एक थे मोहन शुक्ला जो राजस्थान के रहने वाले थे। उनके छोटे से घर में इनकी दो बेटी और एक वाइफ थीं। इनकी एक नॉर्मल सी जॉब लगी हुई थी, जहां पर यह महीने के ₹17,000 कमा रहे थे। मोहन को अपनी लाइफ से कोई शिकायत नहीं थी, पर एक इच्छा थी कि कभी न कभी तो वो अपनी लाइफ ऐशो आराम से जिए। एक दिन ऑफिस में उन्होंने अपने सहकर्मी को नोटिस किया कि आज वो बहुत खुश नजर आ रहा है। मोहन उसके पास गए और उससे रीजन पूछा। पूछने पर उसने बताया कि कल रात एक app से उसने ₹1 लाख जीते हैं।
अब जैसे ही मोहन के कानों में ये 1 लाख का नंबर पडा तो वो एकदम शॉक्ड हो गए। उन्होंने उससे पूछा अरे ये तो कमाल है। कौन सा प्लेटफॉर्म था ये? तो उसने मोहन को उस प्लेटफार्म का नाम बताया और साथ में उसने मोहन को ये भी कहा कि मोहन देखो यह बैटिंग प्लेटफार्म है। अगर इसको तुम यूज करने का सोच रहे हो तो तुम कर सकते हो लेकिन इसकी आदत मत डाल लेना।
तब मोहन ने कहा ,अरे मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था मुझे क्या लेना इस प्लेटफार्म से। मोहन ने ऐसा कह तो दिया पर पूरे दिन उसके माइंड में ये बैटिंग प्लेटफार्म ही चल रहा था। अब रात को सोते टाइम वो ये सोचने लगे कि यार एक बार ट्राई करके ही देखता हूं। क्या पता मेरी भी किस्मत खुल जाए। फिर अगले दिन ऑफिस से आने के बाद वो अपना लैपटॉप लेकर बैठ गए और प्रोसेस जानने लगे कि ये बैटिंग कैसे की जाती है।
स्टार्टिंग prize वहां पर पाँच हज़ार रुपए का था। अगर उनका पाँच हज़ार रुपए लगाकर नंबर निकल जाता है तो इसके बदले में उनको पूरे 50,000 मिलेंगे। बट अगर नंबर नहीं आता तो वो 5000 भी गंवा देंगे। उस प्लेटफॉर्म पर ये साफ लिखा था कि आपके यहां पर जीतने के चांसेज 100 में से एक परसेंट ही है। अगर आपका लक चला तो ही आप जीतोगे। मोहन ने रिस्क उठाया और पाँच हज़ार रुपए लगा दिए और पहली बार में उनका नंबर लग गया।
वो पाँच हज़ार से पहली ही बार में 50 हज़ार रुपए बना चुके थे। यहां पर तो उनकी खुशी का मानो ठिकाना ही नहीं रहा। मोहन ने जल्दी से पैसे विड्रॉ किए और पहुंच गए अपनी इच्छाएं पूरी करने। उन्होंने अपनी बीवी बच्चों के लिए कई नए नए कपडे खरीदे। कुछ पैसा उन्होंने खाने पीने, इधर उधर की चीजों में खर्च कर दिया। आखिर में जाकर अब उनके पास फिर से पाँच हज़ार रुपए बचे तो उनके माइंड में फिर से आया कि यार एक ट्राई मारता हूं। वैसे भी ये पाँच हज़ार रुपए इसी इनाम के तो थे।
अगले दिन मोहन ऑफिस से आए और फिर से लैपटॉप लेकर बैठ गए। उन्होंने बैटिंग की और जीतने का इंतजार करने लगे। पर उनका इस बार नंबर नहीं लग पाया। लेकिन उन्होंने ये नोटिस किया कि वो बहुत ही क्लोज आकर हारे हैं। तो ये बात अगले दिन ऑफिस के अंदर पूरा दिन उनके माइंड में चलती रही। वो यही सोचते रहे कि काश थोडा सा और ज्यादा नंबर आ जाता तो जीत ही जाता मैं। और इसी सोच के चलते उनका मन एक और बार खेलने को हुआ। लास्ट टाइम इतने छोटे मार्जिन से हारा था क्या पता आज वो भी मार्जिन खत्म हो जाए।
ऑफिस से घर आते हुए एटीएम गए और अपनी बचत से 10 हज़ार रुपए निकाल लाए। रात को वो एक बार फिर से लैपटॉप लेकर बैठ गए। इस बार उन्होंने पांच नहीं पूरे 10,000 ही लगा दिए। पर वो इस बार भी हार गए। अब उनका दिमाग पूरी तरह से ब्लैंक हो गया। वो ये सोचने लगे कि ये मैंने क्या कर दिया। इतनी बडी रकम कैसे लगा दी मैंने? अब इनको वापस कैसे लाऊं। फिर अगले दिन वो अपने बॉस के पास गए और उनसे उन्होंने अपनी वाइफ बीमार बोलकर 10 हज़ार रुपए उधार ले लिए। घर आकर उन्होंने ये भी पैसे उसमें लगा दिए। वो फिर से हार गए।
मोहन बहुत ज्यादा घबरा गए क्योंकि इस महीने उनको सैलरी में 17 नहीं बल्कि सात हज़ार ही मिलने वाले थे और इतने खर्चों में सात हज़ार रुपए महीने भर चलाना नामुमकिन था उनके लिए। मोहन फिर अगले दिन बैंक में गए और 20 हज़ार रुपए का लोन उठा लाए। उनको प्रॉफिट की इच्छा तो बिल्कुल नहीं थी, बस उनके दिमाग में ये था कि कैसे भी करके मेरे खुद के पैसे वापस आ जाएं। तो रात को उन्होंने फिर से लैपटॉप उठाया और लगा दिया 20 हज़ार रुपए। होना क्या था? हर बार की तरह इस बार भी हार गए।
उन्होंने खुद को एक ऐसे ट्रैप में फंसा लिया जहां से निकल पाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल था। अब एक मिनट के लिए मोहन की जगह पर जरा खुद को रखकर देखो। महसूस करके देखो कि मोहन की जगह पर अगर आप होते तो आप क्या करते। हो सकता है कुछ लोग इससे शायद ये कहें कि इसमें सोचने वाली क्या बात है। मैं होता तो बैटिंग को खेलता ही नहीं। पर एक्चुअल में सच्चाई क्या है, वो आपको इस डेटा में पता चलेगी।
अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक वन मिलियन इंडियन ऐसे हैं जो फैंटेसी गेम्स या फिर बैटिंग एप्स यूज करते हैं और इसमें वो लोग हैं जो छोटे कस्बों से आते हैं। अब इतनी बडी पर्सेंटेज वाले लोग हमसे अलग तो नहीं हैं। ये लोग भी वही हैं जो दूसरों से इन्फ्लुएंस होकर सिर्फ ट्राई करने के लिए आते हैं। ट्राई करते करते ही वो कब इसके एडिक्ट हो जाते हैं, उनको खुद ही पता नहीं चलता। सबसे दुःख की बात तो ये है कि इन सब चीजों को प्रमोट करने वाले हमारे वो सो कॉल्ड सिलेब्रिटीज हैं, जिन्हें इंस्पिरेशन समझते हैं हम।
अपनी और मिडिल क्लास के लिए यहां सिर्फ बैटिंग एप्स की ही बात नहीं है। बहुत सारे ऐसे ट्रैप भी हैं जिसमें एक मिडिल क्लास का इंसान खुद को बांधकर रख लेता है। फिर चाहे वो सब जानबूझ कर करें या अनजाने में कर जाए।
आर्टिकल में आगे बढने से पहले मैं आपको ये गारंटी दे रहा हूं कि अगर आपने आज के इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ लिया तो अपने अपर क्लास में न पहुंच पाने की आपको बहुत सी ऐसी वजह पता चलेंगी जिनको जानकर खुश हो जाओगे आप। आपको एक्चुअल में पता चल पाएगा कि क्यों आप इतनी मेहनत, इतने एफर्ट डालने के बाद भी खुद को सेम ही जगह पर देखते आ रहे हो। हो सकता है आज का आर्टिकल आपको खुद को जानने का एक नजरिया दे दे। तो चलिए शुरू करते हैं।
1. Why Middle Class People Are Not Getting Rich
एक मिडिल क्लास का होने की वजह से कई बार हमारे दिमाग में ये आता है कि यार ठीक है हम मिडिल क्लास तो है लेकिन क्या इससे ऊपर उठकर हम कभी अमीर भी बन पाएंगे? ये सवाल एक मिडिल क्लास इंसान के माइंड में आना एक बिलकुल आम बात है। पर असली सवाल तो यह भी है कि क्या आप एक मिडिल क्लास भी हो या बाकियों की तरह आपने भी अपने आप से बस ये मान रखा है।
इंडिया के अंदर 50% लोग अपने आप को मिडिल क्लास मानते हैं लेकिन एक्चुअल डाटा तो यहां पर कुछ और ही बता रहा है। CSI की रिपोर्ट कहती है कि इंडिया के अंदर सिर्फ 2% ही ऐसे लोग हैं जो मिडिल क्लास में आते हैं। अपर क्लास में सिर्फ एक परसेंट और बाकी सारे लोग या तो लोवर क्लास या फिर लोअर मिडिल क्लास में आते हैं। अब ये पता करने के लिए कि आप कौन सी कैटेगरी में हो ये आप इस तरह पता कर सकते हो।
अगर आपकी सालाना इनकम एक लाख से सवा लाख के बीच में है सवा लाख यानी कि 125000 है तो आप पुअर की कैटेगरी में आते हो। अगर आपकी इनकम सवा लाख से 5 लाख के बीच में है तो आप लोअर मिडिल क्लास कैटेगरी में आते हो। अगर आप साल का 5 लाख से 30 लाख रुपए कमा रहे हो तो आप मिडिल क्लास में आओगे और अगर आपकी एनुअल इनकम 30 लाख से ऊपर जा रही है तो आप मान सकते हो कि आप रिच कैटेगरी से बिलॉन्ग करते हो।
अब देखो मेन दिक्कत यहां पर क्या है। ये जो फिफ्टी परसेंट लोग हैं ये अपने आपको मिडिल क्लास अपनी सैलरी के बेस पर मानते हैं। वो ये भूल जाते हैं कि उनकी फैमिली में और कितने मेंबर्स हैं जो सिर्फ उनके भरोसे जी रहे हैं। यहीं पर दिक्कत आती है। कई मिडिल क्लास फैमिली में आपने देखा होगा कि वहां पर आपको कमाने वाला सिर्फ एक ही इंसान मिलेगा और उस इंसान पर पूरा का पूरा घर डिपेंडेंट होगा।
और वहीं एक और इंसान जो खुद को गरीब मानता होगा वो तो काम करके 15 से 20000 हज़ार रूपये कमाता ही है और साथ में उसका बेटा भी किसी फैक्ट्री या कारखाने में लगकर 15 से 20000 कमा लेता है। बेटी घर के अंदर ट्यूशन खोलकर 5 से 10000 रुपए कमा लेती है और यहां तक कि उनकी वाइफ भी दूसरों के घर में काम करके 10 से 15000 रुपए कमा लेती है। अब अपनी और इनकी इनकम को अगर आप फैमिली के हिसाब से मल्टीप्लाई करोगे तो एक्चुअल में ये लोग हैं जो मिडिल क्लास में आते हैं।
शायद ये बात आपको अजीब लग रही होगी पर यही सच है। घर में सिर्फ एक इंसान को सारी जिम्मेदारी दे देना एक मिडिल क्लास फैमिली की सबसे बडी भूल होती है। अगर आप चाहो तो अपनी इनकम और फैमिली के हिसाब से खुद भी कैलकुलेशन लगा सकते हो। हो सकता है आपके फैमिली मेंबर कम हो और आपकी इनकम ज्यादा हो या हो सकता है कि आपकी इनकम तो ठीक हो पर कैलकुलेट करने पर गली के नुक्कड़ पर खडा हुआ गोलगप्पे वाला भी आपसे ज्यादा अमीर निकले।
इसलिए मिडिल क्लास में ये सबसे ज्यादा देखने मिलता है कि उनका अपना खुद का कोई विजन ही नहीं होता। वो जिस भी इंसान को जल्दी ग्रो होता हुआ देखते हैं उसे देखते ही वो खुद भी मन बना लेते हैं कि मैं भी यही काम करूंगा। आपने देखा होगा अगर उनको कोई सजेशन भी दे दे और बस ये बोल दे कि यार इस चीज में ज्यादा फायदा है, तो कुछ लोग तो इन्फ्लुएंस होकर अपना चलता हुआ काम भी छोड़ने को तैयार हो जाते हैं और यही उनकी सबसे बडी भूल बनती है।
क्योंकि अपर क्लास के लोग ऐसे ही लोगों को टारगेट करते हैं। खुद को और अमीर बनाने के लिए वो आपको कई तरह के ऑफर्स, कई स्कीम्स, कोर्स, ऐसी जॉब अपॉर्चुनिटी दिखाएंगे ताकि इनसे इन्फ्लुएंस होकर आप उनका फायदा कर सको। तो इसका सलूशन क्या है?
सलूशन इसका यही है कि आपको अपने इमोशंस पर कंट्रोल करना आना चाहिए। आपको अंदाजा होना चाहिए कि क्या चीज आपके लिए बनी है और क्या नहीं। कोई इंसान अगर किसी फील्ड में जल्दी कामयाब हो गया है तो ये जरूरी नहीं है कि उसका लक अच्छा हो। हो सकता है उसने इससे पहले हजारों फेलियर को झेला हो। चीजों को सिर्फ फायदे के पर्पस से देखने की बजाय अगर आप न्यूट्रल होकर देखोगे तब आप जान पाओगे कि जो फल आपको ऊपर से मीठा लगता है, उसके अंदर कितने बैक्टीरिया हैं।
2. Not Managing Finance
अभी दो महीने पहले मैं एक शादी अटेंड करने गया था और वहां का फंक्शन देखकर मैं शॉक्ड रह गया। उन्होंने अपने एरिया का सबसे महंगा पैलेस कराया हुआ था और खाने पीने गए तो उस जगह पर कई डिफरेंट आइटम्स थे। मैं शॉक्ड इसलिए हो गया क्योंकि लड़के के जो पापा है वो एक छोटी सी दुकान चलाते हैं और जहां तक मैं उनको जानता हूं वो फाइनेंशियली भी उतना ज्यादा स्ट्रांग नहीं है।
फिर दूल्हे का भाई जो मेरा दोस्त है उसने मुझे बताया कि इन सारी तैयारियों की कीमत लगभग ₹20 लाख आई है। जिसमें ₹10 लाख तो उनकी खुद की कमाई थी जो वो छह साल से जमा कर रहे थे और बाकी ₹10 लाख उन्होंने ब्याज पर उठाए थे।
आप इमेजिन करके देखो पिछले छह सालों से पैसा जमा किया जा रहा है इस एक दिन में खर्च करने के लिए और रीज़न जानकर तो आप भी शॉक्ड हो जाओगे। इतना खर्चा उन्होंने सिर्फ इसलिए किया क्योंकि कुछ गेस्ट उनके ऐसे हैं जो काफी अमीर घराने से थे। उन लोगों को किसी भी तरह की कमी महसूस नहीं होने देना चाहते थे, और आस पास के पडोसियों को यह भी दिखाना चाहते थे कि उनका भी हाई स्टेटस है। लेकिन बावजूद इसके कुछ लोगों ने उस फंक्शन में कई कमियां निकाल दी।
अब गौर करना, ये हाल सिर्फ उनका ही नहीं है बल्कि कई मिडिल क्लास के लोगों का है और न जाने कितने ही लोग खुद का स्टेटस बचाने के लिए लोन या ब्याज तक से पैसा उठा लेते हैं और फिर सालों तक फंस जाते हैं। अब देखो शादी एक ऐसी चीज है जो दो अलग अलग परिवारों को एक करती है और ऐसे में कोई भी नहीं चाहेगा कि उनको किसी भी तरह के इस खास मौके पर कोई कमी महसूस हो।
तो ऐसे फंक्शन अगर आप सही फाइनेंशियल प्लानिंग के साथ कर रहे हो तो उसमें तो कोई दिक्कत होगी ही नहीं। बिना किसी फाइनेंशियल प्लानिंग के आखरी समय पर कर्जा उठाकर शादी करना आपको बहुत भारी पड़ सकता है। इसलिए देखो डिसिजन तो आपका है, पर मेरा ओपिनियन इस पर यह है कि जो भी आपका स्टेटस एक्चुअल में है, उसको ध्यान में रखकर या उस हिसाब से अगर आप शादी करोगे, तब आपके लिए ज्यादा बेहतर होगा।
3. Middle class lack the business mindset
लगभग हर मां बाप का सपना होता है की उनकी बेटियां या बेटे बहुत मन लगाकर पढ़ाई करें ताकि वह अच्छे कॉलेज में एडमिशन ले सके। फिर कॉलेज के अंदर भी वह तीन चार साल जमकर मेहनत करें ताकि एक हाई सैलरी वाली उन्हें जॉब मिल सके। और जब वह 40-50000 रूपये की जॉब पर लग जाएंगे तो उनका और उनके बच्चों का तो करियर ही सेट हो जाएगा।
अब देखो एक बात आपको यहां पर समझनी पड़ेगी कि अगर आपके पेरेंट्स भी ऐसी सोच रखते हैं तो ऐसा सोचने पर हम उन पर कोई सवाल नहीं उठा सकते। क्योंकि यह एक ऐसा ट्रेडिशनल तरीका है जो बहुत टाइम से चलता आ रहा है। आपके पेरेंट्स ने भी यही फॉलो किया होगा। अगर आप दुनिया के सभी कामयाब लोगों की एक लिस्ट बनाने बैठोगे जैसे बिजनेसमैन, यूट्यूबर्स आदि तो उसमें आपको कॉलेज ड्रॉप आउट मिलेंगे।
जॉब करने वाले आपको बहुत ही कम ऐसे लोग मिलेंगे जो लाखों करोडों रुपए कमा रहे हो। अब देखो इससे मेरा ये मतलब नहीं है कि जॉब करना एक बेकार डिसीजन है और आपको जॉब नहीं करनी चाहिए। कई लोगों का खुद को एक पोजिशन पर देखना बचपन का सपना होता है। जैसे कोई ऑफिसर बनना, पुलिस डिपार्टमेंट जॉइन करना, डॉक्टर बनना, मैनेजर बनना, आर्किटेक्चर बनना और भी बहुत कुछ बनना चाहता है । इसके लिए तो उनको मन लगाकर जरूर मेहनत करनी चाहिए। अगर किसी का मेन गोल सिर्फ पैसे कमाने का है तो आपको समझना होगा कि जॉब के अलावा भी पैसे कमाने के अनलिमिटेड तरीके हैं। जिसमें सबसे ऊपर एक खुद का बिजनेस ही है।
4. Over Spending on Education
इंडिया के अंदर हाइली कॉम्पिटिटिव एजुकेशन सिस्टम है। यहां पर लिमिटेड सीट्स पर भी अप्लाई करने वाले लाखों लोग आपको मिल जाएंगे। मतलब यह एक ऐसी रेस है जहां पर आपको पता है कि आपके जीतने का चांस एक परसेंट से भी कम है फिर भी आप भाग रहे हो क्योंकि दूसरे लोग भी भाग रहे हैं। इससे अपर क्लास के लोगों के लिए आप एक और रास्ता खोल देते हो आपके थ्रू और अमीर बनने का।
इंडिया के अंदर कोचिंग इंडस्ट्री का रेवेन्यू 58,000 करोड़ है और ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि साल 2028 तक यह बढ़कर 1 लाख 33 हज़ार 995 करोड़ हो जाएगा। लेकिन इनमें से फिफ्टी परसेंट स्टूडेंट्स इनमें इतना पैसा खपाने के बाद भी बेरोज़गार रह जाते हैं। पर देखो इसमें स्टूडेंट्स भी क्या करें।
उनके ऊपर शुरू से ही उनके पैरेंट्स, सोसाइटी और रिलेटिव्स का इतना प्रेशर होता है कि वो मजबूर हो जाते हैं, और पैरेंट्स भी इस इच्छा में कि कोई बडी अपॉर्च्युनिटी मेरे बच्चे से मिस ना हो जाए, वो लाखों का लोन तक उठाकर लगा देते हैं। अब मैं यहां पर क्लियर कर दूं कि मैं किसी एजुकेशन को गलत नहीं बोल रहा। अच्छी एजुकेशन पर पैसा लगाओ और आपको लगाना भी चाहिए। वो एजुकेशन जो आपको ज्यादा वैल्यू नहीं देने वाली उस पर अपनी लाखों की कमाई लोन उठाकर लगा देना आपको एक ट्रैप में फंसा सकता है।
Final Words
तो दोस्तों यही थे कुछ ऐसे पॉइंट्स जिससे एक मिडिल क्लास वाला इंसान और नीचे जाता जा रहा है। मेरी आपसे रिक्वेस्ट है कि इस आर्टिकल को जितना ज्यादा हो सके उतना ज्यादा शेयर करना ताकि जो बाकी लोग इन बातों से अवेयर नहीं हैं उनको भी पता चले। और अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद।