दोस्तों शाहरुख खान की मूवी का एक बहुत ही फेमस डायलॉग है जो लगभग हम सभी के दिमाग में बसा हुआ है। कहते हैं "अगर किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है"। कुछ ऐसा ही ख्याल हमारी आज के इस बुक के ऑथर नेपोलियन हिल का भी है। इसलिए तो उन्होंने अपनी इस बुक का टाइटल भी Think and Grow Rich रखा है।
उनका कहना है कि यह सिर्फ एक सेंटेंस नहीं बल्कि हकीकत है। अगर कोई व्यक्ति यह ठान लेता है कि उसे अमीर बनना है तो जिंदगी में लाख परेशानियां आने के बावजूद भी वह व्यक्ति एक न एक दिन अमीर बन ही जाता है। अमेरिकी लेखक नेपोलियन हिल द्वारा लिखी गई पुस्तक Think and Grow Rich एक बेस्ट सेलर बुक है। .
बताया जाता है कि नेपोलियन हिल ने अपनी 20 वर्षों की कठोर मेहनत के बाद इस पुस्तक को तैयार किया है। लोगों के मुताबिक यह एकमात्र ऐसी पुस्तक है, जो लोगों को फाइनेंशियल फ्रीडम दिलाने में मददगार साबित हुई है। वैसे तो नेपोलियन हिल ने फाइनेंस और सक्सेस पर बहुत सी किताबें लिखी है, लेकिन उनमें उनकी यह बुक Think and Grow Rich लोगों के लिए अमीर होने का ब्लूप्रिंट साबित हुई। इसी बुक से उन्हें इंटरनेशनल लेवल पर प्रसिद्धि प्राप्त हुई।
दरअसल, हुआ ऐसा कि करियर के स्टार्टिंग में ऑथर नेपोलियन हिल की मुलाकात एंड्र्यू कार्नेगी नाम के व्यक्ति से हुई, जो उस समय के सबसे रिच और सक्सेसफुल पर्सनैलिटीज में से एक थे। कुछ लोगों का मानना है कि एंड्रू कार्नेगी अमेरिका के पहले बिलेनियर थे। ऑथर नेपोलियन हिल उस समय एक मैगजीन के लिए राइटर का काम करते थे, तो उस मैगजीन ने उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी की वह जाकर एंड्रू कार्नेगी का इंटरव्यू लें।
इंटरव्यू शुरू होने से पहले ऑथर काफी नर्वस थे, लेकिन जब उन्होंने एंड्रू कार्नेगी से बातचीत शुरू की तो उन्हें काफी रिलैक्स फील हुआ, क्योंकि इसी दौरान उन्हें पता चला कि ऑथर की ही तरह एंड्रू कार्नेगी भी एक बहुत हंबल बैकग्राउंड से बिलॉन्ग करते हैं। उनकी मां एक मोची थी और उनके पिता कपडे बेचा करते थे।
पिता का बिजनेस ठप हो जाने के कारण उनकी पूरी फैमिली फाइनेंशियल क्राइसिस में चली गई। इसके चलते एंड्रू कार्नेगी को अपने स्कूल से ड्रॉपआउट लेना पडा और अपना घर चलाने के लिए दुनिया भर के छोटे मोटे काम करने पडे। लाख परेशानियां होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने हार्डवर्क के थ्रू अमेरिका के पहले बिलेनियर बने। आमतौर पर जब भी कोई इंटरव्यू होता है तो ज्यादा से ज्यादा वह कुछ घंटे तक ही चलता है।
लेकिन एंड्रू कार्नेगी की लाइफ की स्टोरी इतनी इंटरेस्टिंग थी कि ऑथर को सुनने में मजा आने लगा और यह इंटरव्यू अगले तीन दिन तक चला। इस इंटरव्यू से ऑथर बहुत ज्यादा इंस्पायर हुए और उन्होंने सोचा क्यों न इसी तरह और भी सक्सेसफुल लोगों के साथ बातचीत की जाए और उनकी नॉलेज और एक्सपीरियंस को लोगों को बताया जाए।
इस बात पर एंड्रू कार्नेगी ने भी उनका समर्थन किया और उनसे कहा कि आप दुनिया के सभी सक्सेसफुल और रिच पर्सनैलिटीज का इंटरव्यू लीजिए और उसके थ्रू एक फिलॉसफी जेनरेट कीजिए, जिससे दुनिया में जो भी व्यक्ति अपने दम पर कुछ बड़ा करना चाहता है और सक्सेसफुल होना चाहता है, उसे इस फिलॉसफी से इंस्पिरेशन और एक सही डायरेक्शन मिल सके।
ऑथर ने उनकी इस बात को माना और अपने जीवन के अगले 20 साल दुनिया के हर सफल व्यक्ति का इंटरव्यू लिया। इन इंटरव्यू से उन्हें जो भी नॉलेज, एक्सपीरिएंस और लर्निंग प्राप्त हुई, उसे उन्होंने एक बुक के रूप में कंपाइल कर दिया, जिसे आज हम Think and Grow Rich के नाम से जानते हैं।
इस बुक में ऑथर ने कुल 13 प्रिंसिपल्स के बारे में बात की है, जिन्हें अपनाकर दुनिया के सभी सक्सेसफुल लोग इतने अमीर और डिजर्विंग बने हैं। यानी कि दुनिया का कोई भी व्यक्ति अगर इन 13 प्रिंसिपल्स को अच्छे से फॉलो करता है तो वह निश्चित ही एक न एक दिन सक्सेसफुल और अमीर बन जाएगा। तो आइये जानते हैं क्या है ये 13 प्रिंसिपल्स।
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1. Desire
तो दोस्तों , जो पहला प्रिंसिपल है वो है डिजायर वो भी सिंपल नहीं बल्कि बर्निंग डिजायर। यानी कि जिस भी चीज या मुकाम को आप पाना चाहते हैं उसके लिए आपके अंदर एक आग होनी चाहिए। क्योंकि किसी भी बड़े काम की शुरुआत इसी बर्निंग डिजायर से होती है ,और उसकी सक्सेस भी इसी बात पर डिपेंड करती है कि उसे पाने की आपके अंदर कितनी तीव्र इच्छा है। ऐसी इच्छा जो हमारे दिलो दिमाग पर हावी हो जाए।
यह एक परमानेंट मेंटल स्टेट बन जाए कि यह हमें प्राप्त करना ही है। फिर इसके पीछे लगन से जुट कर इस इच्छा या डिजायर को मूर्त रूप में आसानी से कनवर्ट किया जा सकता है। ऑथर बताते हैं कि उनका छोटा बेटा जन्म से ही मूक बधिर यानी कि गूंगा और बहरा था।
डॉक्टर्स का मानना था कि वह कभी भी बोल और सुन नहीं पाएगा, लेकिन नेपोलियन हिल और उनकी पत्नी की प्रबल इच्छा थी कि वह बोले और सुनें। कई सालों की मेहनत और लगन के बाद ऐसा हुआ भी और उनका बेटा पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गया।
ऑथर का मानना है कि इंसान के माइंड की कोई लिमिट नहीं है यह limitless है। यह तब तक ही दिक्कत करता है, जब तक तुम किसी चीज को मान लेते हो और उसे अपनी लिमिट के रूप में सेट कर लेते हो। वरना जैसे ही तुम अपने माइंड को ओपन करते हो, वैसे ही तुम वह बन जाते हो जो तुम सालों से बनने की कोशिश कर रहे थे।
2. Faith
माना कि आप कोई काम कर रहे हैं और उसमें सक्सेस भी प्राप्त करना चाहते हैं तो उसके लिए सबसे जरूरी है कि आपका उस काम में और उसको करने की प्रोसेस में फेथ होना। यानी कि आपको यह विश्वास हो कि आप जो काम कर रहे हैं वह बिल्कुल सही कर रहे हैं और जिस भी प्रोसेस को आप अपना रहे हैं वह एकदम सही है और इसी के थ्रू ही आप जल्दी से जल्दी सक्सेस अचीव कर लेंगे।
अगर आप हर समय अपने काम और प्रोसेस को क्वेश्चन ही करते रहते हैं जैसे मैं जो काम कर रहा हूं, क्या वह सही है? अगर ऐसा ही चलता रहा तो क्या मुझे सक्सेस मिल जाएगी? ऐसी सिचुएशन में यह बहुत ही मुश्किल है कि आपके काम और हार्ड वर्क का रिजल्ट पॉजिटिव हो, क्योंकि यहां आपका सारा ध्यान क्वेश्चन पर है, न कि काम पर।
कन्फ्यूज होने के कारण आप अपना हंड्रेड परसेंट नहीं दे पाते और आप अंततः फेल हो जाते हैं। इसके अलावा सक्सेस इस बात पर भी डिपेंड करती है कि आपको उस काम से प्यार है या नहीं। अगर आप अपने काम को बोझ की तरह कर रहे हैं और जैसे तैसे उसे पूरा कर रहे हैं, तो फिर ऐसी सिचुएशन में यह बहुत ही मुश्किल है कि आप सक्सेसफुल हो पाए। इसलिए अपने काम के प्रति लगन और फेथ होना बहुत जरूरी है।
3. Suggestion
ऑथर का मानना है कि सक्सेस पाने के लिए आपको अपना गोल दिमाग के सब कॉन्शस माइंड में बिठाना होगा। आपको लगातार उसे सजेशन देते रहना होगा। इसके लिए उन्होंने तीन स्टेप्स बताए हैं।
- पहला, अपने लक्ष्य को एक कागज पर लिखें।
- दूसरा, इसे सात अलग अलग जगहों पर बैठकर दोहराएं।
- तीसरा, इस काम को सुबह और शाम दोनों समय पर करें।
दोहराने से यह मतलब तोते की तरह रटने से नहीं, बल्कि इस दोहराने का मतलब है अपने दिमाग को याद दिलाना कि उसे क्या करना है। इस दोहराने में एक फील होना चाहिए जिससे आपका दिमाग रिस्पांसिबल और मोटिवेटेड फील करें।
4. Imagination
अब अगला यानी कि चौथा प्रिंसिपल है इमेजिनेशन। किसी भी चीज को प्राप्त करने से पहले जनरली हम सभी को उसका इमेजिनेशन ही आता है और जो व्यक्ति कुछ इमेजिन ही नहीं कर पाता वह कभी कुछ भी नहीं कर पाता। जब तक आप यह इमेजिन नहीं कर पाएंगे कि आप कार खरीदेंगे तो उससे क्या क्या करेंगे, जैसे कहां कहां घूमेंगे, उसकी कंपनी को कितना एंजॉय करेंगे। तब तक आप उस कार को पाने के लिए कोशिश ही करना शुरू नहीं करेंगे।
जैसे जिस पर्सन ने कोकाकोला का फॉर्मूला इन्वेंट किया था, उसके दिमाग में सिर्फ यह था कि वह एक ड्रिंक बनाएगा। लेकिन उसने यह कभी इमेजिन ही नहीं किया था कि वह इसे इंटरनेशनल ब्रांड बनाएगा या पूरे वर्ल्ड में बेचेगा। यह इमेजिन किया उस यंग मैन ने जिसे बाद में इस कोकाकोला का फॉर्मूला बेचा गया और आज देखिए उसका इमेजिनेशन एक हकीकत है।
आज के टाइम में कोका कोला सॉफ्ट ड्रिंक पूरे वर्ल्ड का नंबर वन ब्रांड है। इसलिए तो इमेजिनेशन ही एकमात्र ऐसी चीज है जो आपके ब्रेन को एक डायरेक्शन और मोटिवेशन देती है। काम करने की।
5. Specialized knowledge
किसी भी फील्ड या काम में सक्सेसफुल होने के लिए सबसे जरूरी है कि आपको उसके बारे में स्पेसिफिक नॉलेज हो, वरना आप अपने गोल को पूरा नहीं कर पाएंगे। जैसे अगर आप एक सॉफ्टवेयर डेवलपर बनना चाहते हैं, लेकिन आपको कंप्यूटर या प्रोग्रामिंग लैंग्वेज नहीं आती है तो आप कभी भी एक सॉफ्टवेयर नहीं बना पाएंगे।
और अगर आपकी जिद है कि मुझे सॉफ्टवेयर बनाना ही बनाना है तो उसके लिए आपको स्पेशलाइज्ड नॉलेज लेनी होगी। यानी कि आपको प्रोग्रामिंग और लैंग्वेज सीखनी होगी।
6. Organized Planning
अब अगला प्रिंसिपल है ऑर्गेनाइज्ड प्लानिंग। किसी भी व्यक्ति की सक्सेस में प्लानिंग का एक बहुत बडा रोल होता है। यानी कि आप जिस भी गोल को करना चाहते हैं, उसके लिए ऑर्गनाइज प्लानिंग करें वरना बहुत अधिक संभावना रहती है कि आप अपने गोल से distract हो जाते हैं और किसी दूसरे डायरेक्शन में चले जाते हैं।
इसलिए तो आपने अपने चारों तरफ देखा होगा कि ज्यादातर लोग ऐसे ही हैं जो करना कुछ और चाहते थे, बनना कुछ और चाहते थे लेकिन बन गए कुछ और। क्योंकि उन्होंने कभी ऑर्गनाइज प्लानिंग नहीं करी और यही कारण है कि वे फोकस नहीं रह पाए और अपनी डायरेक्शन से भटक गए।
7. Ability of Decision Making
यानी कि निर्णय लेने की क्षमता। माना जाता है कि दुनिया के सक्सेसफुल लोगों में से एक हेनरी फोर्ड की सक्सेस का राज भी उनकी डिसीजन मेकिंग एबिलिटी ही थी। वे बडे से बडे डिसीजन मिनटों में ले लिया करते थे और वह भी पूरे आत्मविश्वास के साथ।
सोसाइटी में अधिकतर लोग इसी वजह से फेलियर साबित हो जाते हैं, क्योंकि उनके अंदर आत्मविश्वास की कमी होने के कारण वे अपने डिसीजन सही टाइम पर नहीं ले पाते। अगर किसी भी सेक्टर में या फील्ड में लीड करने की चाहत आपके मन में है तो यह एबिलिटी आपके अंदर होना सबसे जरूरी है।
8. Power of Devotion
यानी कि किसी काम या ड्रीम के प्रति आपका समर्पण या उसे प्राप्त करने की लगन। हालांकि लगन शब्द के पीछे कोई बडा अर्थ नहीं छिपा हुआ है, लेकिन यह गुण इंसान के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि स्टील बनाने के लिए कार्बन।
आज अगर हम आधुनिक युग में टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्री में सफल हुए लोगों पर नजर डालें तो हम देखेंगे कि उन सभी व्यक्तियों में एक कॉमन क्वॉलिटी है और वह है अपने काम के प्रति डिवोशन या लगन। ऑथर नेपोलियन हिल इसे डेवलप करने के लिए चार स्टेप्स बताते हैं।
- नंबर वन फिक्स गोल यानी कि एक निश्चित लक्ष्य ।
- नंबर टू गुड प्लानिंग अर्थात एक अच्छी योजना।
- नंबर थ्री पॉजिटिव माइंड
एंड नंबर फोर वैरी डिटर्मिन्ड ग्रुप। यानी कि कुछ ऐसे लोग जो आप ही की तरह फोकस्ड और मेहनती हो और आपके उस गोल को अचीव करने में मददगार साबित हो सके।
9. Improvement of Self Power
अगला यानी 9th प्रिंसिपल है इम्प्रूवमेंट ऑफ सेल्फ पावर। यानी कि अपने अंदर की ऊर्जा को लगातार समय के साथ इंप्रूव करते रहना ताकि आप वक्त के साथ साथ चल सके और कहीं पिछड़ न जाएं। सेल्फ इंप्रूवमेंट ही वह तरीका है जिसके थ्रू आप एक लंबे समय तक खुद की relavency बनाए रख सकते हैं।
सेल्फ पावर से यहां ऑथर का मतलब शारीरिक ताकत से नहीं बल्कि ब्रेन पावर से है। इसे बढाने के लिए आप अपने जैसे इंटेलिजेंट लोगों को अपने आसपास रख सकते हैं और उनकी एक टीम बना सकते हैं।
10. Sex Transmutation
नेक्स्ट प्रिंसिपल है सेक्स ट्रांसम्यूटेशन यानी कि हमारे अंदर जो सेक्स पावर या एनर्जी है उसका रूपांतरण। ऑथर कहते हैं कि सेक्स एक ऐसी चीज है जिसमें सबसे ज्यादा एनर्जी होती है। इसीलिए तो इसका आनंद उठाने के बाद व्यक्ति थका हुआ महसूस करता है।
उनका कहना है कि अगर हम इस एनर्जी के पावर हाउस को अपने लक्ष्य की तरफ ट्रांसफर कर दें तो हमारी एफिशिएंसी पहले के मुकाबले लाख गुना बेहतर हो जाएगी और हम बहुत ही फोकस तरीके से काम कर पाएंगे। इस एनर्जी का यूज करके हम बडे से बडे लक्ष्य को भी आसानी से प्राप्त कर पाएंगे।
11. Control of Subconcious Mind
अब नेक्स्ट प्रिंसिपल है कंट्रोल ऑफ सबकॉन्सियस माइंड यानी कि अवचेतन मन पर नियंत्रण करना। सब कॉन्शियस माइंड वो एरिया है जिसमें कॉन्शस माइंड के द्वारा फाइव सेंसेज के माध्यम से जो बातें पहुंचाई जाती है, उन सभी का रिकॉर्ड दर्ज होता है।
अगर हम अपने सब कॉन्शियस माइंड तक पॉजिटिव मटेरियल पहुंचाएंगे तो वह पॉजिटिव डाटा स्टोर करेगा और पॉजिटिव बैकअप तैयार करेगा। वहीं, अगर हम उसे नेगेटिव थॉट्स पहुंचाएंगे तो वह उन्हें नेगटिवली स्टोर करेगा।
इसलिए ऑथर ने कुछ पॉजिटिव और नेगेटिव थॉट्स का जिक्र किया है, जिनमें से पॉजिटिव को स्टोर करना है और नेगेटिव को माइंड से दूर रखना है। पॉजिटिव थॉट है इच्छा, आस्था, प्रेम, वासना, उत्साह, रोमांस और आशा। नेगेटिव थॉट्स हैं डर, ईर्ष्या, घृणा, लालच, क्रोध, प्रतिशोध, अंधविश्वास।
12. Fresh Brain
दोस्तों हमारे ब्रेन में दो तरीके के सिस्टम होते हैं। एक होता है ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम, दूसरा होता है रिसीविंग सिस्टम और दोनों सिस्टम का सही रूप से काम करना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए बहुत जरूरी है दिमाग का फ्रेश रहना और यह तभी पॉसिबल है जब हम समय समय पर इसे एंटरटेनमेंट और ट्रैवलिंग जैसे खुराक देते रहेंगे। वरना यह बहुत ही जल्दी ब्लॉक हो जाएगा और आपके काम में रुकावट पैदा हो जाएगी।
13. The Use Of Sixth Sense
दोस्तों सिक्स्थ सेंस एक ऐसा सेंस है जो हम सभी को दिखाई नहीं देता, लेकिन होता जरूर है, जिसके थ्रू हमारे दिमाग में ऐसे ऐसे आइडियाज आते रहते हैं, जो जनरली सोचना पॉसिबल नहीं होता। यही वह सेंस है, जहां से क्रिएटिविटी जन्म लेती है और एक मूर्तिकार को एक पत्थर में भी मूर्ति नजर आने लगती है।
इसका यूज तभी पॉसिबल है जब कोई व्यक्ति पिछले 12 प्रिंसिपल पर अपनी कमांड कर लेगा। उसके बाद उसका सिक्स्थ सेंस ओपन हो जाएगा और वह एक सक्सेसफुल व्यक्ति के रूप में लोगों के सामने होगा।
Wrapping up
तो दोस्तों ये थे वो 13 प्रिंसिपल Think and Grow Rich बुक में से। आप हमें कमेंट करके यह बताइए कि आपको कौन सा प्रिंसिपल सबसे ज्यादा अच्छा लगा।