10 बेहद कीमती चीजें जो अंग्रेजों ने भारत से चुराईं | Amazing Facts in Hindi

Amazing Facts in Hindi: इतिहास बताता है कि एक दौर वो भी था जब दुनिया भर का खजाना भारतीय बाजारों में इकट्ठा था। भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। यहां के शाही राजा हीरे जवाहरात पहनने से लेकर सोने चांदी के बर्तनों में खाया पिया करते थे। 

अब इसी से अंदाजा लग जाता है कि यहां एक नहीं बल्कि कई बेशकीमती वस्तुएं हुआ करती थी जिनकी कीमत कई देशों की इकोनॉमी के बराबर हुआ करती थी। इसलिए आज हम आपको 10 ऐसी ही कीमती चीजों से रूबरू कराने वाले हैं, जो भारत के इतिहास का हिस्सा रही है। तो चलिए शुरू करते हैं बिना किसी देरी के। 

10 बेहद कीमती चीजें जो अंग्रेजों ने भारत से चुराईं | Amazing Facts in Hindi


10 बेहद कीमती चीजें जो अंग्रेजों ने भारत से चुराईं | Amazing Facts in Hindi

Serial Number Amazing Facts in Hindi
10 The Nassak Diamond
9 Amaravati Marbles
8 Throne of Maharaja Ranjit Singh
7 Patiala House Necklace
6 Shahjahan Royal Jade Wine Cup
5 Sultanganj Buddha
4 Tipu Sultan Ring
3 Tipu Tiger
2 row9 col 2
1 Kohinoor

10. The Nassak Diamond 

दोस्तों , भारत के कोहिनूर के ब्रिटेन पहुंचने की कहानी तो हर कोई जानता है, लेकिन आप ये नहीं जानते होंगे कि साल 1818 में नस्सक हीरा भी भारत से गायब हुआ था। बताया जाता है कि किसी जमाने में गोलकोंडा की कोल्लूर माइंस से निकला ये हीरा त्र्यंबकेश्वर मंदिर में शिवजी के श्रृंगार का हिस्सा हुआ करता था। 

The Nassak Diamond

कई सदियों तक इसी मंदिर में रहने के बाद एंग्लो मराठा वॉर के दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसे ब्रिटिश सुनार को बेच दिया था। समय के साथ इसे कई बार खरीदा बेचा जरूर गया, लेकिन 43.38  कैरेट का यह हीरा आज लेबनान के एक प्राइवेट म्यूजियम में पड़ा है। 


9. Amaravati Marbles

Amaravati Marbles
pic credit: Wikipedia

ब्रिटिश म्यूजियम में सजे ये खूबसूरत 120 स्कल्पचर और शिलालेख का बौद्ध धर्म में एक खास महत्व है क्योंकि ये शिलालेख एक भव्य बौद्ध स्तूप का हिस्सा हुआ करते थे। 1845 में पहली बार इन्हें स्तूप की खुदाई के दौरान खोजा गया था। इनमें उकेरी जातक कथाएं बताती है कि ये बुद्ध के जीवन से जुड़ी हुई है। 

लेकिन इन्हें खोजने वाले सर वॉल्टर एलियट थे इसलिए इनका ब्रिटेन जाना पक्का था। आज ये खूबसूरत मार्बल्स लंदन के ब्रिटिश म्यूजियम में जरूर रखे गए हैं, लेकिन इनका इतिहास हिंदुस्तान से जुड़ा हुआ है। 


8. Throne of Maharaja Ranjit Singh

अफसोस की बात है कि जिस सिंहासन पर महाराजा रंजीत सिंह बड़ी शान से विराजते थे वो भी आज भारत से दूर अंग्रेजों के म्यूजियम में पड़ा है। इस सिंहासन को बनाने वाले क्रिएटर एक मुस्लिम सुनार थे, जिन्होंने लकड़ी और सोने के इस तख्तो ताज को तैयार किया था। 

Throne of Maharaja Ranjit Singh

सुनने में आता है कि सिखों के महाराज होने के बाद भी रंजीत सिंह जमीन पर बैठना पसंद करते थे और कुछ शाही मौकों पर ही सिंहासन का इस्तेमाल करते थे। लेकिन जल्द ही उनके सिंहासन पर ब्रिटिशर्स की नजर पड़ गई और साल 1849 में उन्होंने इस पर कब्जा जमा लिया और इसे ब्रिटेन भेज दिया। 



7. Patiala House Necklace 

Patiala House Necklace

चमचमाते इस नेकलेस को कभी पटियाला के महाराज भूपिंदर सिंह के लिए बनाया गया था। इसे बनाने का काम हाउस ऑफ कार्टियर ने किया था। अनोखी बात यह थी कि एक कॉलर और पांच चेन के साथ इस नेकलेस में करीब 3000 हीरे जड़े हुए थे। यह हार दिखने में इतना शानदार था कि इस हार के चर्चे भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में होने लगे थे। 

ऐसा इसलिए भी क्योंकि इसमें दुनिया का सातवां सबसे बड़ा हीरा लगाया गया था। लेकिन दुख की बात है कि 1948 में इसे पटियाला के शाही खजाने से चुरा लिया गया। आखिरी बार ये नेकलेस भूपिंदर सिंह के बेटे ने पहना था, जिसके बाद इसे कभी भी साबुत स्थिति में नहीं देखा गया। 

हाल ही में इस नेकलेस के चौकोर को एमा कैम्बेल ने मेट गाला के लिए पहना था, जिसके लिए उनकी काफी निंदा भी हुई थी। दरअसल कहते हैं कि इस नेकलेस के पीछे का इतिहास काफी काला रहा है। 



6. Shahjahan Royal Jade Wine Cup 

एक आलीशान महल और राजसी ठाठ बाठ में रहने के अलावा मुगल बादशाह शाहजहां के पास एक नायाब शराब का प्याला भी था, जिसमें वो बड़ी शान से शराब के घूंट लगाया करता था। हालांकि सफेद रंग के इस प्याले को खास शाहजहां के लिए बनाया गया था, लेकिन इसे बनाने वाला आर्टिस्ट कौन था, इसका इतिहास में कोई जिक्र नहीं मिलता। 

Shahjahan Royal Jade Wine Cup

अतीत के पन्ने बताते हैं कि 18.7  सेंटीमीटर लंबा ये प्याला 1857 के बाद कर्नल चार्ल्स सेटन को मिल गया था। उसके बाद ये कई लोगों को बेचा गया। लेकिन आज इसकी मौजूदगी हमें विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम में मिलती है। 



5. Sultanganj Buddha

2.3  मीटर ऊंची और 500 किलो वजनी इस मूर्ति को शायद आप पहली बार देख रहे हो लेकिन ये मटैलिक स्कल्पचर सुल्तानगंज बुद्धा का है जो 1861 में भागलपुर के सुल्तानगंज में पाया गया था। इसे एक रेलवे इंजीनियर ने 200 पाउंड में बरमिंघम के एक मेटल मैन्युफैक्चरर को बेच दिया था और इस तरह से भारत का ये नायाब स्कल्पचर भी दूसरे देश पहुंच गया था। 

Sultanganj Buddha

आज ये हमें बरमिंघम के म्यूजियम में रखा हुआ मिलता है। इसके इतिहास पर नजर डाले तो ये 500 से 700 ईसवी  के बीच तब बनाया गया था जब भारत पर गुप्त-पाल राजवंश का शासन हुआ करता था। बौद्ध भगवान की ये मूर्ति हमें गुप्त और पाल राजवंश की मूर्तिकला के बारे में बहुत कुछ बताती है।


4. Tipu Sultan Ring

छोटा कद लेकिन तलवारबाजी में ऊंची पकड़ रखने वाले बादशाह टीपू सुल्तान का नाम आज काफी विवादित रूप में लिया जाता है । 

बहुत से लोग इस राजा को एक क्रूर मुग़ल आक्रांता की तरह देखते हैं तो कुछ लोग मैसूर के इस राजा को एक बहादुर योद्धा की तरह देखते हैं, जिसने आखिरी सांस तक हार नहीं मानी और यही वजह रही कि बादशाह की बेशकीमती तलवार और अंगूठी पर अंग्रेजों की नजर पड़ गई। 

दरअसल 1799 में श्रीरंगपटना के युद्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़ते हुए टीपू सुल्तान मर गया । जिसके बाद ब्रिटिशर्स ने टीपू सुल्तान 41 ग्राम  की कीमती अंगूठी और तलवार पर अपना हक जमा लिया। 

हालांकि उनकी तलवार को तो नीलामी में 1.5  करोड़ रुपए देकर विजय माल्या ने अपना बना लिया था, लेकिन टीपू सुल्तान की सोने की बेशकीमती अंगूठी को 2014 में 145 हज़ार पाउंड की कीमत पर नीलाम कर दिया गया और इसे खरीदने वाले कौन था ये आज तक सामने नहीं आया। 


3. Tipu Tiger 

दोस्तों , टीपू सुल्तान की अंगूठी ही नहीं बल्कि इस बादशाह का बाघ भी आज लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहा है। ये बाघ मशीनी कला का एक नमूना है जिसे खास तौर पर टीपू सुल्तान के लिए बनाया गया था। 

इस मूर्ति में बाघ को एक ब्रिटिश सैनिक को मारता हुआ दर्शाया गया है, जो टीपू सुल्तान की ब्रिटिशर्स के प्रति दुश्मनी का प्रतिक था। 

टीपू सुल्तान के मरने के बाद उसके इस बाघ को लॉर्ड मोर्निंग ने ब्रिटेन भिजवा दिया था और तभी से ये ब्रिटेन की म्यूजियम में रखा हुआ है। इसलिए अगर आप कभी लंदन जाएँ तो हमारे देश की इस खास निशानी को जरूर देखें। 

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2. The Peacock Throne

मुगलों की शानो शौकत और राजसी सत्ता का प्रतीक मयूर सिंहासन को बनवाने वाला  बादशाह शाहजहां था। हीरे जवाहरात और सोने से जड़े सिंहासन को उसने अपनी ताजपोशी के लिए बनवाया था। इसके दोनों हिस्सों में मोर की आकृति के चलते इसे मयूर सिंहासन कहकर बुलाया जाता था। वहीं फारसी में इसे तख्ते ताउस भी कहा जाता था। 

शाहजहां ने अपने इस नायाब सिंहासन को आगरा के किले में रखवाया था, जहां शाही दरबार में आने वाले लोग इसकी खूबसूरती को निहारते थे। इस सिंहासन की खासियत थी कि इसमें विदेशों से मंगवाए गए हीरे, अनमोल पत्थर और माणिक जड़े गए थे। 

मयूर की चोंच पर मोती लगाए गए थे, जबकि उनके सीने में लाल माणिक लगाए गए थे। ये तख्तो ताज अपने आप में भारतीय कारीगरों की कला की शान था, पर अफसोस आज ये सेंट्रल बैंक ईरान के नेशनल ट्रेजर का हिस्सा है। 

दरअसल साल 1739 में नादिर शाह ने दिल्ली पर कब्जा किया था, जिसके बाद वह मयूर सिंहासन को अपने साथ पर्शिया ले गया। बता दें कि आज इसकी कीमत लगभग 5.5  बिलियन डॉलर्स है। 


1. Kohinoor

इंग्लैंड की रानी के ताज पर सजे कोहिनूर के तार आज भी भारतीय इतिहास से जुड़े हैं। ये खूबसूरत हीरा दुनिया के सबसे बड़े कटे हुए हीरों में से एक होने के साथ साथ सबसे मशहूर भी रहा है। अब मशहूर इसलिए क्योंकि भारत में इसे जिस भी राजा ने अपनाया उसका वंश बर्बाद हो गया। कई लोगों ने इसे शापित ठहराया तो कई इसकी कीमत नहीं समझ पाए। 

लेकिन ये हीरा भारत के सबसे बेशकीमती खजाने में से एक रहा है। 793  कैरेट के साथ कोहिनूर को सबसे पहले आंध्र प्रदेश के गोलकोंडा क्षेत्र से निकाला गया था। फिर पीढ़ी दर पीढ़ी ये कई राजवंश के पास रहा और आखिर में अंग्रेजों ने जब लाहौर पर आक्रमण किया तो महाराजा दलीप सिंह से ये हीरा अंग्रेजों के कब्जे में आ गया। 

इंग्लैंड में इस हीरे ने सबसे पहले रानी विक्टोरिया के ताज की शोभा बढ़ाई और आज ये रानी एलिजाबेथ के ताज पर सजा हुआ है। दिलचस्प बात है कि कोहिनूर हीरा अब सिर्फ 105 कैरेट का रह गया है। इसकी वर्तमान में कीमत 10 से 12 बिलियन डॉलर्स के करीब है। 


निष्कर्ष (Amazing Facts in Hindi)

तो ये थी 10 ऐसी बेशकीमती चीजें जो कभी भारत के खजाने का हिस्सा हुआ करती थी। आज ये देश से दूर लंदन के म्यूजियम में जरूर है लेकिन इनकी कीमत बहुमूल्य है और कहीं न कहीं भारत आज भी इनकी घर वापसी की उम्मीद लगाए बैठा है। फिलहाल आज के लिए हम आपसे विदा लेते हैं भारत की अनमोल संपत्ति से जुड़ा ये लेख आपको कैसा लगा? हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं। धन्यवाद। 

Vinod Pandey

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