होती हैं जो बनानी भी आसान है, फायदा भी बहुत देती हैं लेकिन फिर भी अक्सर इग्नोर हो जाती हैं। इन्हें मैं कहता हूं अंडर रेटेड हेल्दी हैबिट्स। इस लेख में मैं आपसे शेयर करूंगा 10 ऐसी आदतें जो रिलेटेड हैं, प्रैक्टिकल हैं और बड़ी आसानी से बनाई जा सकती हैं। आइए तो फिर बिना किसी देरी के शुरू करते हैं। 


10 Daily Mistakes You Must Avoid


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10.  मल्टी टास्किंग

आजकल मल्टी टास्किंग करना बडा अच्छा माना जाता है। लेकिन आयुर्वेद कुछ अलग कहता है। मल्टी टास्किंग का मतलब दो या दो से ज्यादा चीजों को एक साथ करना। ये तो हम हमेशा ही करते रहते हैं। फोन पर बात करते करते इंस्टाग्राम चलाते रहना, टीवी देखते हुए खाना खाना, वीडियो देखना और साथ साथ कॉमेंट पढते रहना। 

आयुर्वेद बड़े स्पष्ट रूप से कहता है कि ऐसा करने से हमारा दिमाग कमजोर होता है, ध्यान अवधि कम हो जाती  है और जिस कारण दिमाग सही से एक जगह कंसंट्रेट नहीं कर पाता। इसलिए तो दो मिनट भी कहीं वेट करना पड जाए तो दिमाग खराब होने लगता है। 

इसका असर आजकल के बच्चों में दिख रहा है जिन्हें लगातार कोई ना कोई प्रोत्साहन चाहिए। वहीं दूसरी ओर अगर आप एक समय पर सिर्फ एक काम पर ही ध्यान देंगे तो आप देखेंगे कि बस कुछ ही दिनों में दिमाग की कंसंट्रेशन पावर बढने लगी। 


9. जब माइंड डिस्टर्ब हो तब खाना 

जैसे जो हम खाते हैं उसका असर हमारे दिमाग पर होता है, उसी तरह से जिस स्टेट ऑफ माइंड से हम खाते हैं, उसका असर हमारे शरीर पर होता है। इसलिए आयुर्वेद सिर्फ खाने को ही महत्व नहीं देता, बल्कि खाना कैसे खाया जा रहा है यह भी बहुत महत्वपूर्ण है। 

आप जिस मानसिकता से खाते हैं, शरीर उस हिसाब से ही खाने से न्यूट्रिशन को एब्जॉर्ब कर पाती है। आप एक एक्सपेरिमेंट करके देखो। एक दिन जब आपको बहुत गुस्सा आ रहा हो, तब खाओ। पहली बात तो यह कि भूख लगेगी ही नहीं। लेकिन फिर भी अगर खाया तो आप नोटिस करेंगे कि खाना अच्छे से डाइजेस्ट नहीं हुआ। 

दिमाग का पेट के साथ कनेक्शन बड़ा मजबूत है। इसलिए आयुर्वेद बहुत जोर देता है कि इमोशनली जब हम डिस्टर्ब होते हैं तो ना खाएं। 

अगली बार जब आप ऐसे इमोशनली डिस्टर्ब हो तो आराम से बैठकर दो चार गहरी सांस लें, खुद को थोड़ा स्टेबल कर लें। फिर कृतज्ञता के भावना से खाना खाएं। आपको और आपके शरीर को अच्छा लगेगा। 


8. आग्रहों का दमन

क्या आप टीवी पर कुछ मजेदार देखते हुए पेशाब रोककर बैठे रहते हैं या आप उबासी को या डकार को लोगों के बीच रोक लेते हैं? कुछ लोग हस्तमैथुन करते हुए इजेकुलेशन को आखरी समय  पर रोकने की कोशिश करते हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इन्हें नेचर्स कॉल किसी कारण से ही कहा जाता है। 

हमारा नर्वस सिस्टम इन एनर्जी के पीछे होता है। इन्हें रोकने से बीमारी बढ़ने के चांस बहुत बढ़ जाते हैं। यहां तक कि मॉडर्न साइंस भी आज इस बात से सहमत है और कुछ ऐसी सोशल सिचुएशन हो सकती है जब आपको थोडा कंट्रोल करना पड़े। पर सामान्यतः  इनकी आदत न बनाएं। 


7.  दिन के लिए टोन सेट करना 

कितनी बार ऐसा होता है कि हम उठे और तब तक ऑफिस के लिए लेट हो गए। फिर जल्दी जल्दी सब कुछ करके किसी तरह ऑफिस पहुंचते हैं। आयुर्वेद के अनुसार हम जिस तरह से दिन की शुरुआत करते हैं, पूरा दिन वैसे ही निकलता है। अगर सुबह सुबह ही स्ट्रेस में रहे तो पूरा दिन वैसे ही चलेगा। 

वहीं दूसरी तरफ अगर सुबह थोड़ा जल्दी उठ जाएं, थोड़ा योगा करें या वॉकिंग के लिए जाएं या अपने लिए लंच प्रिपेयर करें या और कुछ नहीं तो बस आराम से तैयार ही हो जाएं तो आप देखेंगे कि सारा दिन मजे मजे में निकल गया। सच में बस कुछ दिन ट्राई करके देखो, फर्क दिख जाएगा। 


6. खाना खाते ही उठ जाना

आजकल के फास्ट लाइफस्टाइल में हम खाना खाते ही उठ जाते हैं। मानो खाना सिर्फ एक फालतू का काम हो, जो बस करना पड़ता है। हमें यह समझना चाहिए कि जब हम खाना खाते हैं तो शरीर के अंदर प्रोसेस चालू हो जाते हैं और एकदम से खाते ही उठ जाना बॉडी के लिए शॉक की तरह होता है। 

इसलिए आयुर्वेद कहता है कि खाने के बाद 10 मिनट वज्रासन में बैठें। हां, हमेशा पॉसिबल नहीं हो सकता लेकिन आप खाना खाकर एकदम से ना उठें। सिर्फ पांच मिनट वहीं बैठे रहें। आप देखेंगे कि डाइजेस्टिव प्रॉब्लम जैसे खत्म ही होने लगी हैं।


5. आप जैसा कॉन्टेंट कंज्यूम करते हैं

आयुर्वेद के अनुसार हम सिर्फ मुंह से ही नहीं बल्कि बाकी इन्द्रियों से भी प्रेरणा के रूप में खाते हैं और जिस तरह की प्रेरणा हमारी इंद्रियां उपभोग करती हैं उससे हमारे दिमाग और शरीर का बैलेंस डिसाइड होता है। अगर आप ध्यान दें तो जैसा हमारा परिवेश होता है हम वैसे ही काम करने लगते हैं। 

हम कैसे लोगों से बात करते हैं, कैसा कॉन्टेंट देखते हैं उससे ही हमारी पर्सनैलिटी बनती है। अगर हम गॉसिप करें, पीठ पीछे बातें करें या ऐसा कॉन्टेंट देखें जो नेगेटिव हो, भड़काऊ हो तो भले ही थोड़ी देर के लिए मसालेदार सा अच्छा लगे, लेकिन हमारा अवचेतन मन इन चीजों से नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है। 

वहीं दूसरी ओर हम पॉजिटिव लोगों से बातें करें, ऐसा कॉन्टेंट देखें जिससे इंस्पिरेशन और पॉजिटिविटी मिले हमें बहुत अच्छा लगेगा। कोई ऐसा इंसान जो हमेशा गॉसिप करता हो, उसे ऑब्जर्व करें तो आप देखेंगे कि वह अंदर से बहुत ही परेशान होगा।


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4. अपनी स्पाइन को सीधा रखना 

रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने के कुछ बहुत ही जबरदस्त फायदे हैं। कमरदर्द से तो बचते ही हैं बल्कि इससे हम कॉन्फिडेंट और लंबे लगते हैं। दोस्तों, जब हमारी रीढ़ की हड्डी  सीधी होती है तो एनर्जी ऊपर की तरफ उठती है और हम ज्यादा अच्छे से कंसंट्रेट कर पाते हैं। 

यह तो आपने देखा ही होगा कि कैसे स्टडी टेबल पर पढ़ने से फोकस ज्यादा बनता है और वहीं बेड पर पढ़ने लगे तो नींद आने लगती है। स्पाइन सीधी ना हो तो अवेयरनेस कम हो ही जाती है। इसीलिए तो मेडिटेशन में स्पाइन सीधा रखने के लिए कहा जाता है। चेयर पर हमेशा पीछे होकर बैठें और खड़े हों तो ध्यान रखें कि कंधे झुके नहीं। कुछ दिन थोड़ा ध्यान रखना पड़ेगा फिर तो बस आदत ही बन जाएगी। 


3. खाने के साथ कोल्ड ड्रिंक पीना

बर्गर के साथ बस एक कोक मिल जाए तो मजा आ जाए। दोस्तों, यहां बात सिर्फ बर्गर की नहीं बल्कि कोल्ड ड्रिंक की है और जब हम तथाकथित डाइट पर होते हैं तो खाने के साथ ठंडा नींबू पानी या फ्रूट जूस पीने लगते हैं। यह हेल्दी ईटिंग नहीं है। जब हम कुछ खाते हैं तो बॉडी का टेंपरेचर बढ़ता है। 

खाने को पचाने के लिए आयुर्वेद की भाषा में पाचन अग्नि प्रज्वलित हो जाती है। अब इसमें नींबू पानी, फ्रूट जूस या पानी पीने से यह आग अच्छे से जल नहीं पाती, जिस वजह से आपने कितना भी हेल्दी क्यों न खाया हो, अच्छे से पच नहीं पाता और अंदर जाकर सड़ता है और विषैले प्रदार्थ बनाने लगता है। 

अगर जूस पीना है तो खाने से पहले पिएं। आयुर्वेद के अनुसार नमकीन छांछ एक ऐसी ड्रिंक है जो ठंडी है लेकिन ऑयली होने के बावजूद पाचन अग्नि को बुझने नहीं देती, बल्कि बढ़ाती है। इसलिए खाने के साथ कोल्ड ड्रिंक अवॉइड करें। 


2. स्पोर्ट्स एक्सरसाइज 

अगर आपको जिम जाना बोरिंग लगता है या घर पर भी वर्कआउट करने का मन नहीं करता, तो आपको कोई स्पोर्ट्स जरूर खेलना चाहिए। खेलने से सिर्फ एक्सरसाइज ही नहीं, बल्कि हम डिसिप्लिन, कोऑर्डिनेशन और फोकस करना भी सीख जाते हैं। 

आपने देखा होगा कि जो लोग नियमित डांस करते हैं, वह नैचुरली फिट होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वह डांस एंजॉय करते हैं। यह एक नेचुरल स्ट्रेस बस्टर है। 

हम सब जानते हैं कि स्पोर्ट्स में कितना मजा आता है, लेकिन फिर भी यह दुख की बात है कि आजकल गेम्स हमारे सिर्फ लैपटॉप और फोन तक ही सीमित रह गए हैं। इसलिए आज ही कोई स्पोर्ट चुनें और बस उसे नियमित रूप से खेले। 


1. भोजन की बर्बादी से बचने के लिए अधिक खाना

फूड वेस्टेज ना हो इसलिए ज्यादा खाना कितना आम है यह, है ना। हमें पता होता है कि पेट भर चुका है लेकिन फिर भी खाना बर्बाद ना हो बस इसलिए और खाते हैं। ऐसी आदत धीरे धीरे बड़ा नुकसान पहुंचाती है। 

इसमें कोई शक नहीं की ऐसा करने में  हमारा इरादा नेक है लेकिन भोजन की बर्बादी एक मानव केन्द्रित विचार है। कितने ऐसे जीव जंतु हैं जो हमारे आस पास ही रहते हैं। खुद अपना पेट फाड़ने से अच्छा होगा इन्हें खिलाना। 

हां, खाना उतना ही बनाएं जितना पर्याप्त हो, तो यह तो बहुत अच्छी बात है। लेकिन अगर बच भी जाए तो बाहर रख दें। आप देखेंगे कि उसने किसी न किसी का पेट जरूर भर दिया होगा। 


निष्कर्ष 

तो दोस्तों, यह थी वह हेल्दी हैबिट तो मुझे लगता है कि अंडर रेटेड हैं और अगर आप इन्हें अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बना लें तो आप देखेंगे कि आपको बहुत फायदा मिलेगा। इनमें से कौन सी हैबिट आपको सबसे इंटरेस्टिंग लगी? कमेंट सेक्शन में जरूर बताइयेगा। 

Vinod Pandey

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