बिजनेस! आज के युग का एक फैन्सी शब्द। 20 की उम्र में किसी मैनेजमेंट कॉलेज से ग्रेजुएशन करते हुए बहुत से यंगस्टर्स की आंखों में एक सक्सेसफुल entrepreneur बनने का सपना होता है। सबकी चाहत होती है अपना एक बिजनेस खोलने की और रातों रात सक्सेस की बुलंदियों को छूने की। लेकिन 25 से 30 का होते होते उन्हें ये रियलाइज होता है कि न तो उनके पास कोई रिवॉल्यूशनरी बिजनेस आइडिया है और न ही कोई फैमिली बिजनेस का बैकअप।
ऐसा सोचकर आधे से ज्यादा लोग 9 से 5 की जॉब एक्सेप्ट कर लेते हैं। जिन लोगों के पास कुछ इन्वेस्टमेंट होता भी है वो सही जगह, सही टाइम, सही मार्केट का होने का इंतजार करते रह जाते हैं और रिस्क के डर से बिजनेस स्टार्ट ही नहीं कर पाते। बहुत कम लोग हैं जो एक्चुअल में अपने बिजनेस मॉडल को जमीनी हकीकत बनाने में कामयाब हो पाते हैं और उनमें से भी केवल दो परसेंट लोगों का बिजनेस ही कामयाब हो पाता है। ऐसा क्यों?
असल में मोटिवेशनल बिजनेस कोट्स और स्पीच सुनकर जोश से भर जाना तो बहुत आसान है, लेकिन मोटिवेशन को बरकरार रखना और जो चाहा है वो हासिल करके दिखाना बहुत मुश्किल है। आखिर एक बिजनेस को सक्सेसफुल बनाने के लिए क्या चाहिए? एक सुपर कूल आइडिया जो पहले किसी ने न सोचा हो। करोड़ों का इंवेस्टमेंट? नहीं। किसी भी बिजनेस को बड़ा बनाने के लिए सिर्फ एक चीज चाहिए, वो है नीयत।
अगर आपकी नीयत है कि आपको यह करना ही है तो आप जरूर कर लोगे। इस दुनिया का बड़ी से बड़ी कठनाई भी एक इंसान की जिद के आगे कुछ नहीं है। आचार्य चाणक्य ने बिना किसी हथियार के पूरे नंदवंश का खात्मा करके एक दासी के बेटे को अखंड भारत का राजा बना दिया था। ये होती है जिद की ताकत।
अगर आपमें भी वह जिद है और आप अपनी जिद को सही डायरेक्शन देना चाहते हो तो इस आर्टिकल को लास्ट तक जरूर पढियेगा। आज के इस आर्टिकल में इन्वेस्टिंग गुरु वॉरेन बफेट की आज तक की सबसे मोटिवेशनल स्पीच के कुछ पाठ से जानेंगे कि कैसे इस दुनिया में कोई भी इंसान, किसी भी उम्र में, किसी भी अमाउंट से स्टार्ट करके एक सक्सेसफुल बिजनेस खड़ा कर सकता है।
दुनिया के टॉप 10 अमीरों की लिस्ट में शामिल वॉरेन बफेट एक सक्सेसफुल इन्वेस्टर और बर्कशायर हैथवे के सीईओ भी हैं। उनकी कंपनी पैसे के लिए अपना कोई प्रोडक्ट नहीं बनाती बल्कि कई छोटे बड़े प्रॉमिसिंग बिजनेस में इन्वेस्ट करती है। सीईओ बनने के बाद कुछ ही साल में वॉरेन बफेट ने बर्कशायर हैथवे के घाटे में चल रही कंपनी से प्रॉफिटेबल बिजनेस में बदल दिया।
इस दौरान वो कई ऐसे बिजनेस पर्सनैलिटीज से मिले जिन्होंने अपना फर्श से अर्श तक का सफर अपनी मेहनत और जिद से पूरा किया। वॉरेन बफेट कहते हैं कि इन लोगों से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला। आज के आर्टिकल में हम ऐसे ही दो लोगों की कहानी जानेंगे और उनकी सक्सेस स्टोरी से सीखेंगे कुछ ऐसे बिजनेस लेसन जो बिजनेस को लेकर आपकी सोच बदल देंगे।
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Story 1
पहली कहानी है रशियन यहूदी महिला रोसलिन की जो 1917 में वाशिंगटन स्टेट के टाउन सिएटल पहुंची। उसे इंग्लिश का एक वर्ड भी नहीं आता था। उसके गले में एक टैग था, जिसमें लिखा था फोर्ट लोवा। ये वो जगह थी जहां वो अपने हसबैंड से मिलने वाली थी जो पहले से अमेरिका में काम करता था।
जैसे तैसे वो रेड क्रॉस सोसाइटी के वॉलंटियर्स की मदद से अपने हसबैंड से मिली। लैंग्वेज बैरियर के कारण रोसलिन को फोर्ट लोवा में सेटल होने में बहुत मुश्किल आई इसलिए वो अपने हसबैंड के साथ दो साल के अंदर ही ओहामा शिफ्ट हो गई और एक यहूदी कॉलोनी में रहने लगी। जहां उसे कुछ हद तक घर जैसा फील होने लगा।
जब उसकी बेटी स्कूल जाने लायक हुई तो उसने अपनी बेटी से इंग्लिश के शब्द सीखना शुरू कर दिया और टूटी फूटी इंग्लिश सीखकर उसकी मदद से वो लोगों से पुराने कपड़े इकट्ठा करके उसे ओल्ड क्लॉथ मार्केट में बेचने लगी। इन्हीं पैसों से उसने अपने भाई बहनों का खयाल रखा, अपने मां बाप को सहारा दिया।
इस दौरान वो चार बच्चों की मां बनी। करीब 20 साल बाद में लगभग 45 साल की उम्र में उसने किसी तरह 2500 डॉलर जमा कर लिए। इन पैसों से वो शिकागो गई और जो कुछ फर्नीचर मिला ले आई। एक महिला जो जिंदगी में एक दिन भी स्कूल नहीं गई, जिसे इंग्लिश ठीक से बोलनी नहीं आती थी, न लिखना वो अपनी उम्र का आधा सफर पूरा कर चुकी थी।
उसने 2500 डॉलर में अपने सपने को साकार करने के लिए एक फर्नीचर स्टोर खोला। उसकी मेहनत, लगन और विश्वास से उसने 25 डॉलर के अपने एम्पायर को 1983 में सिक्सटी मिलियन डॉलर्स में वॉरेन बफेट की कंपनी बर्कशायर हैथवे को बेचा। आज भी कंपनी लगभग डेढ़ से दो बिलियन डॉलर्स का बिजनेस करती है। मिसेज रोस जिन्हें इंग्लिश का एक वर्ड ढंग से नहीं आता था, उसने अपने 2500 डॉलर से जो कंपनी खड़ी की उसमें कुछ नया नहीं था। उसके फर्नीचर भी बाकी स्टोर्स की तरह ऑर्डिनरी ही थे।
लेकिन एक चीज जो उसमें एक्स्ट्राऑर्डिनरी थी वो थी सक्सेस के लिए उसकी डिटर्मिनेशन। वो जानती थी कि उसे अपने कस्टमर्स की परवाह है इसलिए वो मार्केट में कंपटीशन होने के बाद भी सर्वाइव कर सकती है। उसने एक कस्टमर फ्रैंडली स्टोर बनाया। अपने प्रॉफिट मार्जिन को लो रखा और मार्केट के उतार चढाव के बावजूद भी लगी रही और आखिर में सक्सेस खुद उसके पास आ गई।
Story 2
दूसरी कहानी है 1922 में पैदा हुए एक entrepreneur , जिसे वॉरेन बफेट जैक के नाम से बुलाते थे। जैक एक अच्छा स्पोर्ट पर्सन था, लेकिन स्कूल में इंट्रेस्ट न होने के कारण एक साल में ही ग्रेजुएशन कॉलेज से ड्रॉपआउट हो गया। कॉलेज छोड़ने के बाद जैक आर्मी ज्वाइन करने गया, लेकिन मेडिकल रीजन्स के कारण आर्मी ने उसे वापस भेज दिया। फिर वो नेवी में इंटरव्यू देने गया जहां वो सिलेक्ट हो गया और सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान उसे कुछ फाइटर प्लेन उड़ाने और वॉर में हिस्सा लेने का मौका मिला।
वर्ल्ड वॉर खत्म होने के बाद नेवी ने बहुत से लोगों को घर वापस भेज दिया और जैक भी उन्हीं में से एक था। उस समय जैक 23 से 24 साल का नौजवान था। कुछ सालों तक बहुत से अलग अलग जॉब्स ट्राय करने के बाद जैक एक कंपनी में सेल्समैन बन गया।
लगभग 35 साल की उम्र में सेल्स जॉब में कुछ प्रमोशन पाने के बाद जैक अपने बिजनेस आइडिया के साथ अपने बॉस के पास पहुंचा और बोला, क्या मैं आपके साथ कार लीजिंग का बिजनेस शुरू कर सकता हूं? उसके बॉस ने उससे कहा कि अगर तुम अपनी सैलरी आधी कर दो तो शायद हम इस बिजनेस में पार्टनर बन सकते हैं।
इतना बड़ा रिस्क होने के बाद भी जैक तैयार हो गया। उसके बॉस ने उसे 25 हज़ार डॉलर का इक्विटी इन्वेस्टमेंट और सात कार दी, जिससे उसने अपना बिजनेस स्टार्ट किया। उसके कार लीजिंग बिजनेस की ग्रोथ काफी स्लो थी। तीन साल में उसने सात कारों से 17 कार कर ली। लेकिन इस बिजनेस में जैक को अपनी स्किल्स दिखाने का मौका नहीं मिल रहा था।
इसलिए उसने अपने 17 कारों से कार लीजिंग का बिजनेस छोड़कर कार रेंटिंग के बिजनेस में कदम रखने का सोचा, जहां उसका मुकाबला हार्ड और नेशनल जैसी ऑलरेडी स्टैब्लिश कंपनियों से था, जिनके पास हजारों कारें थी। इसके साथ साथ उसके कॉम्पिटिटर्स के पास एयरपोर्ट पार्किंग की परमिशन भी थी। जैक उस परमिशन का खर्चा अफोर्ड नहीं कर सकता था।
इसलिए उसने शहर के अंदर ही कार रेंटल सर्विस शुरू करने का फैसला किया। उसकी कार भी बाकियों की तरह फोर्ड और शेवरले की थी कुछ हाई फाई नहीं था, लेकिन कस्टमर्स और अपने ड्राइवर्स के प्रति उसके एटीट्यूड ने उसके बिजनेस को इतना सक्सेसफुल बना दिया कि आज वो अमेरिका में ग्रेजुएट हायर करने वाली नंबर वन कंपनी बन गई। उसकी नेटवर्थ उसके सभी कॉम्पिटीटर्स की टोटल नेटवर्थ से भी ज्यादा हो गई।
वो entrepreneur जिसका नाम जैक टेलर था उसकी कंपनी Enterprise Rent -a -car -Service को एक टाइम पर वॉरेन बफेट भी खरीदना चाहते थे, लेकिन जैक ने वो ऑफर ठुकरा दिया और आज वह अमेरिका की नंबर वन कार रेंटल कंपनी है। इन दोनों कहानी से हमें बिजनेस के साथ बहुत जरूरी लेसंस मिलते हैं।
1.Customer Satisfaction Is All It Need
चाहे mrs. रोसलिन का फर्नीचर बिजनेस हो या जैक की कार रेंटल सर्विस दोनों बिल्कुल आम से बिजनेस थे। ना जैक ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसा कुछ इनोवेट किया, न ही mrs. रोसलिन ने कोई रॉकेट साइंस लगाया। लेकिन दोनों के बिजनेस में एक चीज कॉमन थी, वो है कस्टमर सैटिस्फैक्शन। बफेट हमेशा कहते हैं कि कस्टमर हर बिजनेस का सेंटर पॉइंट होता है।
जब कोई उनके स्टोर में आता था, उसे वहां वही फर्नीचर देखने को मिलते थे जो किसी भी आम फर्नीचर स्टोर में मिल सकते थे। लेकिन जो अलग था वो थी वहां की हॉस्पिटैलिटी और कस्टमर फ्रेंडली एनवायरनमेंट। इसी तरह अपने फील्ड में बड़े बड़े कॉम्पिटीटर होने के बाद भी कस्टमर फर्स्ट के अपने मोटो से जैक ने भी 17 कारों से कार रेंटल बिजनेस का किंग बनने का सफर तय किया।
आपने कोई चीज कितने में खरीदी, कितना डिस्काउंट मिला, वहां कितनी वैरायटी थी? आप कुछ दिनों में यह सब भूल जाते हो, लेकिन एक चीज जो आपके मेमोरी में हमेशा रह जाती है वो ये कि आपको वहां कैसा फील हुआ। चाहे आपका एक्सपीरियंस अच्छा रहा हो या बुरा, दोनों ही सूरतों में आप उसे भूल नहीं पाते। बफेट कहते हैं कि उन्होंने बहुत से बिजनेस देखे हैं, लेकिन आज तक ऐसा कोई बिजनेस नहीं देखा जिसकी कस्टमर सैटिस्फाइड हो और फिर भी वो फेल हुआ हो।
चाहे आप एडवर्टाइजमेंट या ब्रांडिंग पर लाखों खर्च कर दो, लेकिन आपके कस्टमर का एक बुरा फीडबैक आपका गेम पलट सकता है। बफेट के अनुसार आपके सैटिस्फाइड कस्टमर्स आपको फाइव बेनिफिट्स प्रोवाइड कर सकते हैं।
पहला वो आपके लॉयल कस्टमर बनेंगे। दूसरा वो दूसरों को आपके प्रोडक्ट्स और सर्विसेज रिकमेंड करेंगे। तीसरा आपको अपने लॉयल कस्टमर के ऊपर प्रमोशन का एक्स्ट्रा खर्चा नहीं करना पड़ता। चौथा, लॉयल कस्टमर आपको आपके कॉम्पिटिटर से आगे निकलने का मौका देते हैं और पांचवां आपके कस्टमर का Churn Rate यानी कस्टमर का आपके बिजनेस को छोड़ने का रेट कम हो जाता है, जो किसी भी बिजनेस के ग्रोथ का सबसे बड़ा मेजर होता है।
2. You Do Not Always Get It Right for the First Time
जैक का पहला वेंचर यानी उसका car leasing बिजनेस कुछ खास अच्छा नहीं चला, क्योंकि वहां उसे कस्टमर्स को डिलाइट फील करवाने का कोई मौका नहीं मिलता था। इसलिए जैक का कस्टमर हैंडलिंग टैलेंट वेस्ट हो रहा था। साल में एक बार कस्टमर को कार की चाबी हैंडओवर करने के बाद बस हर महीने इंस्टॉलमेंट का इंतजार करना पड़ता था। इसलिए जैक को उसमें मजा नहीं आया।
इसलिए उसने कार लीजिंग से कार रेंटल बिजनेस में स्विच किया। यानी आपका आइडिया पहली बार में सही काम करे, ऐसा जरूरी नहीं है। इसी तरह हेनरी फोर्ड के भी पहले दो कार मॉडल फेल हो गए थे। इलॉन मस्क का भी स्पेस शटल कई बार ब्लास्ट हुआ था।
तो बिजनेस वर्ल्ड में टेस्ट इस बात का नहीं होता कि आपने पहली बार में दुनिया का सबसे बड़ा इनोवेशन कर दिखाया, बल्कि टेस्ट इस बात का होता है कि आपने अपनी गलतियों और एक्सपीरियंस से क्या सीखा। अगर आपका पहला आइडिया वर्क न करें, तो दूसरा ट्राई करो और तब तक करते रहो, जब तक आपको आपका सही आइडिया न मिल जाए, जिसके लिए आप बने हो।
सक्सेस का सफर ही कुछ ऐसा है जहां आप चलते हो, गिरते हो और फिर चलते हो। आपको बहुत से लोग ये कहकर निराश करेंगे कि वह बार बार ट्राई करने के बाद भी फेल हुए। लेकिन जो लोग बहुत सी कोशिशों के बाद भी फेल होते हैं वो पैसे के लिए अपनी गलतियों से सीखते नहीं है और बार बार एक ही गलती दोहराते हैं। इनफैक्ट अपनी ही क्यों आप लोगों की फेलियर स्टोरीज पढ़कर दूसरों की गलतियों से भी सीख सकते हो।
3. Keep Focus On Things Which Are In Your Control
एक बिजनेस चलाने में कई फैक्टर्स का हाथ होता है। उनमें से कुछ फैक्टर्स आपके कंट्रोल में होते हैं और कुछ कंट्रोल से बाहर। जब जैक ने अपनी कार रेंटल कंपनी स्टार्ट की तो उसने ये कभी नहीं देखा कि आज स्टॉक मार्केट कहां जा रहा है, डॉलर की वैल्यू घटी या बढी क्योंकि ये चीजें उसके हाथ में ही नहीं थी।
लेकिन कस्टमर को कैसे सर्विस प्रोवाइड करनी है, कस्टमर एक्सपीरियंस को बेहतर कैसे बनाना है, अपने एंप्लॉयीज को सैटिस्फाइड और लॉयल कैसे रखना है, इन सब फैक्टर्स पर उसका पूरा फोकस था। बेसिकली यही वो फैक्टर है, जो किसी भी बिजनेस के लिए इम्पॉर्टेंट है, क्योंकि स्टॉक्स और रिजर्व बैंक तो किसी के हाथ में नहीं है।आपको बस अपने ऊपर फोकस करना है, जिसे आप बदल सकते हो।
जैक और मिस रोसलिन दोनों जानते थे कि उनके पास अपने कॉम्पिटिटर से compete करने के लिए कोई फैंसी एक्स्ट्रा चीज़ें नहीं है। इसलिए उन्होंने इस चीज पर ध्यान नहीं दिया। बल्कि उन्होंने उन चीजों पर ध्यान दिया जिसमें वो बेस्ट कर सकते थे। वो जानते थे कि उन्हें अपने कस्टमर्स की परवाह है और वह अपनी इस स्किल से सरवाइव कर सकते हैं।
इसलिए मार्केट में होने वाले उतार चढ़ाव को नजरअंदाज करके उन्होंने अपना फोकस अपने बिजनेस में बनाए रखा और दो ऑर्डिनरी से बिजनेस आइडिया को एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी में बदल दिया। कुल मिलाकर बफेट कहना चाहते हैं कि आपको अपना फोकस नहीं खोना है।
कई लोग मार्केट का रोना रोकर कर give up कर देते हैं, लेकिन जो लोग अपने बिजनेस का स्टेयरिंग अपने हाथ में लेकर लगातार आगे बढ़ते हैं, उनका सिंपल सा आइडिया भी उनके लिए सक्सेस की चाबी बन जाता है।
4. You Can Start Your Business with Any Amount At Any Age
बहुत से लोग बिजनेस इसलिए स्टार्ट नहीं कर पाते, क्योंकि उनके पास इनवेस्टमेंट नहीं होता। कौन सोच सकता है कि केवल 2500 डॉलर में एक मिलियन डॉलर का फर्नीचर बिजनेस खोला जा सकता है। लेकिन मिसेज रोसलिन ने ऐसा करके दिखाया। यानी बिजनेस के लिए इनवेस्टमेंट से ज्यादा नीयत की जरूरत होती है। आज के जमाने में तो लोन, क्रेडिट और इनवेस्टर्स का मिलना और भी आसान हो गया है।
जरूरत है तो बस अपने बिजनेस की प्रॉपर प्लानिंग और डेडिकेशन की। और फिर एक बार आपका बिजनेस चलने लगा, तो आप अपने प्रॉफिट को ही अपने इनवेस्टमेंट के तौर पर इस्तेमाल करके एक्सपैंशन कर सकते हो, जैसे जैक ने 25,000 डॉलर के इक्विटी इनवेस्टमेंट से ही सात कारों से शुरू करके आज अमेरिका के हर कोने में अपनी कंपनी का नाम खड़ा कर दिया।
दूसरी बड़ी बात जो हम इन स्टोरी से सीख सकते हैं वो ये कि कुछ स्टार्ट करने की कोई उम्र नहीं होती। जैक ने जब अपना बिजनेस स्टार्ट किया तो वो 40 साल का था, वहीं mrs. रोसलिन 45 से 50 के बीच की थीं। ये वो उम्र होती है जब लोग रिटायरमेंट के सपने देखने लगते हैं।
इस उम्र में इन लोगों ने नई शुरुआत की। अगर जिम्मेदारियां निभाने में आपने भी उम्र का काफी पड़ाव पूरा कर लिया है तो भी आपके पास टाइम है अपना सपना पूरा करने का। सपनों की कोई उम्र नहीं होती। आपका शरीर भले ही बूढ़ा हो जाए, लेकिन आपका एटिट्यूड और वर्किंग स्पीड बूढ़ी नहीं होनी चाहिए।
5. Keep your profit margin low
अपने कस्टमर्स को डिलाइट करने का एक अच्छा और पुराना तरीका है अपना प्रॉफिट मार्जिन कम रखना। स्पेशली जब आप बिजनेस शुरू कर रहे हो। बिजनेस कोई रातोंरात अमीर बनने की जादू की छड़ी नहीं है। ये एक स्लो प्रोसेस है और यहां वही लोग सफल होते हैं, जिनमें सब्र हो।
इसलिए अगर आप शुरुआत से ही हाई प्रॉफिट मार्जिन का प्लान लेकर चलोगे तो कॉम्पिटिटर्स के बीच स्टैबलिश होना मुश्किल हो जाएगा। ठीक यही स्ट्रैटेजी रोस और जैक ने अपनाई थी। कस्टमर्स को बाकियों से लो प्रॉफिट मार्जिन पर प्रोडक्ट्स और सर्विसेज बेचते थे, जिसके कारण कस्टमर्स उनकी शॉप तक खिंचे चले आते थे।
इसके बाद वो अपने फील गुड फैक्टर से उन्हें अपना रिटर्न कस्टमर बना लेते थे और इस तरह से उनकी हाई सेल्स वॉल्यूम उनके लो प्रॉफिट मार्जिन को कवर कर लिया करती थी। धीरे धीरे वो अपने कॉम्पिटिटर से काफी आगे निकल गए।
एक बार आप ब्रांड स्टैबलिश हो जाओ और अपने कस्टमर्स का भरोसा जीत लो, उसके बाद आप प्राइसिंग पॉलिसी रिव्यू कर सकते हो और मॉडरेट मार्जिन पर आ सकते हो। लेकिन शुरुवात में प्राइस हाइक नहीं होना चाहिए क्योंकि आज के era में जिस रफ्तार से कस्टमर्स आते हैं उसी रफ्तार से चले भी जाते हैं।
6. Working Through Other People
जैक अपने कस्टमर्स की केयर करता था, लेकिन वो हर एक टैक्सी में बैठने वाले कस्टमर के पास जाकर उसे डिलाइट नहीं कर सकता था। इसलिए उसे जरूरत थी ऐसे स्टाफ की जो उसके मोटो और एटीट्यूड को रिप्लेस कर सके। इसलिए वो उन लोगों को ही हायर करता था जो पॉजिटिव हों और जो उसी की तरह कस्टमर में एक दोस्त ढूंढ सके।
चाहे आप एक छोटे बिजनेस ओनर हों या आपका बिजनेस ग्रोइंग फेज में हो आपका स्टाफ, आपके बिजनेस का इम्पॉर्टेंट पिलर होता है, वो आपके कस्टमर के साथ कैसा बिहेव करता है, इस पर आपका पूरा बिजनेस डिपेंड करता है। इसलिए ऐसे लोगों को हायर करें, जो खुद के बारे में अच्छा फील करते हैं, क्योंकि जिनका सेल्फ एस्टीम लो होता है या जिन्हें लगता है कि दुनिया उन्हें अच्छे से ट्रीट नहीं करती या जो अपनी लाइफ में दुखी हैं वो लोग दूसरों को भी अच्छे से ट्रीट नहीं कर पाते।
आपने वो कहावत तो सुनी होगी कि जैसा राजा वैसी प्रजा यानी आपका स्टाफ वैसा ही करेगा जैसे आप करेंगे। इसलिए ये बहुत जरूरी है कि आप खुद को सही ढंग से प्रोजेक्ट करें। इसे ही कहते हैं वॉकिंग थ्रू द पीपल। दूसरों के जरिए अपनी सोच को मल्टीप्लाई करना ताकि वो वैसा ही करें जैसा आप चाहते हो।
7. Surround yourself with good people
आखिरी और सबसे इम्पॉर्टेंट बात जो वॉरेन बफेट हमेशा कहते हैं कि अपने आप को हमेशा अच्छे और पॉजिटिव लोगों के आसपास रखो, चाहे फिर वह आपका लाइफ पार्टनर हो या बिजनेस पार्टनर, आपका दोस्त, आपका मेंटर सब आपसे बेहतर होने चाहिए ताकि वो आपके कॉन्सटेंट लर्निंग का सोर्स बन सके।
पोटेंशियल तो बहुत से लोगों में होता है लेकिन उनके लाइफ चॉइस कई बार ऐसे हो जाते हैं कि उन्हें पोटेंशियल दिखाने का मौका ही नहीं मिलता। हम इस बात को कई बार डिस्कस कर चुके हैं कि sadness और नेगेटिविटी किसी इंफेक्शन की तरह फैलती है और वो बदकिस्मती को अट्रैक्ट करती है। इसलिए अगर आपकी लाइफ में कोई ऐसा है जो आपको आगे ले जाने की जगह पीछे खींच रहा हो तो वो आपके लिए सही नहीं है।
बफेट कहते हैं कि आपका लाइफ पार्टनर आपकी लाइफ का एक इम्पॉर्टेंट पिलर है। इसलिए डिसीजन आपको बहुत सोच समझकर लेना चाहिए। आपका लाइफ पार्टनर ऐसा हो जिसे आप एडमायर कर सकें, जिसे आप रिस्पेक्ट दे सकें। मिस रोसलिन के हसबैंड ने फोर्ट लोवा में अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी और ओमाहा में शिफ्ट हो गए ताकि रोज को होमलेस फील ना हो।
इस फैसले ने रोसलिन के कॉन्फिडेंस को इस हद तक बूस्ट किया कि उन्होंने अपना फर्नीचर एंपायर बना लिया। एक सही लाइफ पार्टनर आपके सक्सेसफुल होने के चांसेस को डबल कर सकता है। वहीं गलत पार्टनर च्वॉइस से आपका सारा पोटेंशियल वेस्ट हो सकता है।