Amazing Facts In Hindi: आपने करोड़पतियों और अरबपतियों की सफलता की कहानियां तो बहुत सुनी होंगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ करोड़पति ऐसे भी हैं जिन्होंने आसमान छुआ और सीधे जमीन पर आ गिरे। यानी वह करोड़पति से सड़कपति बन गये।
आज के इस लेख में हम आपको 10 ऐसे करोड़पतियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी कहानियां लोगों के लिए एक सबक है कि कैसे एक छोटी सी गलती आपके पूरे जीवन की मेहनत पर पानी फेर सकती है और आपको दिवालिया बना सकती है और जिसकी वजह से आपकी सारी संपत्ति भी खो सकती है। तो आइये शुरू करते हैं।
टॉप 10 अरबपति जो आज सडक पर हैं। Amazing Facts In Hindi
नंबर 10. रमेश चंद्रा, यूनिटेक
आईटी के पूर्व छात्र रमेश चंद्रा ने 1978 में यूनिटेक नाम से एक रियल एस्टेट कंपनी की स्थापना की थी। तेजी से बढ़ते बाजार की बदौलत यूनिटेक जल्द ही टॉप पर पहुंच गई और 32 अरब डॉलर की दूसरी सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी बन गई, जिसमें से अधिकांश पैसा 1980 के दशक के दौरान भारत में मिडिल क्लास के घरों के निर्माण से आया था।
हालांकि 2008 में मंदी के कारण कंपनी चरमराने लगी। उथल पुथल के बीच चंद्रा ने दूरसंचार क्षेत्र में प्रवेश किया। हालांकि शुरुआत में इसे खूब सराहा गया, लेकिन 2G घोटाले में शामिल होने के कारण जल्द ही इसकी चमक फीकी पड़ गई।
इस घोटाले में इनकी इन्वॉल्वमेंट इतनी गंभीर थी कि चंडीगढ़ में कंज्यूमर फोरम ने उन्हें तीन साल की जेल की सजा सुनाई। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें और उनके बेटे संजय और अजय चंद्रा को इनवेस्टर्स द्वारा दायर धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार करने के बाद ज्यूडिशियल हिरासत में भेज दिया।
नंबर 9. जिवराजका ब्रदर्स ,आलोक इंडस्ट्रीज
जिवराजका परिवार की कंपनी आलोक इंडस्ट्रीज एक समय देश में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली टेक्सटाइल कंपनी में से एक थी। उसने फाइनेंशियल ईयर 2015 में 24382 करोड़ के राजस्व पर 254 करोड़ रूपये का मुनाफा कमाया, लेकिन यह ज्यादा दिन तक नहीं चला।
जिवराजका ने 1986 में सिलवासा में एक यूनिट के साथ कपड़ा व्यवसाय की मामूली शुरुआत की थी। अगले दो दशकों में उन्होंने कई ब्लू चिप कस्टमर्स जैसे वॉलमार्ट JC Penny ,और टारगेट का पोर्टफोलियो बनाया और H &A ब्रांड के तहत भारत में 130 से अधिक स्टोर की चेन बनाई।
उनका लगभग एक तिहाई रेवेन्यू एक्सपोर्ट से आता था। 2013 तक 10 वर्षों में कंपनी ने अपने विस्तार पर 10 हज़ार करोड़ रुपए खर्च किए, लेकिन ग्लोबल कॉम्पिटिशन के बीच निर्यात में भारी गिरावट आई, जिसके कारण मार्च 2017 में कर्ज 25505 करोड़ हो गया।
नवंबर 2019 में दिवालिया आलोक इंडस्ट्रीज द्वारा बकाया राशि का भुगतान न करने पर एसबीआई की लंदन शाखा ने तीन जिवराजका ब्रदर्स, अशोक, दिलीप और सुरेंद्र के खिलाफ ₹91 करोड़ का मामला दायर किया था। कोर्ट ने एसबीआई के पक्ष में फैसला सुनाया।
नंबर 8. वेणुगोपाल धूत, वीडियोकॉन
साल 2019 में दिवाली से ठीक पहले वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड के औरंगाबाद स्थित सबसे बड़े प्लांट के कर्मचारियों ने प्लांट के पूर्व मालिक वेणुगोपाल धूत के लिए भिक्षा एकत्र की क्योंकि उन्हें महीनों से वेतन नहीं दिया गया था।
जी हां दोस्तों 2013 में वीडियोकॉन का बाजार मूल्य 6340 करोड़ था, लेकिन दिवालियापन दाखिल करने के कारण यह 100 करोड़ रुपए से नीचे आ गया। लगभग 12 साल पहले VIL ने 12 ,200 करोड़ रुपए का वार्षिक राजस्व और 810 करोड़ से अधिक का मुनाफा कमाया था।
फाइनेंशियल ईयर 2019 में जब इसने दिवालियापन के लिए आवेदन किया तो इसे लगभग 7250 करोड़ का घाटा हुआ। वीडियोकॉन कंपनियों का कर्ज 2007 में 6952 करोड़ से बढ़कर 2019 में 58573 करोड़ हो गया।
नंबर 7. संजय और नीरज, भूषण स्टील
फरवरी 2019 में उदयपुर एक चमकदार तीन दिवसीय उत्सव का गवाह बना। भूषण स्टील लिमिटेड के चीफ और बृज भूषण सिंघल के छोटे बेटे नीरज सिंघल ने अपनी बेटी की शादी को शाही बनाने के लिए शहर के अधिकांश महल होटलों को बुक किया था।
नीरज के बड़े भाई संजय जो भूषण पावर एंड स्टील चला रहे थे, जो बाद में दिवालिया हो गए उन्होंने भी 2010 में अपनी बेटी के लिए इसी तरह की भव्य शादी का आयोजन किया था। 2017 में BSL (भूषण स्टील लिमिटेड) के दिवालिया होने के बाद आज नीरज सिंघल के पास कोई नोटेबल बिजनेस नहीं है।
मार्च 2014 में BSL का बाजार मूल्य 10267 करोड़ था। लेकिन कर्ज की अधिकता और जांच के कारण अगले एक साल में यह गिरकर 1492 करोड़ हो गया और कंपनी को मार्च 2017 में 49957 करोड़ के जॉइंट लोन के साथ छोड़ दिया, जबकि मार्च 2010 में यह लोन 11404 करोड़ था।
दूसरी ओर संजय सिंघल की 3.5 MTBPSL का कर्ज 2011 में 13401 करोड़ से बढ़कर मार्च 2017 में 37938 करोड़ हो गया। इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि दोनों कंपनियों के पतन का कारण भाइयों के बीच एक दूसरे से बेहतर करने की होड़ थी।
नंबर 6. जयप्रकाश गौर, जेपी ग्रुप
90 वर्षीय संस्थापक जयप्रकाश गौर के नेतृत्व वाला जेपी ग्रुप अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। 1980 के दशक में गौर परिवार तब प्रसिद्ध हुआ जब उन्होंने दो विशाल बांधों सरदार सरोवर और टिहरी का निर्माण किया।
रॉयल्टी और बुनियादी ढांचे में उछाल के कारण समूह ने 2000 और 2010 के बीच बेमिसाल वृद्धि की। उसने रियल एस्टेट, बिजली और सीमेंट में 60 हज़ार करोड़ रुपए का निवेश किया।
तीन कंपनियों जयप्रकाश एसोसिएट्स, जयप्रकाश पावर वेंचर्स और जेपी इंफ्राटेक का कंबाइंड रेवेन्यू फाइनेंशियल ईयर 2015 तक सात वर्षों में 476% बढ़कर 27 925 करोड़ हो गया।
फाइनेंशियल ईयर 2015 और 2020 के समूह का रेवेन्यू आधे से ज्यादा घटकर 13560 करोड़ हो गया। जेपी समूह की कंपनियों का कुल बाजार मूल्य लगभग 7030 करोड़ है, जो मार्च 2010 के 45951 करोड़ के मूल्यांकन का सातवां हिस्सा है। कर्ज के कारण जो फिस्कल ईयर 2015 में ₹1.15 लाख करोड़ तक पहुंच गया था।
नंबर 5. प्रशांत रुइया, एस्सार
एस्सार भारत का दूसरा सबसे बड़ा निजी पोर्ट ऑपरेटर है। इसके पास तीन कोल बेड मिथेन ब्लॉक और एक शेल ब्लॉक में फाइव ट्रिलियन क्यूबिक फीट गैस भंडार भी है। इसके अलावा यह रिकवर करने योग्य पारंपरिक संसाधनों के बराबर 1.7 बिलियन बैरल ऑयल को नियंत्रित करता है।
एस्सार पावर के मध्य प्रदेश में 90 मेगावाट सौर क्षमता बनाने की योजना की घोषणा की है। एस्सार के पास उत्तरी अमेरिका में 2.3 बिलियन टन का आयरन ओर भंडार और 70 मिलियन टन का कोयला भंडार और इंडोनेशिया में 72 मिलियन टन कोयला भंडार है।
एस्सार शिपिंग ऑयल फील्ड के पास 12 जहाज भी हैं। लेकिन दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि इतना सब कुछ होने के बाद भी एस्सार ग्रुप पर ₹1.38लाख करोड़ का कर्ज बकाया है।
नंबर 4. ब्रज भूषण बिनानी,बिनानी सीमेंट
दोस्तों , बिनानी साम्राज्य कैसे ढह गया? जब बिनानी सीमेंट का निर्माण कर रहे थे तो ब्रजभूषण बिनानी की बेटियां श्रद्धा और निधि हमेशा उनके साथ थी। हालांकि निर्माण व्यवसाय में मंदी के कारण बिक्री और मार्जिन पर असर पड़ा।
वित्त वर्ष 2017 में बिनानी सीमेंट को 347 करोड़ रूपये का घाटा हुआ, जबकि वित्त वर्ष 2011 में इसका मुनाफा 181 करोड़ था। वित्तीय लेनदारों ने बिनानी सीमेंट से 9469 करोड़ रुपयों का दावा किया जबकि कंपनी दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही थी।
यह कंपनी के सुनहरे दिनों के विपरीत था जब बिनानी ने अपनी 11.25 एमटीपीए सीमेंट कैपेसिटी बनाने के लिए बिरला, एसीसी और अंबुजा से लड़ाई की थी। समस्या चीन और दुबई के उन प्लांट से शुरू हुई जो प्रभाव छोड़ने में विफल रहे।
इसे 2017 में एनसीएलटी में ले जाया गया था। दिवालियापन अदालत द्वारा प्रमुख संपत्ति अल्ट्राटेक को 7950 करोड़ में बेची गई थी।
नंबर 3. अरविंद धाम, एमटेक ऑटो
फॉर्मर प्रमोटर अरविंद धाम ने 2017 में कंपनी को दिवालियापन से बचाने के लिए अपनी निजी संपत्ति तक देने की कोशिश की। दिवालियापन के लिए आवेदन करने से ठीक पहले एमटेक ऑटो ने वित्त वर्ष 2017 में 13368 करोड़ के राजस्व पर 2068 करोड़ का घाटा दर्ज किया।
एमटेक समूह की चार कंपनियां एमटेक ऑटो, कैस्टेड टेक्नोलॉजीज, एमटेक गियर्स और मेटल्स फोर्जिंग ने अब तक दिवालियापन के लिए आवेदन किया है। इसके बाद एमटेक ऑटो की सहायक कंपनी JMT ऑटो है।
टाटा मोटर्स, फिएट और फोर्ड इंडिया के लिए एक ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर के रूप में धान की फेयरी टेल जर्नी एक बिंदु पर अजय थी।
2005 और 2014 के बीच उन्होंने आयरन कास्टिंग, मेटल फोर्जिंग और मशीनिंग सेगमेंट में 22 अधिग्रहण किए, जिससे एमटेक को एस्टन मार्टिन, बीएमडब्ल्यू और डायमलर जैसे प्रमुख ग्राहक मिले।
इसके बाद धाम ,पब्लिकेशन, फार्मास्यूटिकल्स और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में चले गए, लेकिन यहाँ उन्हें असफलता का स्वाद चखना पड़ा। हालात बद से बदतर होते चले गए और सितंबर 2014 को समाप्त वित्तीय वर्ष में उन पर 17663 करोड़ का कर्ज था।
नंबर 2. दिनेश शाहरा, रुचि सोया
दोस्तों दिनेश शाहरा ने 1955 में एडिबल ऑयल का व्यापार शुरू किया था। उन्होंने 1986 में रुचि सोया की स्थापना की। 25 वर्षों में यह 30,000 करोड़ रुपए की कंपनी बन गई, जो देश में एडिबल ऑयल, सोयामील, प्रीमियम टेबल स्प्रेड, वेजिटेबल और बेकरी का सबसे बड़ा मार्केट था।
मार्च 2011 में रुचि सोया का मैक्सिमम वैल्यूएशन 3521 करोड़ था। नवंबर 2011 में समस्याएं शुरू हुई, जब इंडोनेशिया जहां से रुचि सोया कच्चे माल की आपूर्ति करती थी उसने कच्चे एडिबल ऑयल एक्सपोर्ट पर कर बढ़ा दिया और देश में रिफाइनिंग को एनकरेज करने के लिए रिफाइंड ऑयल एक्सपोर्ट पर शुल्क कम कर दिया।
दिवालियापन के लिए स्वीकार किए जाने के तुरंत बाद मार्च 2018 में रुचि सोया की मार्केट गिरकर 517 करोड़ हो गई। उस समय कंपनी का कर्ज 7504 करोड़ था। दिवालिया प्रक्रिया में रुचि सोया को पतंजलि आयुर्वेद को बेच दिया गया था।
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नंबर 1. ललित मोदी
जी हां दोस्तों वही ललित जो सुष्मिता सेन से शादी करने के बाद बहुत ज्यादा चर्चा में रहे। साल 2010 में बीसीसीआई द्वारा आईपीएल में सट्टेबाजी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद से ललित मोदी भारत से फरार हैं।
ललित मोदी इंडियन प्रीमियर लीग के पहले प्रेसिडेंट कमिश्नर थे। उन्होंने साल 2008 में आईपीएल की नींव रखी थी। साल 2010 तक उन्होंने इस टूर्नामेंट का नेतृत्व भी किया।
एक वक्त था जब उनकी नेटवर्थ 4.5 हज़ार करोड़ से भी ज्यादा थी, लेकिन आज उनकी नेटवर्थ केवल 5.41 मिलियन डॉलर यानी कि भारतीय रुपए में सिर्फ ₹41 करोड़ ही रह गई है।
अब आप में से बहुत से लोग सोच रहे होंगे कि यार ये तो बहुत है पर दोस्तों आपको बता दें कि उनके लिए ये कुछ भी नहीं है।
निष्कर्ष (Amazing Facts In Hindi)
तो दोस्तों यह थे भारत के 10 ऐसे करोड़पति जो आज कंगाल होने की स्थिति में आ गए हैं। अंत तक लेख के साथ बने रहने के लिए धन्यवाद।