सनातन बनाम विज्ञान
टोक्यो, एक आदमी फ्लाइट से उतरता है। एयरपोर्ट पर लैंडिंग के बाद अपना पासपोर्ट कस्टम में दिखाता है और वहां का पूरा स्टाफ वह देखकर चौंक जाता है। उस आदमी के पास तौरेद नाम के देश का पासपोर्ट था। एक ऐसा देश जो हमारी दुनिया के नक्शे में कहीं पर है ही नहीं।
यह प्रूव करने के लिए कि वह इंसान तौरेद देश से ही था, उसने अपने ऑथेंटिक डॉक्यूमेंट्स अथॉरिटीज के आगे रख दिए। बैंक स्टेटमेंट, होटल रिजर्वेशन, एंप्लॉयमेंट रिकॉर्ड सब डॉक्यूमेंट्स पर देश तौरेद लिखा हुआ था।
इतना ही नहीं, जब इन्वेस्टिगेशन के दौरान उन सब होटल्स में कॉल किया गया, बैंक को कॉन्टैक्ट किया, तब उस आदमी की कोई भी डिटेल्स किसी भी जगह पर मिली ही नहीं। जैसे यह इंसान हमारे जैसे ही किसी और दुनिया से अचानक लैंड हो गया हो।
कई दिनों तक इन्वेस्टिगेशन चलती रही और एक दिन अचानक वह जिस जगह ठहरा था, वहां से हमेशा के लिए गायब हो गया। वह इंसान जैसे इस दुनिया में आया था, वैसे ही रहस्यमयी तरीके से गायब भी हो गया।
यह कहानी एक फिक्शन बुक 'डायरेक्टरी ऑफ पॉसिबिलिटीज' में लिखी है। लेकिन ऐसी कई और कहानियां हैं जो एक अलग दुनिया की तरफ इशारा करती हैं। लेकिन क्या यह सब सच में हो सकता है? आखिर क्या है Parallel Universe का राज।
Parallel Universe एक ऐसा कॉन्सेप्ट जो नया नहीं है, बल्कि हमारे धर्मग्रंथो में इसका जिक्र कई बार किया गया है। एक बार जब श्रीराम का इस धरती से जाने का समय आया तो वह जानते थे कि हनुमान जी यमराज को उन तक आने नहीं देंगे।
इसलिए श्रीराम ने अपनी अंगूठी को धरती की धरा से पाताल लोक में गिरा दिया। उन्होंने हनुमान जी से उसे वापस लाने को कहा। इस मिशन को पूरा करने के लिए हनुमान जी ने अपने शरीर को बहुत छोटा बना लिया और दरार में घुस गए।
पराशर संहिता के भाग 4 के अनुसार हनुमान जी को वहां ढेर सारी अंगूठियों का पहाड़ मिला था। ये सारी अंगूठियां श्रीराम की ही थी। इस कहानी के अनुसार श्रीराम का अपनी अंगूठी को नीचे गिराना और हनुमान जी से कहना कि उसे वापस लेकर आएं यह सिर्फ एक बार नहीं होता यह घटना बार बार होती आ रही है और आगे भी होती रहेगी ।
चीन में चाइना के लोगों ने बहुत ही चमत्कारिक घटनाएं देखीं हैं । एक दिन आसमान को चीरते हुए लोगों को एक शहर दिखाई दिया। एक लंबी इमारतों वाला शहर जिसने जमीन पर एक भयानक साया छोड़ दिया।
कई लोकल नागरिकों ने आसमान से निकलते शहर को विटनेस किया और फिर कुछ ही पलों में पूरा शहर जैसे उसी आसमान में गायब हो गया। कई लोग इस बात को Fata Morgana यानी मिराज कहते हैं।
लेकिन कई लोग मानते हैं कि उस दिन में चाइना में शायद एक parallel universe का पोर्टल खुल गया था और वो शहर शायद किसी और ब्रह्मांड में आज भी मौजूद है।
Parallel Universe, जब हम यह शब्द सुनते हैं तब हम अक्सर डॉक्टर स्ट्रेंज या द क्रॉनिकल्स नार्निया जैसी फिक्शनल मूवीज को इमेजिन करते हैं, जिसमें हमारा नायक बुराई का सामना नहीं कर पाता। उसकी दुनिया बर्बाद हो रही होती है।
फिर एक दिन वह किसी और parallel universe में पहुंच जाता है और वहां वह एक सुपरहीरो है, जो दुनिया को बचा लेता है। अभी तक हम सबको यह सब सिर्फ साइंस फिक्शन ही लगता है। लेकिन अगर हम साइंटिफिक थ्योरीज की तह में जाएं तो शायद यह सिर्फ फिक्शन न हो।
डॉक्टर Michio Kaku एक मशहूर फिजिसिस्ट का मानना है कि अगर parallel universe का अस्तित्व है तो हकीकत में हम सब की वर्चुअल कॉपी भी अस्तित्व मैं होगी , जो कि अलग डिसीजंस ले रही हैं, अलग कर्म कर रहे हैं और अलग जिंदगी जी रहे हैं।
लेकिन Michio Kaku का कहना है कि इन रियलिटी की वजह से शायद कोई भी इंसान यहां इस ब्रह्मांड में क्राइम कर सकता है और फिर दूसरे यूनिवर्स में अपनी पैरलल लाइफ जीने जा सकता है, क्योंकि वह जानता है कि इस दूसरे ब्रह्मांड में उसे उस क्राइम का परिणाम नहीं भुगतना पड़ेगा।
सिर्फ इतना ही नहीं, इस थ्योरी में और भी कई माइंड ब्लोइंग डिटेल्स हैं। मैक्स एमआईटी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के एक प्रोफेसर के हिसाब से parallel universes चार तरह के हो सकते हैं।
पहले तरीके का parallel universe
इस प्रकार के parallel universe में हमारे जैसे कई और ब्रह्मांड है। यह यूनिवर्स बिल्कुल हमारे यूनिवर्स की तरह है। यही ग्रैविटी, यही नियम , हमारी जैसी ही दुनिया, हमारे जैसा ब्रह्मांड। लेकिन यह इतने दूर है कि हम उनके बारे में कुछ भी नहीं जानते।
इसे समझने के लिए इमेजिन कीजिए कि आप एक बड़े बाजार में हैं और वहां बहुत सारे लोग हैं, लेकिन सब लोग आपसे बहुत दूर खड़े हैं। इतनी दूर कि आप उन्हें देख नहीं सकते और उनके बारे में कुछ भी नहीं जानते।
वैसे ही टाइम यूनिवर्स में भी हम दूसरे ब्रह्मांड से इतने दूर हैं कि उसे देख नहीं सकते, जिस वजह से हमारे पास उनके बारे में कोई भी इंफॉर्मेशन नहीं है।
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दूसरा तरीके का parallel universe
पिछले यूनिवर्स की ही तरह यह यूनिवर्स भी बिल्कुल हमारे यूनिवर्स की ही तरह है। लेकिन यह माना जाता है कि यह यूनिवर्स हमेशा एक्सपैंड हो रहा है। तो दूसरे प्रकार का यूनिवर्स हमसे इतनी दूर है कि हम न तो वहां कोई मैसेज भेज सकते हैं और न ही रिसीव कर सकते हैं।
और ऐसा यूनिवर्स हमसे हर रोज तेजी से और भी दूर जा रहा है। यह दोनों यूनिवर्स हमारी ही दुनिया की तरह हैं। बस एक दूर है और दूसरा और दूर जाता जा रहा है। तो हो सकता है कि ऐसे यूनिवर्स में भी आप जी रहे हो। वहां भी शायद आप इस आर्टिकल को इस समय पढ़ रहे हो।
तीसरे प्रकार का parallel universe
जरा सोचिए, आपकी लाइफ की हर चॉइस के लिए एक यूनिवर्स है। सोचिए आप एक जंक्शन पर खड़े हैं और आपके सामने दो रास्ते हैं। आप यहां एक रास्ते को चुनते हैं, लेकिन किसी और ब्रह्मांड में आपने उस दूसरे रास्ते को चुना होता है।
ऐसे ही टाइप थ्री parallel universe में हमारी सारी चॉइस पूरी होती है लेकिन अलग अलग यूनिवर्स में। यह parallel universe में इंटरप्रिटेशन थ्योरी को समझाता है, जहां हर चॉइस का एक वर्ल्ड है।
तो सोचिए अपनी जिंदगी के हर फैसले को और हर उस चॉइस को जो आपने नहीं ली। अगर आप वह रास्ता चुनते तो आज कैसी होती आपकी जिंदगी या यूं कहें कि कैसी चल रही होगी आपकी जिंदगी किसी और यूनिवर्स में।
चौथे प्रकार का parallel universe
इस प्रकार के यूनिवर्स में हमारे यूनिवर्स के जैसे नियम नहीं लागू होते हैं तो यह यूनिवर्स जैसे की एक जादुई दुनिया है जहां ऊपर नीचे का पता नहीं होता और समय आगे पीछे चलता है।
जहां ग्रैविटी उलटा काम करती है या फिर वहां ग्रैविटी होती ही नहीं है और हम सब हवा में उड़ रहे होते हैं। यह सब सुनने में अजीब लगता है, लेकिन अल्बर्ट आइंस्टाइन ने parallel universe की थ्योरी को Schrödinger's cat एक्सपेरिमेंट से समझाने की कोशिश की थी।
यह एक थॉट एक्सपेरिमेंट है, जिसका मानना है कि जब हम किसी पॉसिबिलिटी को इमेजिन करते हैं तो वह एक्चुअल में किसी यूनिवर्स में हो रही होती है। तो हमारी सोच हमारे दिमाग में मौजूद थॉट्स और सारी पॉसिबिलिटीज ये सब सिर्फ कल्पना नहीं, बल्कि पैरलल वर्ल्ड में हमारी रियलिटी है।
कुछ लोग यह भी मानते हैं कि Deja vu यानि ऐसी फीलिंग जब आपको लगता है कि कोई सिचुएशन पहले भी हुई है, वह फीलिंग का मतलब शायद यह है कि यह सिचुएशन आपने किसी और यूनिवर्स में पहले भी एक्सपीरियंस की है। parallel universe शायद सिर्फ एक थ्योरी ही नहीं है, बल्कि इसके कई एग्जाम्पल भी दुनिया महसूस कर चुकी है।
Indian Multiverse
पुराणों के मुताबिक देवलोक, पाताल लोक, पृथ्वीलोक और यम लोक ये सारे लोक एक कलेक्टिव विश्व को बनाते हैं, जिसे Multiverse कहते हैं। हमारे ग्रंथो में 14 लोकों या दुनिया के बारे में भी बताया गया है। उनके मुताबिक सात लोक आसमान में हैं और सात लोक जमीन के नीचे।
पैंगल उपनिषद जैसे अलग अलग उपनिषदों में भी अनंत मैक्रो कॉस्मोस या ब्रह्माण्ड के बारे में बताया गया है। जैन धर्म में भी अलग अलग ब्रह्माण्डों या लोकों का कॉन्सेप्ट बहुत विस्तार से देखने को मिलता है।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्माण्ड चक्र में घूमती है और विष्णु भगवान के अंतिम अवतार कल्कि के आने से लगभग 4 लाख 32 हज़ार साल बाद एक दुनिया के अंत का समय आ जाता है।
निष्कर्ष
तो parallel universe और पैरलल रियलिटी शायद एक काफी रियल पॉसिबिलिटी हो सकती है। अभी इस समय जब आप यहां हैं और इस लेख को पढ़ रहे हैं, शायद किसी और दुनिया में आप कुछ और कर रहे हों। फिजिक्स और हमारे ग्रंथ तो यही कहते हैं। अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद।