अमीर बनना है तो पैसों को बैंक की जगह इन 6 assets में इन्वेस्ट करो

1947 indian city image
India in 1947


दोस्तो, आज से 76 साल पहले 1947  में जब भारत को आजादी मिली तब भारत कुछ ऐसा दिखता था। 

japan city after ww2
Japan after WW2


आज से 76 साल पहले जब World War 2 खत्म हुआ तब जापान कुछ ऐसा दिखता था। 

आज 2023  की बात की जाये तो 76 साल के बाद भारत कुछ ऐसा दिखता है। 

Indian city in 2023


2023 के हिसाब से जापान को देखा जाए तो वह कुछ ऐसा दिखता है। 

Japan city in 2023


यह इमेजेस क्लियरली बताती हैं कि जापान ने इंडिया से थोड़ा ज्यादा डेवलपमेंट किया है। अब सवाल यहां यह आता है कि जापान ऐसा क्या कर रहा है कि वह इतने तेज़ी से ग्रो कर रहा है? इसका जवाब काफी सिंपल है। जापान एक सेक्यूरिटी ड्रिवन सोसाइटी है जहां पर लोग पहले अपनी सेक्यूरिटी के पीछे भागते हैं। जबकि इंडिया एक स्टेटस ड्रिवन सोसाइटी है जहां पर लोग अपना स्टेटस बड़ा करने के पीछे भागते हैं। आपमें से काफी सारे लोग सोच रहे होंगे कि इंडिया भी सेक्योरिटी को बहुत chase करता है 

 जिसका जवाब हां भी है और ना भी, क्योंकि गरीब अपनी दो वक्त की रोटी कमाने के पीछे भाग रहा है। अमीर को तो कोई दिक्कत है ही नहीं ,पर जो मैक्जिमम मिडिल क्लास पॉपुलेशन है वह स्टेटस के पीछे भागते हैं। इसने आईफोन फिफ्टीन लिया इसलिए मैं भी दो साल की ईएमआई पर इसे खरीदूंगा। अच्छा इसने नाइकी के पांडा शूज पहने हैं तो मैं भी इसकी फस्र्ट कॉपी लेकर आऊंगा। 

मैं आपको ऐसे हज़ारों एग्जाम्पल्स दिखा सकता हूं, जहां यूथ स्टेटस गेम्स खेलता है। जी हां, मैं यूथ की ही बात करूंगा, क्योंकि इंडिया की मेजॉरिटी पॉपुलेशन यानी कि 66 परसेंट पॉपुलेशन यूथ है और यह यूथ मिडिल क्लास है । अब यहां सवाल यह आता है कि इंडिया के 66% पॉपुलेशन मिडिल क्लास क्यों है? इसका जवाब हमारी परवरिश में छुपा हुआ है। कैसे? 

जब एक बच्चा छोटा होता है, तभी उसके दिमाग में डाल दिया जाता है कि अपने पैसे को बैंक में सेव करना सीखो ताकि जब तुम पर मुसीबत आए, तुम्हारे पास तुम्हारे बैंक में पैसा पड़ा हो। अब सच में,मैं यह समझता हूं कि घर के बड़े बुजुर्ग तुम्हारा अच्छा ही चाहेंगे। पर अपना पैसा बैंक में सेव करके रखना is one of the worst pieces of advice जो आपको कोई दे सकता है। 

क्योंकि अगर एवरेज लगा कर देखो तो बैंक आपको 2 से 3 परसेंट का इंटरेस्ट देता है आपकी सेविंग्स पर और इन्फ्लेशन हर साल 5 से 8 परसेंट से बढ़ता है तो यहां पर आपका पैसा बढ़ने की जगह पर घट गया और आपका नुकसान हो गया। समझे नहीं, एक छोटे से एग्जाम्पल से समझाता हूं। 

सरल भाषा में कहा जाए तो इंफ्लेशन इज नथिंग बट महंगाई। मतलब जो डेली नेसेसरी की चीजें हैं ना जैसे कि सब्जियां, पेट्रोल, इलेक्ट्रिसिटी, गैस, एक्सट्रा। इनके प्राइस जब पिछले साल के मुकाबले बढ़ जाते हैं, तब कहा जाता है कि चीजों के भाव Inflate हो रहे हैं। मान लो कि आप बाजार में जाकर ₹100 की सब्जी खरीदते हो और अगले साल छह परसेंट से इनफ्लेशन बढ़ता है तो आपको वही ₹100 की सब्जी के लिए ₹106 देने पड़ेंगे, क्योंकि प्राइसेज बढ़ी हैं। 

अब ऐसे में आप मुझे बताओ कि अगर आपने अपना पैसा सेविंग्स अकाउंट में डालकर रखा है और सेविंग्स अकाउंट आपको तीन पर्सेंट का रिटर्न दे रहा है, तो आपका पैसा तीन पर्सेंट से कम हो गया ना? इसलिए मैं पर्सनल सेविंग्स के कॉन्सेप्ट में ज्यादा नहीं मानता। मैं इनवेस्टिंग के कॉन्सेप्ट में मानता हूं क्योंकि इन्वेस्टिंग मुझे इंफ्लेशन को बीट करने में मदद करती है। 

अब यहां पर सवाल आता है कि मैं मेरा पैसा कहां लगाऊं, जिससे मैं इनफ्लेशन को बीट कर पाऊं और अपना पैसा भी side by side ग्रो करूं। तो अपनी सीट बेल्ट बांध लो और एक पेन और नोटबुक लेकर बैठो, क्योंकि मैं आपको आज ऐसे 6 एसेट्स बताऊंगा, जिनमें इन्वेस्ट करके आप ईजिली अपने पैसे को ग्रो कर पाओगे।  


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1. Share Market

अब जिनके पास भी इनवेस्टिंग का नॉलेज है, उनके लिए शेयर खरीदना सबसे अच्छा प्लेटफार्म है पैसा कमाने का। लेकिन जिनके पास शेयर बाजार का नॉलेज नहीं है, उनके लिए यह काफी रिस्की मूव हो सकता है। जैसा मैंने पहले अपने आर्टिकल्स  में कहा है कि लाला रिस्क है तो इश्क है, तो रिस्क तो लेने के लिए आप रेडी हो। पर यहां पर मेजर सवाल यह आता है कि कौन सी कंपनी के शेयर खरीदें। 

तो पीटर लिंच एक बहुत ही सक्सेसफुल इनवेस्टर हैं और  वह कहते हैं कि हर एक कॉमन मैन के पास पूरे साल दो से तीन अच्छी अपॉर्च्युनिटी आती है, जिसके शेयर वह खरीद सकता है। इसके लिए उसे ऐसी ही चीजें देखनी होंगी जो उसके आसपास हैं। 

फॉर एग्जाम्पल जैसे फोटोग्राफर को पता है कि कौन सी कंपनी के कैमरा सबसे ज्यादा बिक रहे हैं या किसी हाउसवाइफ को पता है कि मार्केट में सबसे ज्यादा जैम कौन सा बिक रहा है, क्योंकि उसके और दूसरे पेरेंट्स के बच्चे वही जैम डिमांड करते हैं। 

उसी तरह एक फिट बंदे को पता है कि सबसे बेस्ट प्रोटीन शेक कौन सी कंपनी का आता है, तो यह ऑब्जर्वेशन पर अमेरिकन इनवेस्टरऔर  one up on wall street के ऑथर पीटर लिंच कहते हैं कि जब हमें ऐसी चीजें पता चलती हैं, जिनकी डिमांड काफी ज्यादा है और वह चीजें ट्रेंड में चल रही हैं, तो हमें सबसे पहले चेक करना चाहिए कि क्या वह कंपनीज लिस्टेड हैं या नहीं। कहने का मतलब है , क्या उस कंपनी के शेयर बिक रहे हैं भी या नहीं। अगर बिक रहे हैं तो इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि हमें ये शेयर्स ऐसे ही खरीद लेने है बल्कि हमें शॉर्टलिस्ट कर लेना चाहिए। 

जिसके बाद आपको जाकर इनकी फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स पढ़ लेनी चाहिए और जानना चाहिए कि कंपनी कितना पैसा अर्न करती हैं। क्या इन्होंने उधार लिया है या नहीं, जिसे आप एनालाइज करने के बाद आप और अच्छी अपॉर्च्युनिटी ढूंढ पाओगे। लेकिन हम इंडियंस इसका एकदम अपोजिट करते हैं। 

जैसे कि फॉर एग्जाम्पल, एक डॉक्टर फार्मा के बजाय पेट्रोलियम कंपनी में इनवेस्ट करता है और एक पेट्रोलियम सेक्टर में काम करने वाला बंदा फार्मा सेक्टर में निवेश करता है। तो आप मेरा प्वाइंट समझ गए हो तो जो सेक्टर में आपकी एक्सपर्टीज है, उसी में रिसर्च करके इनवेस्ट करो बल्कि किसी रैंडम सेक्टर में। 


2. SIP 

दोस्तों, दूसरे एसेट जिसमें आप अपने पैसे इनवेस्ट कर सकते हैं, वह है एसआईपी, जिसका मतलब है सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लानिंग। अगर आपकी सैलरी कम है और आप महीने के सिर्फ दो से ₹3,000 ही बचा पाते हैं तो यकीन मानिये SIP आपके लिए बढ़िया ऑप्शन हो सकता है। 

इसमें जैसे आप अपना पैसा बैंक में सेव करते हो, वैसे आपका अपना पैसा बैंक में न रखकर एसआईपी में इनवेस्ट करना चाहिए। क्योंकि जहां आपको बैंक दो तीन पर्सेंट का रिटर्न ऑफर करती है, वहीं एसआईपी में आपको 12 से 15 पर्सेंट रिटर्न मिल सकता है। 

क्योंकि बैंक आपको सिर्फ सिंपल इंटरेस्ट ऑफर करता है, जबकि एसआईपी आपको कंपाउंड इंटरेस्ट ऑफर करता है, जिसका मतलब आपको प्रॉफिट के ऊपर भी प्रॉफिट मिलता है। स्टार्टिंग में आपको लग सकता है कि एसआईपी में आपके पैसे धीरे धीरे ग्रो हो रहे हैं, लेकिन जैसे जैसे आपके पैसे  कंपाउंड होते जाएंगे, वैसे वैसे आपके पैसे और ग्रो होते जाएंगे। 


3. Licensing

तीसरा ऐसेट आता है लाइसेंसिंग। वैसे, यह कॉन्सेप्ट मिडिल क्लास लोगों में इतना कॉमन नहीं है। लेकिन अगर आप एक बार यह कॉन्सेप्ट समझ गए, तो आपको बार बार आपके कॉन्सेप्ट या आइडिया के लिए रिकरिंग पैसे मिल सकते हैं। लाइसेंसिंग का एक बढ़िया एग्जाम्पल तो बिल गेट्स है, जो कि माइक्रोसॉफ्ट विंडोज की हर एक कॉपी पर पैसा लेते हैं, जिसका मतलब जिस भी कंप्यूटर में उनका सॉफ्टवेयर डलेगा, उनमें उन्हें कमीशन मिलेगा। 

अगर हम थोड़े कॉमन लोग की बात करें तो स्टेफेन की एक ऐसे इंसान है जिन्होंने अपने कॉमन आइडियाज बनाकर कंपनी को बेचे और सालों तक कंपनी से कमीशन लिया। उन्होंने माइकल जॉर्डन का एक वॉल बॉल बनाया और एक कंपनी को बेचा, जिसके उन्हें 10 साल तक कंपनी से हर साल ₹70 लाख मिले और इस सिंपल डिजाइन पर उन्होंने सिर्फ 20 से 30 डॉलर खर्च किए थे। 

और तो और, उनका दूसरा प्रॉडक्ट भी ट्विस्ट एंड लर्न लेबल, यह बेसिकली एक नॉर्मल बॉटल है, जिसके मेन लेबल के पीछे एक छोटा सा लेबल होता है, जिसे अगर आप घुमाओ तो और ज्यादा डेटा दिख जाता है। तो इस  सिंपल सी डिजाइन से स्टेफेन को हर तीन महीने में ढाई लाख डॉलर मिलते हैं, जो कि साल के करीब ₹7 करोड़ होते हैं । 


4. Small Business 

रॉबर्ट कियोस्की ने अपनी बुक कैश फ्लो कोऑर्डिनेट में चार टाइप्स के लोगों के बारे में बताया है। उनमें से एक कैटेगरी है बिजनेस ओनर्स की। किसी भी कंट्री का सक्सेस का राज, उसकी फाइनेंशियल पॉलिसी और वन परसेंट पॉपुलेशन जो कि होते हैं बिजनेस ओनर्स। रॉबर्ट कियोस्की आज भी मानते हैं कि पैसों को बैंक में रखना पैसों का मजाक उड़ाने के बराबर है। क्योंकि पैसा होता ही है और पैसा बनाने के लिए। 

रॉबर्ट के रिच डैड हमेशा उनसे पैसिव इनकम जनरेट करने के लिए कहते थे और जब रॉबर्ट इस बात को समझ गए तब वह मिलेनियर बन गए। लेकिन हम इंडियंस आज भी बहुत सारे डिग्री लेकर जॉब के पीछे भागते हैं। जबकि आज का GenZ  कल्चर ये सारी चीजों को बदल रहा है और ये लोग सिर्फ डिग्री ही नहीं बल्कि स्किल्स को भी चेंज कर रहे हैं। 

आजकल इंडिया में ड्रॉपशिपिंग और फ्रीलांसिंग जैसी चीजें तेजी से बढ़ रही हैं क्योंकि आज की जनरेशन समझती है कि अगर उनके पास कोई बैकअप नहीं है और अगर वह अपने आप को फाइनेंशियली फ्री करना चाहती है तो उन्हें पैसे कमाने पड़ेंगे और नेटवर्क बनाने पड़ेंगे। 

जिसके बाद एक बार चीजें अच्छी हो जाएं और उनके छोटे बिजनेस से उन्हें ठीक ठाक पैसा आने लगे तब वह और लोग हायर करके और एक्सपैंड कर सकते हैं। ऑफिस सिस्टम्स एंड प्रोसेसेज बनाकर पैसिव इनकम को इंज्वॉय कर सकते हैं।  


5. Digital Products 

हमारी पहली पीढ़ी के पास अपॉर्चुनिटी नहीं थी, लेकिन आज का जनरेशन यह चीजों को समझता है, इसलिए वह लोगों के लिए डिजिटल प्रोडक्ट्स और डिजिटल कोर्सेस को क्रिएट कर रहे हैं, जिसे वह एक बार बनाकर बार बार सेल कर पा रहे हैं। डिजिटल प्रोडक्ट्स में कॉस्ट प्रोडक्शन ऑलमोस्ट जीरो है और स्केलेबिलिटी का कोई इश्यू ही नहीं है। 

इसलिए जैक मा ने अपने एक इंटरव्यू में कहा है कि वॉलमार्ट को ज्यादा प्रोडक्ट बेचने के लिए ज्यादा स्टोर्स बनाने पड़ेंगे, जबकि मुझे ज्यादा स्केल या सेल करने के लिए सिर्फ दो सर्वर सेट करने पड़ेंगे, जिसमें ज्यादा टाइम नहीं लगेगा। 

तो मुझे नहीं पता कि आप क्या कर रहे हो, पर मेरी एक एडवाइस लो कि जो कुछ भी आपको आता हो, जो भी डोमेन में आपकी एक्सपर्टीज है, उसके ऊपर कोर्सेज बनाओ और सेल करो। यह कोर्स बनाने की कॉस्ट जीरो है। सिर्फ दिमाग चलाना है और थोड़ी रिसर्च करनी है अपने टॉपिक से रिलेटेड। घर के पंखे बंद करने हैं। सारे लाइट्स ऑन करनी है और एक ट्राइपॉड पर अपना फोन लगाना है और बस बिना किसी झंझट के शुरू करना है।  


6. Social Media Content as Asset

दोस्तों आज के दौर में अगर आप आज भी सोच रहे हो कि जॉब करते रहो और आए हुए पैसों को बैंक में रखो तो मैं आपको बता दूं कि आप बहुत गलत सोच रहे हो क्योंकि जियो के बूम के बाद इंटरनेट गांव गांव तक पहुंच चुका है और यह बात मैं नहीं बल्कि अश्वनी ग्रोवर ने अपने एक इंटरव्यू में खुद कही है। 

इस बात में सच्चाई है कि क्रिएटर्स बहुत ज्यादा पैसा कमा रहे हैं सिर्फ कॉन्टेन्ट बनाकर। अगर आप इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर कंसिस्टेंट क्वालिटी कॉन्टेन्ट बना सकते हो तो मुबारक हो। आप अमीर बन सकते हो। क्योंकि मुझे आज भी याद है जब मुझे ब्लॉगिंग के बारे में पता चला था कि यहां से इतने पैसे कमा सकते हैं। 

वह भी उस चीज का कॉन्टेन्ट बनाकर जिसमें मुझे इंटरेस्ट है। तब मेरे होश उड़ गए थे जिसके बाद मैंने इंटरनेट पर कंसिस्टेंट अपलोड करना शुरू किया और धीरे धीरे मैंने अपने आप को काफी हद तक स्टेबल बना लिया। 


Final Words

तो दोस्तों यह थे वह 6 assets जिनमे आप अपना पैसा इन्वेस्ट करके उससे ग्रो कर सकते हैं। 

Vinod Pandey

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