Mysterious Facts In Hindi: दोस्तो, जब से इंटरनेट आया है तब से दुनिया में फेक इन्फॉर्मेशन यानी कि झूठी खबरें हर तरफ फैल रही हैं। ये बात तो आपने भी अक्सर लोगों को कहते सुना होगा लेकिन ये पूरा सच नहीं है। जी हां, अब हर झूठ के लिए इंटरनेट को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं।
क्योंकि कुछ झूठ ऐसे हैं जो दुनिया में आपको बचपन से इस तरह बताए गए हैं कि आप उन्हें सच मानते हुए आये हैं। क्या हुआ समझ नहीं आया या दिमाग चकरा गया। मैं अभी बताता हूं जैसे ग्रेट वॉल ऑफ चाइना अंतरिक्ष से भी दिखती है। अल्बर्ट आइंस्टाइन बचपन में मैथ्स में फेल होते थे। ये सब बातें आपको बचपन से पता हैं।
लेकिन अगर मैं आपसे कहूं कि ये सब झूठ है तो आपका रिएक्शन क्या होगा? जी हां, ये जिंदा झूठ है और ये तो सिर्फ दो बातें थी। ऐसी न जाने कितनी बातें हैं जो आपको झूठ बताई गई हैं और आज हम आपके दिमाग को रटाए गए कुछ इन्ही झूठों से पर्दा उठाने वाले हैं। दोस्तों तो आपको इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना है।
1. माइकल जैक्सन
अब आप सोच रहे होंगे कि यार माइकल जैक्सन कैसे झूठ हो सकते हैं। घबराओ मत वह बिल्कुल सच है पर उनके बारे में एक झूठ जो आज तक आप सबको बताया जाता है और वो ये है कि डांस मूव मूनवॉक माइकल जैक्सन ने ईजाद की थी।
जी ये बात बेशक आपको हैरान कर रही होगी क्योंकि माइकल जैक्सन एक नामी हस्ती थे। उन्होंने पॉप म्यूजिक की दुनिया में एक अलग ही मुकाम हासिल किया था। वो एक बेहतरीन सिंगर होने के साथ साथ बहुत ही शानदार डांसर भी थे।
लेकिन जितना उनका सिंगर और डांसर होना सच है उतना ही सच ये भी है कि मूनवॉक के इन्वेंशन में उनका योगदान नहीं था। उन्होंने सबसे पहले मूनवॉक 25 मार्च 1983 को pesadena civic ऑडिटोरियम में परफॉर्म की थी। और ये डांस मूव उन्होंने Jeffrey and Casper से सीखा था जिन्होंने इसे 1970 में परफॉर्म किया था।
हालांकि उनसे पहले भी बिल वैली नाम के एक डांसर ने इसे परफॉर्म कर दिया था। तो अब आप याद रखना कि माइकल जैक्सन और मूनवॉक दोनों का इन्वेंशन वाला रिलेशन सच नहीं है।
2. हिंदी
अब आप सोच रहे होंगे कि ये क्या है? हिंदी में क्या हो सकता है? तो दोस्तों हिंदी में कोई झूठ नहीं है। ये हमारे देश की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। इसी भाषा में हम आपके लिए आर्टिकल्स बनाते हैं। भारत में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस भी मनाया जाता है।
अब इस भाषा के बारे में एक बात आपको यह बताई जाती है कि हिंदी हमारे देश की राष्ट्रभाषा है। ज्यादातर भारतीयों को अपने आसपास यही भाषा देखने और सुनने को मिलती है, इसलिए आपको इस बात पर भी यकीन हो जाता है। लेकिन यह एक झूठ के सिवा और कुछ भी नहीं है।
दोस्तों भारत एक ऐसा देश है जो अपनी विविधताओं के लिए जाना जाता है। यहां हर राज्य की अपनी राजनैतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान है। बता दें कि भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है।
हिंदी एक राजभाषा है यानी कि राज्य के कामकाज में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा। भारतीय संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला हुआ है।
दरअसल भारत में 22 भाषाओं को आधिकारिक दर्जा मिला हुआ है, जिसमें अंग्रेजी और हिंदी भी शामिल हैं। देश की अदालत ने कई बार यह साफ किया है कि सभी भाषाएं बराबर हैं और कोई भी भाषा न किसी से कम है और न किसी से ज्यादा। और यही हमारा भारत है , जिस पर हमको गर्व है।
यह भी पढ़ें :
भगवान हनुमान की 7 अनसुनी कहानियाँ जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
क्या आपको पता है राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में क्यों नहीं गए शंकराचार्य
जाने आखिर ईरान ने क्यों किया पाकिस्तान पर हमला
किला बन गई अयोध्या नगरी, राम मंदिर की सुरक्षा के लिए आया इजरायाली ड्रोन
3. गांधी
दोस्तों ,हम यह नहीं बोल रहे कि गांधी झूठे थे और उनके बारे में बहुत सी बातें झूठ फैलाई गई। नहीं नहीं, मैं उन सड़क छाप व्हॉट्सऐप यूनिवर्सिटी वाली अफवाहों की बात नहीं कर रहा हूं। बल्कि मैं बात कर रहा हूं गांधी के उस विचार के बारे में जो आपको गांधी के नाम से बताया जाता है।
वैसे उनके बहुत से विचार हैं जो मशहूर हैं और सटीक भी। जैसे कि उनका कहना था कि वो परिवर्तन तुम खुद बनो जो तुम दुनिया में देखना चाहते हो या फिर कमजोर कभी माफी नहीं मांगते और क्षमा करना तो ताकतवर की निशानी है।
और इसी तरह आपको यह भी बताया जाता है कि गांधी ने कहा था कि आंख के बदले आंख का सिद्धांत सारी दुनिया को अंधा कर देगा। लेकिन हकीकत तो यह है कि गांधी ने ऐसा कभी कहा ही नहीं था। इसका गांधी जी से कोई लेना देना नहीं है।
गांधी जी के रिकॉर्ड किए गए इतिहास में उनके ऐसा कहने का कोई सबूत नहीं है। दरअसल यह बात बेन किंग्सले जो की एक विदेशी अभिनेता हैं , उन्होंने गांधी फिल्म में कही थी। तो दोस्तों यह बात असली गांधी ने नहीं बल्कि फिल्मी गांधी ने कही थी, जो कि महज एक डायलॉग था।
4. पिरामिड्स
तो चलिए दोस्तों अब भारत से मिस्र चलते हैं और आपसे एक सवाल पूछते हैं कि जिन पिरामिड्स के लिए मिस्र दुनिया भर में मशहूर है, वो किसने बनवाए? जैसा हमें किताबों में पढ़ाया जाता है, आप भी हमें वही जवाब देंगे कि इजिप्ट के मजदूरों ने बनाया। पर असल में यह भी गलत है।
असल में माना यह जाता है कि इन पिरामिड्स को मजदूरों ने नहीं, बल्कि मिस्र के लोगों ने बनाया। वो लोग इन्हें मंदिरों की तरह मानते थे और इन्हें बनाने में उन्हें लगभग 85 साल का वक्त लगा था।
ऐसा माना इसलिए जाता है क्योंकि अभी तक यह कन्फर्म नहीं हुआ है कि हकीकत में इसे किसने बनाया है और इन पिरामिड्स को लेकर कई तरह की थ्योरीज आए दिन सामने आती रहती हैं।
5. हॉकी
चलो मिस्र से अपने देश भारत आते हैं। तो ये तो आप जानते ही होंगे कि हमारे देश का राष्ट्रगान जन गण मन है, राष्ट्रीय झंडा तिरंगा है, राष्ट्रीय चिन्ह या प्रतीक अशोक स्तंभ है। उसी तरह कई देशों के अपने राष्ट्रीय खेल भी हैं।
जैसे ब्रिटेन का राष्ट्रीय खेल क्रिकेट है, अमेरिका का राष्ट्रीय खेल बेसबॉल है, ब्राजील और फ्रांस का राष्ट्रीय खेल फुटबॉल है। वैसे हमारा राष्ट्रीय खेल कौन सा है? आपके मन में हॉकी का नाम तो नहीं आ रहा? अगर हां, तो भाई साहब ये भी आपको झूठ पढ़ाया गया है।
आपका दिमाग अब तक घूम गया होगा। पर असल में अपने देश का कोई भी राष्ट्रीय खेल है ही नहीं , और यह बात सरकार भी बता चुकी है। कुछ साल पहले मार्च में एक लॉ स्टूडेंट ने आरटीआई के जरिए खेल मंत्रालय से जवाब मांगा था कि भारत सरकार ने किस खेल को राष्ट्रीय खेल के रूप में मान्यता दी है।
इस सवाल के जवाब में खेल मंत्रालय ने बताया कि भारत ने किसी भी खेल को राष्ट्रीय खेल के रूप में मान्यता नहीं दी है। हालांकि जवाब में यह भी लिखा था कि सभी खेलों को प्रोत्साहन करना देश का उद्देश्य है। पर अब यह आप ध्यान रखना कि अपने देश का कोई भी राष्ट्र खेल यानी नेशन स्पोर्ट नहीं है।
6. अल्बर्ट आइंस्टीन
अब जो झूठ मैं आपको बताने जा रहा हूं वो शायद आपमें से कुछ ने अपनी जिंदगी में कभी इस्तेमाल किया हो सकता है। नंबर कम आने पर घरवालों की डांट से बचने के लिए अक्सर कहा जाता है कि अल्बर्ट आइंस्टीन बचपन में मैथ्स में फेल हुआ करते थे।
पर आपको बता दें कि बाकियों की तरह यह भी गलत और झूठ के सिवाय कुछ नहीं है। आइंस्टीन अपने बचपन में गणित में बहुत अच्छा प्रदर्शन करते थे और अपनी क्लास में हमेशा अव्वल आते थे।
1935 में जब एक रब्बी यानी यहूदी पादरी ने उन्हें एक अखबार की खबर दिखाई जिसमें लिखा था कि आइंस्टीन अपने स्टूडेंट वाले टाइम में मैथ्स में फिसड्डी थे, तो आइंस्टीन ने हंसकर कहा, मैं मैथ्स में कभी फेल नहीं हुआ। 15 साल का होने तक तो मैंने अवकलन यानी डिफरेंशियल और समाकलन यानी इंटीग्रल कैलकुलस पर पूरी पकड़ बना ली थी।
7. सिगरेट
सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, ये बात हम सब जानते हैं। हर मूवी के शुरू होने से पहले भी हमें यही बताया जाता है और सिगरेट के पैकेट पर भी यही लिखा होता है। पर फिर भी जो पीने वाले हैं वो मानते ही नहीं हैं।
अब सोचो जब इतनी सारी वॉर्निंग के बाद भी लोग नहीं मानते तो क्या हो अगर मार्केट में बात फैल जाए कि सिगरेट पीना सेहत के लिए फायदेमंद है।
अब आप सोच रहे होंगे ये क्या बात हुई। पर ऐसा एक बार हुआ है। 19वीं सदी के मध्य में अमेरिका में यह बात फैल गयी की सिगरेट पीने से सेहत अच्छी रहती है। बस फिर क्या था, इस अफवाह की वजह से अमेरिका में 45% लोग सिगरेट पीने लग गए थे।
हालांकि बाद में सबको यह पता चल गया था कि ये महज एक अफवाह है और सिगरेट सेहत के लिए बहुत हानिकारक होती है जिससे भगवान आपको अपने पास जल्दी बुला लेते हैं ।
निष्कर्ष
तो दोस्तों ये थी वो झूठ जो आपको बताए गए थे जिन्हें आप सच मानते थे। वैसे आप इनमें से कितनी बातों को सच मानते थे और कितनी बातें आपको पहले से पता थी कि ये झूठी है हमें कमेंट करके जरूर बताएं।