सोमनाथ मंदिर के वह अनकहे रहस्य जिन्हे आप लोगों को जानना जरूरी है। Mysterious Facts In Hindi
साल 1025 ईसवी इस साल गुजरात के कई हिस्सों पर हमला करने के बाद अफगानी सुल्तान महमूद गजनी अपनी सेना के साथ गुजरात की ओर बढ़ा। वो एक मंदिर में घुसा जहां एक पूजा चल रही थी, जिसमें हज़ारों ब्राह्मण एक साथ शामिल हुआ करते थे।
हजारों लोग जो उस भव्य मंदिर के दर्शन लेने आए थे वो सब पूजा में लीन थे। तभी अचानक लाखों की संख्या में अफगानी सेना ने उस मंदिर पर हमला कर दिया। इस खतरनाक हमले में मंदिर पूरी तरह तबाह हो गया और न जाने कितने मासूमों ने अपनी जान गंवा दी।
अब तक गुजरात की शान माना जाने वाला यह मंदिर अपनी सारी रौनक खो बैठा था। ये था शिवजी के सम्मान में गुजरात में बना दुनिया का सबसे पुराना मंदिर सोमनाथ, जिसे कई बार तबाह करने की कोशिश की गई थी।
सोमनाथ का युद्ध
1025 ईसवी में जब अफगानी सुल्तान महमूद गजनी ने गुजरात पर हमला किया तब बैटल ऑफ सोमनाथ की शुरुआत हुई। पर इसकी तैयारी कई सालों पहले शुरू हो गई थी।
1017 ईसवी में अलबरूनी नाम का एक अफगान ट्रैवलर गुजरात आया था। उसने सोमनाथ मंदिर की खूबसूरती, सोने चांदी से बनी मूर्तियों के बारे में अपनी किताब में लिखा।
ये किताब जब महमूद गजनी के हाथों लगी तो लालच और नफरत से भरे उसके मन में शैतानी खयाल पनपने लगे। उसने ठान लिया कि वो सोमनाथ मंदिर की सारी दौलत लूटकर उसे तबाह कर देगा।
कहा जाता था कि सोमनाथ मंदिर के शिवलिंग में श्रीकृष्ण का स्यमंतक मणि छिपाया गया है। यह एक ऐसा मणि था जिससे कभी भी सोने, चांदी और पैसे की कमी नहीं होती थी।
कुछ लोगों का यह भी मानना था कि इसी मणि की जादुई ताकत से सोमनाथ मंदिर का शिवलिंग हवा में तैरता था। जैसे ही स्यमंतक मणि की खबर महमूद गजनी तक पहुंची, वो इसे हासिल करने के लिए पागल सा हो गया।
जैसे ही उसने मंदिर पर हमला किया वो सीधा गर्भगृह में घुस गया। उसने तय कर लिया था कि वो शिवलिंग को तोड़कर स्यमंतक मणि को अपने कब्जे में कर लेगा।
लेकिन हवा में तैरता भव्य शिवलिंग देखकर उसकी सांसे थम गई और वह शिवलिंग के पास जाने से कतराने लगा। उसने अपने सिपाहियों को शिवलिंग के पास जाने को कहा। तब एक हैरान कर देने वाली बात सामने आई।
शिवलिंग के निचले और ऊपरी हिस्से में पत्थरों के बीच एक अलग तरह का मटेरियल रखा गया था लोडस्टोन (Lodestone)।
यह एक ऐसा मटेरियल था जिससे ऊपर और नीचे की तरफ मैग्नेटिक फील्ड बनती थी और इसी की वजह से शिवलिंग हवा में तैरता था। महमूद गजनी ने अपने सिपाहियों से कहकर इन पत्थरों को तोड़ दिया और लोडस्टोन को निकाल फेंका।
जैसे ही ये पत्थर टूटे, हवा में तैरता शिवलिंग जमीन पर आ गिरा। तब उसने शिवलिंग पर हमला कर उसे तोड़ने की कोशिश की। दरवाजे पर लगी सोने की बड़ी चेन को तोड़कर उसने अपने खजाने में शामिल कर दिया।
कहा जाता है कि मंदिर के कई टूटे हिस्सों को गजनी ले गया और सोमनाथ मंदिर के इन पवित्र टुकड़ों से उसने वहां एक मस्जिद की सीढ़ियां बनाई।
बैटल ऑफ सोमनाथ में लगभग 50,000 मासूम लोगों ने अपनी जान गंवाई। महमूद गजनी ने मंदिर से सभी हीरे जवाहरात और सोने चांदी की मूर्तियां चुरा ली।
मंदिर को पूरी तरह तबाह करने के बाद उसने वहां आग लगा दी। इस आग में मंदिर के साथ ही वो हजारों लोग जलकर राख हो गए जो सोमनाथ मंदिर को बचाने के लिए अफगानी सेना से लड़ रहे थे।
कुछ समय बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने मिलकर सोमनाथ मंदिर की मरम्मत करवाई और इस मंदिर को अपनी खोई हुई रौनक वापस मिली।
लेकिन बहुत जल्द इस मंदिर को एक और खतरनाक हमले का सामना करना पड़ा। हमारे इतिहास में ऐसी कई दर्दनाक और संघर्ष भरी घटनाएं छिपी हुई हैं, जिनसे जुड़ी कहानियां कई बार अनसुनी रह जाती हैं और इस वेबसाइट पर हम आपके लिए यही अनसुनी, अनदेखी और अनकही कहानियां लाते रहते हैं।
अलाउद्दीन खिलजी
अपनी तलवार से वार कर मैंने 50 हज़ार काफिरों को जहन्नुम पहुंचा दिया। दिल्ली सल्तनत के बेरहम सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने बड़ी शान के साथ ये ऐलान किया। 12वीं सदी में हुए इस हमले ने फिर एक बार इस भव्य मंदिर की नींव को हिला कर रख दिया।
अलाउद्दीन खिलजी के लिए इस तरह का हमला करना कोई नई बात नहीं थी। वो पहले भी कई बार मंदिरों को तहस नहस कर चुका था। खिलजी ने कई बार हिंदुस्तान पर हमला किया था और मासूम लोगों पर अनगिनत अत्याचार किए थे। उसके हाथ कई बेगुनाह लोगों के खून से सने थे।
सन् 1299 अलाउद्दीन खिलजी ने उला खान के साथ मिलकर गुजरात पर हमला किया। उस समय वाघेला वंश के राजा कर्ण गुजरात पर राज कर रहे थे। उन्होंने पूरी ताकत के साथ खिलजी और उसकी सेना का सामना किया। पर खिलजी इतनी जल्दी हार मानने वालों में से नहीं था।
उसकी नजर गुजरात में बसे सोमनाथ मंदिर पर थी। वो सोमनाथ मंदिर को तबाह कर गुजरात के लोगों की हिम्मत को तोड़ना चाहता था। साथ ही मंदिर को लूटकर अपनी सल्तनत को और मजबूत करना चाहता था।
इन इरादों के साथ खिलजी ने सोमनाथ मंदिर पर हमला कर दिया। हसन निजामी नाम के एक पर्शियन हिस्टोरियन ने अपनी किताब ताजुल नासिर में इस हमले का वर्णन किया है।
हाथों में तलवार लिए लाखों की सेना, हाथी, घोड़े और तोपों के साथ खिलजी ने सोमनाथ पर हमला किया। राजा कर्ण उनकी सेना के साथ खिलजी से लड़ने के लिए तैनात थे।
उनके साथ सोमनाथ के कई आम लोग अपने शहर और मंदिर की रक्षा करने के लिए युद्धभूमि में उतर पड़े। पर खिलजी की विशाल सेना के सामने वो ज्यादा देर टिक नहीं पाए।
रास्ते में आने वाले हर एक इंसान को खिलजी ने मौत के घाट उतार दिया और सोमनाथ मंदिर पर हमला कर उसे तहस नहस कर दिया। खिलजी ने मंदिर में रखे सभी कीमती सामान को लूट लिया और सोमनाथ मंदिर की पवित्र भूमि पर लाशें बिछा दी।
खिलजी को अब भी शांति नहीं मिली थी, उसने वहां मौजूद बच्चों और औरतों को कैद कर लिया और उन्हें अपना गुलाम बना लिया। लूटी हुई दौलत और कैदियों को लेकर अपनी जीत की खुशी में धुत खिलजी दिल्ली लौटने लगा। पर वो ये नहीं जानता था कि उसकी ये खुशी चंद पलों की थी।
जब खिलजी लौट रहा था तब जालौर के राजपूत विरमदेव ने उस पर हमला किया। उन्होंने उल्लाह खान को हरा दिया और खिलजी के कैद किए लोगों को छुड़ा लिया।
इसी के साथ उन्होंने सोमनाथ मंदिर से चुराए हुए सामान को भी अपने कब्जे में कर लिया। कहा जाता है कि इसी लड़ाई ने खिलजी के मन में जालौर के खिलाफ नफरत के बीज बो दिए थे।
यह भी पढ़ें :
भगवान हनुमान की 7 अनसुनी कहानियाँ जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
क्या आपको पता है राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में क्यों नहीं गए शंकराचार्य
जाने आखिर ईरान ने क्यों किया पाकिस्तान पर हमला
किला बन गई अयोध्या नगरी, राम मंदिर की सुरक्षा के लिए आया इजरायाली ड्रोन
औरंगजेब
अलाउद्दीन खिलजी के बाद और भी कई लोगों ने सोमनाथ पर हमला किया, लेकिन हर बार गुजरात के राजाओं ने अपनी पूरी ताकत से इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। पर फिर इस मंदिर पर एक आखिरी बार हमला हुआ मुगल राजा औरंगजेब के द्वारा।
औरंगजेब ने दो बार सोमनाथ मंदिर पर हमला किया इन हमलों का असर इतना बुरा था कि लगभग 200 सालों तक ये मंदिर एक खंडहर बनकर रह गया। 17वीं सदी में औरंगजेब मुगल सल्तनत पर राज कर रहा था।
वो धीरे धीरे पूरे हिंदुस्तान को अपने कब्जे में करना चाहता था। हिंदुस्तान के लोगों को ठेस पहुंचाने और पूरे देश को मुगल साम्राज्य में बदलने के इरादे से उसने कई मंदिरों को तबाह कर दिया था।
और फिर 1701 में उसने गुजरात के सबसे मशहूर सोमनाथ मंदिर को अपना निशाना बनाया। इस हमले में मंदिर का काफी नुकसान तो हुआ पर हर बार की तरह गुजरात के राजघराने ने मंदिर को वापस बनाने की कोशिश शुरू कर दी।
पर दुष्ट औरंगजेब को यह जरा भी मंजूर नहीं था। उसने यह ऐलान कर दिया कि इस मंदिर को जितनी बार बनाया जाएगा, उतनी ही बार तोड़ा जाएगा। इस चेतावनी ने सोमनाथ मंदिर को रीस्टोर करने के एफर्ट पर रोक लगा दी।
अपने कहर बनाए रखने के लिए 1706 में औरंगजेब ने फिर एक बार सोमनाथ मंदिर पर हमला किया। ये एक ऐसा हमला था जिसने सोमनाथ के लोगों में सदियों तक डर का माहौल फैला दिया।
जैसे ही उसकी सेना ने मंदिर पर हमला किया, वहां के पुजारी और बाकी लोग उनका विरोध करने लगे। अपनी ताकत को दर्शाने के लिए औरंगजेब की सेना के सैनिकों ने मंदिर के दो पुजारियों का गला काट दिया।
इतना ही नहीं उन्होंने मंदिर के ठीक सामने एक गाय की बलि दी, जो भी उनके लिए रुकावट बनता मारा जाता। और इस तरह औरंगजेब की सेना ने फिर एक बार सोमनाथ मंदिर को ढेर कर दिया।
करीब 200 सालों तक वीरान पड़े रहने के बाद इस मंदिर को 1951 में एक बार फिर से बनाया गया।
भूमिगत तीर्थ
जिस सोमनाथ मंदिर को आज हम देखते हैं वो इस मंदिर का सातवां रीकंस्ट्रक्शन है। जिसे भारत के पहले प्रेसिडेंट डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की मदद से बनवाया था।
लेकिन इस मंदिर की गहराइयों में कुछ ऐसे राज छिपे हुए थे जो शायद उस समय अनदेखे रह गए थे।2020 आईआईटी गांधीनगर ने सोमनाथ मंदिर में एक आर्कियोलॉजिकल सर्वे कराया।
इस सर्वे में एक बहुत ही चौंका देने वाली बात सामने आई। सोमनाथ के मुख्य मंदिर के नीचे एक तीन मंजिली इमारत के अवशेष मिले।
आईआईटी गांधीनगर की रिपोर्ट से यह सामने आया कि इस इमारत पर कई अलग अलग वंश के राजाओं के निशान बने हुए थे और इसी के साथ ही कुछ ऐसे बर्तन और स्टैचू भी मिले जो इतिहास के अलग अलग पीरियड को रिप्रेजेंट करते हैं।
तो क्या थी ये बिल्डिंग और कैसे ये इतने सालों तक मंदिर के नीचे छिपी रही। स्टोरी की मानें तो औरंगजेब के बाद भी कई मुगल आक्रांताओं ने सोमनाथ मंदिर पर हमला किया था। कई लोगों का मानना है कि इस मंदिर पर 17 से भी ज्यादा बार हमला हो चुका है।
कहा जाता है कि इन्हीं हमलों से बचने के लिए 1783 में इंदौर की रानी अहिल्याबाई ने यहां के शिवलिंग को मुख्य मंदिर के नीचे एक खूफिया मंदिर में छिपा दिया था।
आर्कियोलॉजिस्ट का कहना है कि 2020 की खुदाई में सामने आए अवशेष इसी खूफिया मंदिर के हैं। पर ये खूफिया मंदिर बनाया किसने? इस मंदिर का असल ओरिजिन आज भी एक गहरा राज बना हुआ है।
सोमनाथ शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंग में से सबसे पहला ज्योतिर्लिंग है। इस मंदिर का जितना महत्व है उतना ही पेचीदा इसका इतिहास है।