Financial Education in Hindi: दोस्तों ,अगर मैं आपसे एक प्रश्न करू की फाइनेंशियली फ्री होना किसे कहते हैं तो ज्यादातर लोगों का यही जवाब होगा। एक बहुत बड़ा बंगला, अनलिमिटेड पैसा और एक लग्जरी गाड़ी। अगर यह सब किसी इंसान के पास है तो वह इंसान फाइनेंशियली फ्री है। लेकिन दोस्तों यह एक गलत जवाब है।
फाइनेंशियली फ्री होने का मतलब है कि आपका टोटल जितना भी खर्च है, वह आपके बिना कुछ किए आपके पास आता रहे तो आप पूरी तरह से फाइनेंशियली फ्री हो। एग्जाम्पल के थ्रू अगर समझे तो मान लीजिए आपका और आपकी पूरी फैमिली का टोटल मंथली खर्च 50 हज़ार रुपए है। तो अगर वह ₹50,000 बिना आपकी कोई भी मेहनत किए आपके पास आ रहे हैं तो आप भी फाइनेंशियली फ्री कहलाए जाओगे।
मतलब ओवरऑल अगर आप पैसों के लिए काम नहीं कर रहे हो तो yes you are financially free. अब 22 से 30 साल की जो उम्र होती है दोस्तों , इसी एज में हमारा आने वाला फ्यूचर डिसाइड होता है कि हम एक्चुअल में फाइनेंशियली फ्रीडम अचीव कर लेंगे या फिर पूरी जिंदगी फाइनेंशियली स्ट्रगल करते रहेंगे। अगर आप अपनी जॉब से ₹20,000 पर मंथ कमा रहे हैं, पर एक्सपेंसेज आपके इतने हैं कि आप दूसरी सैलरी मिलने से पहले ही अपना सारा पैसा खर्च कर देते हैं तो आप कभी भी फाइनेंशियली फ्री बन ही नहीं पाओगे।
फाइनेंशियली फ्री बनने के लिए कुछ मनी रूल्स हैं, जो आपको जरूर फॉलो करने चाहिए। अगर आप आने वाले दो तीन सालों में अपनी ड्रीम लाइफ जीना चाहते हो और उन्हीं मनी रूल्स को आज मैं आपको इस आर्टिकल में बताने वाला हूं। तो चलिए शुरू करते हैं।
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1. Know the difference between active income and passive income
दोस्तों , यह तो आप जानते ही होंगे कि हमारी मेनली दो तरह की इनकम होती हैं। एक एक्टिव इनकम और एक पैसिव इनकम, जिसमें से एक्टिव इनकम का मतलब होता है कि जब तक आप काम कर रहे हो तब तक ही आपको पैसा मिल रहा है। अगर आप किसी वजह से उस काम को करना बंद कर देते हो तो इनकम भी आपकी वहीं बंद हो जाती है।
एग्जाम्पल के लिए आपकी कोई भी ऐसी जॉब जो सिर्फ एक मात्र तरीका है आपके पैसे कमाने का, जब तक आप उनके लिए काम कर रहे हैं तब तक वह आपको इसके पैसे दे रहे हैं। अगर आप एक दो महीने की वहां से छुट्टी कर लेते हैं तो पैसे देना तो दूर की बात है हो सकता है वह आपको उस कंपनी से भी निकाल दें। लेकिन अगर पैसिव इनकम की बात करें तो पैसिव इनकम में स्टार्टिंग में आपको थोड़ा बहुत हार्डवर्क करना होता है। बाद में आप सोते हुए भी यहां से इनकम जनरेट कर सकते हैं।
एग्जाम्पल के लिए जैसे आपका कोई भी एक बिजनेस। शुरुआत में आपको यहां पर मेहनत करनी होती है। क्योंकि उस वक्त आपको अपने प्रोडक्ट या फिर सर्विस को लोगों तक पहुंचाना होता है। एक बार आपका प्रोडक्ट या फिर सर्विस लोग पसंद करने लगते हैं तो वह खुद ही आपके प्लैटफॉर्म पर वापस आना शुरू कर देते हैं और फिर धीरे धीरे आपका बिजनेस अपने आप ही ग्रो होने लगता है। जितने बड़े लेवल पर आपका बिजनेस चलने लगता है, उसी हिसाब से आपको बाकी लोगों को भी हायर करना होता है।
यहां आकर आप बिल्कुल फ्री हो जाते हो। अब अगर आप काम नहीं भी कर रहे हैं, तब भी आपको वहां से इनकम आ रही है, क्योंकि आपके काम को उस वक्त आपके वर्कर्स कर रहे होते हैं। तो अगर आपको 20-30 की एज में आकर जल्द से जल्द फाइनेंशियली फ्री होना है तो सबसे ज्यादा फोकस आपको अपनी पैसिव इनकम पर करना होगा और यह कैसे पॉसिबल हो पाएगा।
यह पॉसिबल आपकी एक्टिव इनकम से ही हो पायेगा। आपको तब तक एक्टिव इनकम पर ही काम करते रहना होगा जब तक आप वहां से एक पैसिव इनकम जनरेट करने लायक मनी अर्न नहीं कर लेते। उसके बाद आपके लिए मल्टीपल स्ट्रीम्स खुल जाएंगी जहां पर आप अपना पैसा इन्वेस्ट करके कई ज्यादा प्रॉफिट कमा सकते हो।
2. Know the difference between assets and liabilities
इसको बिल्कुल सिंपल तरीके से अगर मैं आपको समझाऊं तो एसेट्स वह होते हैं, जो कि आपको पैसा अर्न करके देते हैं और लायबिलिटीज वह होती हैं, जो आपकी पॉकेट से भी आपका पैसा खींच लेती है। उदारहण के लिए मान लीजिये आपकी ₹30,000 पर मंथ की एक नई जॉब लगी है और आप तीन चार महीने बाद अपने दोस्तों में शो ऑफ करने के लिए एक कार फाइनेंस करा लेते हैं।
अब भले ही आप लोगों को बाहर से कितना भी अमीर दिखाई दे रहे हैं, बट सबसे पहले आपको हर महीने इसकी इंस्टॉलमेंट देनी होगी, जो कि अराउंड ₹10,000 की होगी। इसके बाद इसके डेली पेट्रोल का खर्च। अगर आपके घर में इतना स्पेस नहीं है कि आप इस कार को रख सको तो एक और खर्च इसकी पार्किंग का भी। तो यहां पर सिर्फ एक कार खरीद लेने से अगर आपकी ₹30,000 की सैलरी 10 से 15,000 तक ही सीमित रह जाती है तो यह आपके लिए एक बहुत बड़ी लायबिलिटी है।
वहीं इसके अलावा अगर आप एक टैक्सी फाइनेंस करा कर किसी को रेंट पर दे देते हैं तो आप पूरी इंस्टॉलमेंट उसी टैक्सी के रेंट से भर सकते हैं। और तकरीबन एक या दो साल के बाद वह टैक्सी आपकी खुद की हो जाती। तो यह एक बहुत ही बड़ा फर्क होता है एसेट्स और लायबिलिटी में।
अब ऐसा नहीं है कि आप किसी भी चीज को देखकर ही बता सकते हैं कि यह एक एसेट है या फिर लायबिलिटी है। यह चीज पूरी तरह आप पर डिपेंड करती है कि आप उस चीज को बनाते क्या हैं। अगर आप एक घर खरीदते हैं और उसको खरीद लेने के बाद आप उस पर ताला लगाकर छोड़ देते हैं तो यह घर आपके लिए लायबिलिटी है, क्योंकि लाखों रुपये आपने इस घर पर खर्च किए हुए हैं।
वहीं दूसरी तरफ अगर आप इसको रेंट पर दे देते हैं तो हर महीने आपको यहां से इनकम आती रहेगी। तब यह आपके लिए एक एसेट बन जाएगा। तो फाइनेंशियली फ्री होने के लिए हमें जितना हो सके, उतना एसेट्स क्रिएट करने होंगे। जितने ज्यादा आपके पास एसेट्स होंगे, उतना ही ज्यादा आपको अलग अलग जगहों से इनकम आनी शुरू हो जाएगी और आप बहुत जल्द अपनी लाइफ में फाइनेंशल फ्रीडम अचीव कर लेंगे।
3. Don't stuck in savings start investing
पैसे सेव करना एक बहुत ही अच्छी चीज है। यह मैं भी करता हूं और आपको भी जरूर करना चाहिए। अगर आप सिर्फ सेविंग्स करके ही अपने ड्रीम्स को पूरा करने की सोच रहे हैं तो यहां पर आप फाइनेंशियली फ्री कभी नहीं बन पाओगे। एग्जाम्पल, मान लीजिए आपको एक प्रॉपर्टी पसंद आ जाती है, जिसके रेट्स आपको बताए जाते हैं ₹40 लाख।
अब आप बहुत मेहनत करते हैं उन 40 लाख रुपयों को सेव करने के लिए। 6 से 7 सालों के बाद आप उन पैसों को सेव भी कर लेते हैं। बट जब आप वापस से उस प्रॉपर्टी को खरीदने जाते हैं तो उस वक्त आपको उसके रेट्स बताए जाते हैं ₹70 लाख। क्योंकि सात साल के अंदर उस जगह की वैल्यू और बढ़ चुकी होती है और इन्फ्लेशन की वजह से उसके रेट्स भी इनक्रीज हो जाते हैं।
तो पैसा सिर्फ सेव करते रहने से आपको अपनी ड्रीम लाइफ कभी हासिल नहीं हो पाएगी। बजाय इसके आप सिर्फ थोड़े टाइम के लिए अपना पैसा सेव करें और एक सही टाइम आने पर एक एसेट क्रिएट करने के लिए उस पैसे को इन्वेस्ट कर दें, जिससे फ्यूचर में आपका पैसा आपको और पैसे बनाकर देगा।
4. Know Your Needs and Wants
दोस्तों , हमको लाइफ में सर्वाइव करने के लिए तीन चीजों की जरूरत होती है। रहने के लिए घर, पेट भरने के लिए खाना और बॉडी को ढकने के लिए कपड़ा। ये तीनों चीजें हमारी एक नीड हैं। यानी कि इसके बिना हम लाइफ नहीं जी सकते। लेकिन अगर Want की बात की जाए तो Want हमारी नीड का एक लग्जरी वर्जन है।
जैसे कि एक आलीशान घर, फाइव स्टार होटेल जैसा खाना और सभी तरह के ब्रांडेड कपड़े। अब हो सकता है आपको ये थोड़ा बहुत ट्रिकी लगा हो और आपको ज्यादा कुछ समझ न आया हो। पर इस एग्जाम्पल के बाद आपको यह कॉन्सेप्ट हंड्रेड परसेंट समझ में आ जाएगा।
हमारा काम नॉर्मल पैंट शर्ट से भी चल सकता है। हम ब्रांडेड कपड़े क्यों खरीदते हैं?क्योंकि हमें दूसरे लोगों को यह शो कराना होता है कि हमारी लाइफ उनकी लाइफ से कितनी ज्यादा लग्जरी है और हम इस लाइफ में कितने ज्यादा खुश हैं। दोस्तों ,ऐसा करना बिल्कुल गलत नहीं है।
हर किसी को अपनी पसंद की लाइफ जीने का पूरा हक है। पर अगर आपकी मंथली सैलरी सिर्फ ₹20,000 है और आप 50 से 60000 रुपए का मोबाइल खरीदकर ला रहे हैं तो इससे आप कभी भी फाइनेंशियली फ्री नहीं बन पाओगे। आपने कई लोग अपनी लाइफ में ऐसे भी देखे होंगे जो अमीर तो होते हैं फिर भी वह अपनी सिर्फ एक नॉर्मल लाइफ जीते हैं और इसी वजह से उनको ज्यादातर लोग कंजूस बुलाने लग जाते हैं।
एक्चुअल में वह कंजूस नहीं होते। यह सिर्फ हमारी एक थिंकिंग होती है क्योंकि हमको ऐसा लगता है कि इतने सारे पैसे होने के बाद इनके पास ये सब भी होना चाहिए। लेकिन उन लोगों को इन सबकी जरूरत ही नहीं होती और न ही वह इन सब चीजों को खरीदना चाहते हैं जिससे उनका पैसा बचता है। जिस पैसे को इन्वेस्ट करके और कहीं ज्यादा पैसा कमाते हैं।
अब हो सकता है आपको यह बात थोड़ी सी ऑकवर्ड सी लगे लेकिन अगर आपको एक्चुअल में फाइनेंशियली फ्री बनना है तो आपको भी कुछ टाइम के लिए कंजूस बनना पड़ेगा जिससे आपका बेफालतू का खर्च बचा रहेगा और उस बचे हुए पैसे को आप इन्वेस्ट करके अपने इनकम के लिए मल्टीपल सोर्सेज बना सकते हैं।
फाइनेंशियल फ्रीडम को अचीव करने के लिए आपको इनवेस्टमेंट को अपनी एक हैबिट बनानी होगी क्योंकि बिना अपना पैसा कहीं पर इन्वेस्ट करे कोई भी इंसान आज तक अमीर नहीं बन पाया। इसमें हो सकता है आपको थोड़ा बहुत रिस्क भी लेना पड़े। पर यह एक मच बेटर ऑप्शन है, आपका जिंदगी भर पैसों के लिए काम करते रहने से।