दोस्तों एक अंतराष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 78% लोग अपनी जॉब को लेकर सिक्योर नहीं हैं। वे हर समय इस टेंशन में रहते हैं कि उन्हें कभी भी जॉब से निकाल दिया जाएगा और इसकी वजह है इंडिया का एजुकेशन सिस्टम और यही आज के हमारे टॉपिक का सबसे पहला रीजन भी है कि क्यों एक आम आदमी के अमीर बनने के चांसेज बहुत कम हैं।
1. Indian Education System
दोस्तों यह बात शायद हमें बताने की जरूरत नहीं है कि हमारा एजुकेशन सिस्टम प्रैक्टिकल बेस्ड टास्क से ज्यादा लिखित परीक्षा और मार्क्स पर फोकस करता है। यही वजह है कि देश में ज्यादातर स्टूडेंट्स ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद भी इंटरव्यू का सामना करते समय खुद में कॉन्फिडेंस और स्किल्स की कमी महसूस करते हैं।
जिस वजह से उन्हें जॉब नहीं मिलती है और अगर मिलती भी है तो सैलरी इतनी कम होती है कि उससे गुजारा करना उनके लिए काफी डिफिकल्ट होता है। और आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे यहां बेरोजगारी रेट में अनपढ़ लोगों से ज्यादा पढ़े लिखों की संख्या ज्यादा है।
यह जानकारी खुद केंद्र सरकार ने लोकसभा में दी थी। सरकार का कहना था कि ग्रैजुएट लोगों का बेरोजगारी रेट 17% है, जबकि अनपढ़ लोगों का अन एंप्लॉयमेंट रेट सिर्फ 0.6% है। वहीं अगर नेशनल एंप्लॉयबिलिटी रिपोर्ट पर गौर करें तो इसमें दावा किया गया था कि देश के 98.5 परसेंट इंजीनियर भविष्य में आने वाली नई नौकरियों के काबिल ही नहीं हैं। यानि आप सोच सकते हैं कि हमारा एजुकेशन सिस्टम आज किस ओर जा रहा है।
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अब आप जरा ऊपर दिखायी गयी इमेज पर गौर कीजिए। यह बिहार के प्राइमरी स्कूल की इमेज है, जहां मैडम पैर पसारकर ऐसे सो रही है मानो कई सालों से सोई न हो और बेचारे बच्चे इस उम्मीद में बैठे हैं कि मैडम उठेगी और उन्हें पढ़ाएगी। दोस्तों, यह तो सिर्फ एक इमेज है।
ऐसे न जाने कितने वीडियो आपको सोशल मीडिया पर देखने को मिल जाएंगे जो देश के सरकारी स्कूलों की पोल खोलते हुए नजर आते हैं। जब बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन मिलेगी ही नहीं तो भला उन्हें जॉब कैसे मिलेगी और जब जॉब ही नहीं मिलेगी तो पैसे कमाना और अमीर बनना दोनों ही बहुत दूर की बात है।
2. Lack of Strong Networking and Money
अब दूसरा रीजन है Lack of Strong Networking and Money। दोस्तों यहां आप में से बहुत से लोग सोच रहे होंगे कि अगर हमें नौकरी नहीं मिलेगी तो हम कोई बिजनेस कर लेंगे। क्योंकि इंडिया में लगभग जितने भी अमीर लोग हैं फिर चाहे वह अंबानी हो, अडानी हो, टाटा हो या फिर बिरला सभी के सभी बिजनेस मैन है। हम भी बिजनेस करेंगे और अमीर बन जाएंगे।
तो दोस्तों बिजनेस को स्टार्ट करना इतना आसान भी नहीं होता है। इसमें कई सारे प्रॉब्लम्स फेस करने पड़ते है जिसमें अगर सबसे बड़ी प्रॉब्लम की बात करें तो वह है पैसा। हमारे यहां लोगों के पास बिजनेस आइडिया तो होता है लेकिन पैसे की कमी होने की वजह से वह आइडिया सिर्फ आइडिया बनकर ही रह जाता है।
अगर आप बिज़नेस के लिए लोन लेने की सोच रहे है तो आपको बता दें कि लोन भी सबको नहीं मिलता है। भारी भरकम लोन के लिए या तो आपके पास गिरवी रखने के लिए कोई बड़ी चीज होनी चाहिए या फिर आपकी नेटवर्किंग काफी स्ट्रांग होनी चाहिए।
और यही रीजन है कि जो बड़े बिजनेसमैन होते है उनकी पहचान भी बड़े लोगों से होती है जिस वजह से उनकी नेटवर्किंग काफी स्ट्रांग होती है और उन्हें बड़े बड़े लोन आसानी से मिल जाते है। ऐस एग्जाम्पल आप विजय माल्या का देख सकते है।
उनकी फाइनेंशियल कंडीशन अनस्टेबल होने के बाद भी उन्हें बैंक से लोन मिल गया था क्योंकि उनका पॉलिटिकल इन्फ्लुएंस काफी स्ट्रांग था। रिपोर्ट्स के मुताबिक विजय माल्या ने देश के 17 बैंकों से करीब 9000 करोड़ रुपये का घोटाला किया था। और आपको बता दें ये पैसे किसी और के नहीं बल्कि हम और आप जैसे आम लोगों के थे।
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3. Lack Of Financial Education
अब तीसरा रीजन है Lack Of Financial Education। दोस्तों आजकल जल्द से जल्द अमीर बनने की चाह में बहुत से लोग शॉर्टकट के पीछे भागने लगे है। आपको अपने आस पड़ोस के दोस्तों में ऐसे कई लोग मिल जाएंगे जो स्टॉक मार्केट में पैसा लगाकर अमीर बनने का ख्वाब देखते है।
अब स्टॉक मार्केट में पैसा इन्वेस्ट करना गलत नहीं है लेकिन बिना फाइनेंशियल एजुकेशन के पैसा इन्वेस्ट करना गलत है। हाल ही में चेन्नई से एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करने वाले 26 साल के भुवनेश ने बैंक से ₹10 लाख का कर्ज लेकर अपने दोस्तों की मदद से उसे शेयर बाजार में इन्वेस्ट किया था।
और बिना फाइनेंशियल नॉलेज के पैसा इन्वेस्ट करने की वजह से भुवनेश का सारा पैसा उसकी आंखों के सामने डूब गया। जिसके बाद हताश होकर उसने अपने ऑफिस की 10वीं मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी।
दोस्तों इंडिया में सिर्फ भुवनेश ही नहीं है जिसने अपना सारा पैसा शेयर मार्केट में गवाया है बल्कि आपको ऐसे बहुत से लोग देखने को मिल जाएंगे जो आए दिन अपना पैसा स्टॉक मार्केट में लूज करते रहते है और इसके पीछे सिर्फ एक रीजन है Lack Of Financial Education।
फाइनेंशियल एजुकेशन की कमी या फिर सही नॉलेज न होने की वजह से लोग पैसे को लेकर सही डिसीजन नहीं ले पाते है। पैसों को सही तरीके से हैंडल करने की कला आपके स्मार्टनेस पर नहीं बल्कि पैसों को लेकर आपके बिहेवियर पर डिपेंड करता है। कभी कभी एक जीनियस पर्सन भी अपने पैसों को गवा देता है। वहीं कभी कभी एक ऑर्डिनरी पर्सन भी वेल्दी बन जाता है।
4. Medical Inflation Rate
अब चौथा रीजन है मेडिकल इन्फ्लेशन रेट। दोस्तों, 10 दिसंबर 2022 को एक ऐसा केस सामने आया जिसे सुन के आपके होश उड़ जाएंगे। 10 दिसंबर 2022 को एक पिता ने अपनी बेटी को छत के पंखे से लटका हुआ पाया। लड़की के बिस्तर पर एक नोट था, जिसमें लिखा था कि वह अपने परिवार की खराब आर्थिक हालत से परेशान होकर यह कदम उठा रही है।
उसके पिता तुरंत लड़की को लेकर सरकारी हॉस्पिटल में जाते हैं, लेकिन वहां इलाज में देर होने के कारण वे उसे लेकर एक प्राइवेट हॉस्पिटल पहुंच गए। जहां हॉस्पिटल ने भर्ती के समय ही लड़की के पिता से ₹75,000 जमा करने को कहा। कुछ समय बाद हॉस्पिटल ने ₹10,000 और मांगे।
पिता ने किसी तरह अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों से पैसे उधार लेकर हॉस्पिटल में यह रकम जमा करवा दी। जिसके बाद लड़की का इलाज शुरू हुआ और फिर धीरे धीरे लड़की की हालत में सुधार आने लगा। लेकिन 17 दिसंबर को हॉस्पिटल वालों ने लड़की के पिता के हाथ में करीब ₹4 लाख का मेडिकल बिल पकड़ा दिया।
अब आप समझ सकते हैं कि उस समय उनकी स्थिति कितनी खराब होगी। दोस्तों पिछले पांच सालों के आंकड़े जब आप देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि मेडिकल ट्रीटमेंट की कॉस्ट साल दर साल बढ़ती ही चली गई है और आज तो हालत यह है कि देश में मेडिकल इंफ्लेशन रेट पूरे एशिया में सबसे ज्यादा है।
पिछले साल की बात करें तो यह रेट 14 पर्सेंट था और यह उस समय भी सबसे ज्यादा था। और तोऔर दवाइयां जो बीमारी से लड़ने में सबसे ज्यादा कारगर होती है, उसकी कीमत भी 12 पर्सेंट तक इंक्रीज हो चुकी है।
आप पैरासिटामॉल का एग्जाम्पल ले सकते हैं, जो पेन किलर के रूप में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली मेडिसिन है। उसकी कीमत साल 2018 में ₹16 थी वह कीमत बढ़कर आज ₹40 हो गई है। और शायद यह बात तो हमें बताने की जरूरत भी नहीं है कि आज इंडिया में शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहां कोई पेशेंट ना हो।
दोस्तों मेडिकल ट्रीटमेंट हो या फिर मेडिसिन इन सबका खर्चा हमारी जेब से जाता है। यही वजह है कि आज अमीर बनना तो बहुत दूर की बात है। इंडिया में हर साल लगभग 6 करोड़ लोग अपने मेडिकल एक्सपेंसेज की वजह से पावर्टी लाइन के नीचे आ जाते हैं।
5. Not Taking Risk
दोस्तों अब लास्ट यानी पांचवा रीजन है नॉट टेकिंग रिस्क। आज देश में जितने भी बड़े बड़े बिजनेसमैन हैं उनमें से ज्यादातर लोगों ने अपने बिजनेस की शुरुआत जीरो से की थी और आज उनकी गिनती देश में टॉप वन परसेंट लोगों में होती है। आज वह जहां भी है उसका सबसे बड़ा रीजन है उनकी रिस्क टेकिंग हैबिट।
कहीं न कहीं वे लोग यह जानते हैं कि यदि वे रिस्क नहीं लेंगे तो वे अपने बिजनेस में कभी भी रिवॉल्यूशन नहीं ला पाएंगे। इसलिए बड़े बड़े बिजनेसमैन कभी भी रिस्क लेने में पीछे नहीं हटते हैं। और दूसरा यह कि रिच लोग अपने आने वाली पीढ़ियों को भी अमीर बनाने की पूरी कोशिश करते हैं।
अब आप गौतम अडानी को ही ले लीजिए, उन्होंने अपने बेटे करण अडानी के फ्यूचर को सिक्योर करने के लिए उसे अडानी पोर्ट्स का सीईओ बना दिया है। ठीक इसी तरह गोदरेज, बजाज और अंबानी सभी ने यही किया है। सभी ने अपने बच्चों को अपने बिजनेस में शामिल किया हुआ है।
जबकि एक मिडल क्लास फैमिली में पिता का बिजनेस चाहे कितना भी अच्छा क्यों न चल रहा हो, उनका बस एक ही सपना होता है कि उनका बच्चा पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी करे। तो ऐसे में उनके बच्चे रिस्क लेना कभी नहीं सीख सकते और अगर आप एक मिडिल क्लास फैमिली से है तो आप इस बात को अच्छे से समझ रहे होंगे।
पर दोस्तों यहां रिस्क लेने का मतलब अपने पैसे को कहीं भी इन्वेस्ट करना नहीं है। क्योंकि जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि फाइनेंशियल नॉलेज के बिना अपने पैसे को कहीं भी इन्वेस्ट करना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। इसलिए रिस्क लीजिए पर अपॉर्च्युनिटी को देखकर लीजिए।
तो दोस्तों आज के आर्टिकल में इतना ही है ,उम्मीद करते है इस आर्टिकल से आपको काफी कुछ सीखने को मिला होगा।