मिडिल क्लास ड्रीम। यह बना है दो शब्दों से जिसमें से पहला शब्द है सपना जो हर वो चीज दिखाता है जिसकी हमें बचपन से तमन्ना थी। और दूसरा शब्द है मिडिल क्लास जो हकीकत दिखाकर वापस जमीन पर लाकर पटक देता है। सपने हम सबके लिए लाइफ में बहुत मैटर करते हैं। खुशियों के लिए, ग्रोथ के लिए, सक्सेस के लिए सपने बहुत जरूरी हैं और एक मिडिल क्लास इंसान हमेशा इन सपनों की दुनिया में जीना चाहता है।
अच्छा घर, गाडी, बंगला, बैंक बैलेंस हर मिडिल क्लास का ड्रीम होता है। पर यही मिडिल क्लास ड्रीम न जाने कब देखते देखते हमसे कुछ ऐसा करवा बैठता है, जो हमारे फाइनेंशियल फ्यूचर की पूरी वाट लगा देता है। जब हम छोटे होते थे, तब हमें लगता था कि बाहर की दुनिया ही सब कुछ है।
बडी बडी बिल्डिंग्स, स्टाइलिश लोग, चमचमाती गाडियां। ये सारी चीजें देखकर हम भी ड्रीम करते थे कि मैं बडा होऊंगा तब मैं भी ये सारी चीजें अचीव करूंगा। पर असल में ऐसा होता नहीं है। तो आइए आज के इस आर्टिकल में जानते हैं कि आखिर एक मिडिल क्लास के कौन कौन से ड्रीम होते हैं और कैसे उन ड्रीम को पूरा करने के चक्कर में वो एक ट्रैप में फंस जाता है, जिससे वो बाहर निकलना तो चाहता है पर कुछ रीज़न की वजह से कभी बाहर नहीं आ पाता।
1. Dream job
हर मिडिल क्लास इंसान का सबसे पहला सपना होता है एक अच्छी जॉब, जो हमें सेफ्टी दे, सेक्योरिटी दे और अच्छा खासा पैकेज दे जिससे जिन्दगी की गाडी बिना रुके चल सके। और इस ड्रीम जॉब को पाने के लिए हम हर पॉसिबल कोशिश करते हैं, टाइम लगाते हैं, अपने कई साल लगाते हैं। परन्तु आखिर में हमें सैटिस्फाइड होना पडता है एक नॉर्मल एवरेज जॉब से। सबको सब कुछ अच्छा देने के चक्कर में कुछ भी नहीं दे पाते और ड्रीम जॉब का सपना मानो सपना ही रह जाता है।
पर एक मिडिल क्लास इंसान यहां नहीं रुकता। वो हाथ पैर मारता है। कोशिश करता है कि आज नहीं तो कल 30-35 की एज में भी अच्छा पैकेज वाली जॉब मिल जाए तो बढिया हो जायेगा और इस चक्कर में वो प्रजेंट की सारी इम्पॉर्टेंट चीजों को दांव पर लगाता चला जाता है। मैंने रियल में देखा है, मेरे पडोस में एक भैया हैं जो कि CA की प्रिपरेशन कर रहे थे।
उन्होंने काफी बार एग्जाम वगैरह दिए। पर दुर्भाग्यवश उनका नहीं हो पाया। इस बीच उन्होंने कई जॉब करके पैसा रुपया कमाया पर वही ड्रीम जॉब की तलाश में वो हमेशा से थे। अब हुआ क्या कि 32 की एज हो गई। टेंशन और प्रेशर दोनों ही उनके सर पर थे। इतनी अच्छी कोई जॉब भी नहीं थी कि 20-25 लाख की सेविंग हो या बैंक बैलेंस हो।
तब उन्होंने एक लास्ट ट्राय मारा और साम दाम दंड भेद लगाकर एक अच्छी कंपनी में जॉब हासिल कर ही ली। जहां एक्सपीरिएंस होने की वजह से उन्हें काफी अच्छा पैकेज भी मिला। पर हुआ क्या कि बीते हुए सालों में उन्होंने अपनी हेल्थ और अपनी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बनाने में बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया। ड्रीम जॉब पाने के चक्कर में हर जगह पैसा लगाया नहीं। सेविंग्स कर ही नहीं, इन्वेस्टमेंट करके बस कमाते गए और खर्च करते गए।
और हुआ ये कि उनकी जिस कंपनी में जॉब लगी थी उसने भी उनको कोरोना के टाइम पर निकाल दिया। अब हुआ क्या कि वो पूरी तरह से बिखर गए और उन्हें बहुत बाद में जाकर रियलाइज हुआ कि सपनों की नौकरी के चक्कर में उन्होंने अपनी नींद गंवा दी, और पैसा वो भी कभी ठीक से मैनेज करना सीख ही नहीं पाए।
देखो अब मैं यहां पर ये नहीं कह रहा कि एक अच्छी जॉब के पीछे मत भागो। ज्यादा पैसा कमाना किसे अच्छा नहीं लगता क्योंकि फाइनेंशियल स्टेबिलिटी उसी से आती है। पर ड्रीम जॉब के पीछे इतना भी मत भागो कि बाकी सब पीछे छूट जाए और हाथ में कुछ भी न बचे। तो सबसे पहले Identify Yourself .
किसी चीज को एक बार ट्राय करो, दो बार करो, तीसरी बार भी करो और फोर्थ टाइम सोचो। क्या ये सही है कि मैं कुछ और नहीं कर सकता हूं क्या? देखो यार हम मिडिल क्लास लोगों का यही प्रॉब्लम है। हमारे फंडे ही गलत है। हमारी लाइफ का मेन गोल होना चाहिए कि एक बेहतर, सेफ, सिक्योर फाइनेंशियल फ्यूचर हो न कि 9-5 की जॉब। हां, मैं मानता हूँ की जॉब सबसे फास्टेस्ट एंड सेफेस्ट तरीका है पैसा कमाने का। तो इसी रेस में हम भी निकल पडते हैं।
पर अगर ध्यान से देखो तो यह एक 400 मीटर की रेस ट्रैक है। वहां ऑलरेडी 400 लोग दौड़ रहे हैं तो समझो, वहां पर जगह ही नहीं है। तो जिस जगह पर आप हो वहीं से ग्रो कर सकते हो। जैसे अगर आप एक नॉर्मल जॉब में भी हो, ड्रीम जॉब के साथ किसी भी बिजनेस आइडिया पर काम करो। कोई सेकंड सोर्स इनकम जनरेट करो और क्या पता तभी आपको आपका ड्रीम जॉब या बिजनेस मिल जाए।
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2. Dream car
हर मिडिल क्लास इंसान की लिस्ट में ड्रीम जॉब के बाद टॉप प्रायरिटी होती है ड्रीम कार की। यार देखो एक ड्रीम कार किसे पसंद नहीं है। बचपन से ही जब हम सड़कों पर गाडिय़ां देखा करते थे तभी से सेलेक्ट कर लेते थे कि बड़े होकर ये वाली गाड़ी खरीदेंगे।
पर दोस्तों सोच के देखो उस समय न ही हमें किसी चीज की समझ होती थी नहीं पैसा रुपया कैसे कमाया जाता है ये पता होता था। पर फिर भी कुछ लोग अपने बचपन की लग्जरी कार खरीदने के सपने को अपनी जिद बना लेते हैं। उनके अकॉर्डिंग गाड़ी एक सोशल सिंबल है, कि जितनी अच्छी गाडी होगी समाज में इज्जत उतनी ज्यादा होगी और ये लग्जरी कार का ड्रीम उनके लिए ट्रैप बन जाता है।
क्योंकि दोस्तों , गाड़ी खरीदना ही सबकुछ नहीं होता। पहले आपको गाडी की पूरी कॉस्ट पे करनी पडती है मेंटेनेंस, पार्किंग, फ्यूल और सबसे बडी चीज कार इंश्योरेंस। एक गाडी के साथ ये सभी खर्चे भी आते हैं और यही खर्चे एक मिडिल क्लास इंसान का पूरा बजट प्लान की ऐसी की तैसी कर देते हैं। और तो और सबसे बडा खर्चा है EMI का।
एक रिपोर्ट के अकॉर्डिंग इंडिया की ऑटोमोबिल इंडस्ट्री दुनिया की फोर्थ लार्जेस्ट इंडस्ट्री है जो कि लगभग 100 बिलियन डॉलर की है और आप बिलीव नहीं करोगे इसमें सबसे ज्यादा कॉन्ट्रिब्यूशन है मिडिल क्लास लोगों का। लोन और EMI की मदद से हमें हर चीज सिल्वर प्लैटर पर मिली हुई है।
पर मैं आपको हकीकत बताता हूं। एक मिडिल क्लास फैमिली जिसको एक लग्जरी कार खरीदनी होती है वो अपनी सारी सेविंग, इन्वेस्टमेंट, बच्चों की एजुकेशन और अपने हेल्थ दांव पर लगा देते हैं। सिर्फ इसलिए ताकि सोसाइटी में वैल्यू बनी रहे। इनके पास हेल्थ इंश्योरेंस नहीं होगा, पर गाड़ी का इंश्योरेंस जरूर होगा। अपनी ड्रीम कार खरीदने से पहले अपने स्टेटस को चेक करो।
EMI का मंथली अमाउंट कैलकुलेट करके डिसीजन लो। और तो और लग्जरी कार खरीदने से बेहतर एक नॉर्मल कार जो आपकी नीड्स को पूरी कर सके, उसे लो। वॉरेन बफेट, बिल गेट्स इन सभी के पास अपने करियर की शुरुआत में सेकंड हैंड कार थी।
3. Dream House
अगला और हर मिडिल क्लास का सबसे बडा सपना, सपनों का आशियाना यानी ड्रीम हाउस।अब होता क्या है कि एक मिडिल क्लास फैमिली हमेशा से ही टाइट बजट, लिमिटेड एक्सपेंस और स्टेबल लाइफ जीती है और अपने आने वाली जेनरेशन से वह उम्मीद लगाते हैं कि हमारे सपने ये पूरा करेंगे या करेगी। और हम भी कहीं न कहीं इसे अपनी रिस्पांसिबिलिटी मानते हुए काम करते हैं और अपने घर का सपना पूरा करने की कोशिश करते हैं।
पर मोस्टली केसेस में ऐसा होता नहीं है और अगर वो ड्रीम हाउस अचीव कर भी लेते हैं तो अपने फाइनेंशियल फ्यूचर को पूरी तरीके से दांव पर लगा बैठते हैं। कैसे एक एग्जाम्पल के थ्रू समझाता हूं। तो मान लीजिये मिस्टर एंड मिसेज सिंह एक मिडिल क्लास फैमिली से बिलॉन्ग करते हैं।
अब दोनों ने काफी साल कॉरपोरेट में काम किया और अपनी फैमिली को, अपने बच्चों को हर पॉसिबल खुशियां देने की कोशिश करी और अब वो दोनों बेंगलुरु के एक रेजिडेंशियल एरिया में एक प्रॉपर्टी बाय करने का डिसाइड करते हैं। पर जैसा कि आप सब जानते हैं कि बैंगलोर जैसे शहर में एक नॉर्मल प्रॉपर्टी अफोर्ड करना कितना महंगा है , इसलिए वह होम लोन का फैसला करते हैं।
उन्हें ₹12000000 की प्रॉपर्टी भी अच्छी डील पर मिली, जिसमें अपनी सेविंग और इन्वेस्टमेंट से उन्होंने डाउन पेमेंट करी और ₹70 लाख का लोन ले लिया। अब जैसे कि आप देख सकते हो कि नाइन परसेंट इंट्रेस्ट के हिसाब से अगले 20 साल तक 63 हज़ार 432 की मंथली ईएमआई उन्हें पे करनी पड़ेगी। अब डील तो लॉक कर दी पर EMI पेमेंट और हाउस एक्सपेंस ने मिस्टर और मिसेज सिंह के फ्यूचर को भी लॉक कर दिया।
EMI के साथ साथ हिडन कॉस्ट, मेंटेनेंस कॉस्ट, प्रॉपर्टी टैक्स, इंश्योरेंस जैसी खर्चों ने उनके बजट को पूरी तरीके से बिगाड़ के रख दिया। अब उनकी इनकम का मोस्टली हिस्सा घर के एक्सपेंस में जाने लगा। यानि अब वो लोग बस एक इमरजेंसी सिचुएशन दूर थे गरीब होने के और पेमेंट में डिफॉल्ट करने के । एक इमरजेंसी और सारी सेविंग खत्म। सारा पैसा खत्म। जॉब खतम और पेमेंट में डिफॉल्ट शुरू।
मिडिल क्लास लोगों का जो अपने घर को लेकर थॉट प्रोसेस है, उसे चेंज करने की सख्त जरूरत है। एक अमाउंट डिसाइड करो ताकि आप टाइमली EMI पे कर सको। हमें ये पता होना चाहिए कि अगले 20-25 सालों तक हम वो लोन पे कर पाएंगे या फिर नहीं। क्योंकि ऐसा न हो कि आप तो लोन चुका न पाएं और उस चीज की जिम्मेदारी अपने बच्चों पर सौंप दो जो आपके बच्चों के लिए कहीं नाइटमेयर न बन जाए। प्लानिंग और प्रॉपर फंड के साथ ही खरीदा हुआ हाउस ही ड्रीम हाउस होता है, जो आपको हैप्पी ड्रीम दे न कि नाइटमेयर।
4. Dream Education
नेक्स्ट और मोस्ट इम्पोर्टेन्ट चीज़ जो इन सभी ड्रीम को शुरू होने की जड़ है वह है ड्रीम एजुकेशन। अगर मैं आज से 10-20 साल पहले की बात करूं तो मिडिल क्लास इंसान की लाइफ में एजुकेशन का मतलब था नॉर्मल स्कूल, रेगुलर कॉलेज और बस ठीक ठाक सी डिग्री और ज्यादा हुआ तो सरकारी नौकरी की प्रिपरेशन। पर आज की डेट में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
आज की डेट में स्कूल का मतलब है हाई क्लास इंटरनेशनल स्कूल। कॉलेज का मतलब टॉप कॉलेज और फ्यूचर एजुकेशन और मास्टर्स के लिए फॉरेन निकल जाओ। एक रिपोर्ट के अकॉर्डिंग भारत में आज की तारीख में बेस्ट एजुकेशन फैसिलिटीज देने की कॉस्ट लगभग 30 लाख हो गई है। अब ऐसे में एक मिडिल क्लास पेरेंट्स अपने बच्चों से दो बातें कहता है।
पहली कि बेटा देखो तुम सिर्फ पढाई पर ध्यान लगाओ, बाकी जो चाहिए हम अरेंज करके देंगे कोई दिक्कत नहीं है। जरूरत पड़ी तो गांव की जमीन भी बेच देंगे। दूसरी कि बेटा देखो हमारे पास इतना पैसा नहीं है तो तुम एक काम करो किसी प्रोफेशनल कोर्स को करो, अच्छी डिग्री लो और और कुछ नहीं तो सरकारी जॉब के लिए तैयारी करो। उसके लिए तुम जो कहोगे हम वो करेंगे।
अभी दोनों ही स्टेटमेंट एक मिडिल क्लास फादर के सेंटिमेंट को दिखाती है। एक मिडिल क्लास पेरेंट्स कभी नहीं चाहेगा कि उसका बच्चा कामयाब न बने। इसलिए वो खुद दो टाइम की जगह एक टाइम रोटी खा सकता है पर अपने बच्चों को सब कुछ देना चाहता है। और सिर्फ पेरेंट्स ही नहीं आजकल हर यंग बच्चे को हायर एजुकेशन के लिए कनाडा जाना है। वो सबकी ड्रीम एजुकेशन डेस्टिनेशन बन चुकी है।
अब ऐसे में पेरेंट्स लोन लेकर बच्चे को भेजते हैं पर हम मिडिल क्लास लोग ये नहीं समझ पाते जिस चीज के लिए हम इतना क्रेज करते हैं उसकी गाज हमारे सर पर आकर गिरती है। बाहर गया वो बच्चा पहले दिन से जॉब की तलाश में निकल पडता है क्योंकि उसे सबसे पहले लोन के पैसे इकट्ठा करना है। फिर अपनी लाइफ भी सेटल करनी है, खर्चे भी निकालने हैं, लाइफ एन्जॉय भी करनी है।
इन सभी चीजों में वो असली चीज तो भूल ही जाता है जो कनाडा जाकर करना था, पढाई। देखो यार अपने फ्यूचर के लिए बेस्ट सोचना कोई गलत काम नहीं है, पर बच्चे की एजुकेशन में इतना भी न खो जाओ कि कर्ज के तले दब जाओ और बुरी हालत हो जाए।
जरूरी नहीं कि डिग्री से ही सब कुछ पाया जा सकता है। एजुकेशन जरूरी है। एक नॉर्मल डिग्री के बाद भी इंसान अपनी स्किल पर काम करके खूब पैसा कमा सकता है। बहुत से ऐसे लोग हैं जो लाखों रुपए डिग्री पर खर्च कर देते हैं। पर महीने की मुश्किल से 20-25,000 रूपये भी नहीं कमा पाते। इसलिए सारे डिसीजन सोच समझकर लो।
5. Dream Wedding
अगला ड्रीम, ड्रीम वेडिंग, सबसे बडा और असंख्य बर्बादी का कारण है ये वाला ड्रीम। पहले तो मिडिल क्लास लोग क्या करते हैं कि अपनी औकात से बाहर का लाइफ पार्टनर सेलेक्ट करते हैं और पहले ही दिन से उसे ऐसे शो करते हैं कि नहीं हमारे पास तो बहुत पैसा है हम सब खरीद सकते हैं। ये सडक,यह मॉल,यह दुनिया सब हमारे पिताजी की है। तुम बस हाथ रखो जो चाहिए।
और औकात तो तब समझ में आती है जब सामने से लडकी वालों की तरफ से प्रपोजल के साथ साथ शर्तें भी आती हैं कि आपके बेटे के पास अच्छी जॉब होनी चाहिए, अच्छा घर होना चाहिए। बैंक में 25 -30 लाख होने चाहिए और वो भी अगले छह महीने के अंदर, तो ही हम अपनी बेटी विदा करेंगे, और वेन्यू रखेंगे जैसलमेर, राजस्थान।
एक के बाद एक मानो बिग बॉस के टास्क मिलते चले जाते हैं। अरे भाई एक मिडिल क्लास आदमी छह महीने में ₹25 लाख खर्च नहीं कर सकता, बेचारा कमाएगा कहां से? उसकी सोच 1 लाख के बाद खत्म हो जाती है। और जब यही डिमांड लडके वाले करते हैं तो मानो लडकी के पिताजी पर तो आसमान आकर गिर पडता है।
अरे भाई, उस इंसान ने अपनी जिंदगी भर की मेहनत लगाकर 20 -25 लाख अपनी बेटी के लिए सेव किए और अकेला सारा खर्चा वेन्यु पर ही करवा दोगे तो क्या ही बचेगा। पर कोई नहीं, हमारा मिडिल क्लास कोशिश जरूर करता है। पिक्चर परफेक्ट वेडिंग होनी चाहिए। जो जो चाहिए सब करेंगे पर पैसा तो है नहीं तो कैसे करेंगे। कुछ नहीं सहारा ले लेंगे लोन का।
एक रिपोर्ट के अकॉर्डिंग एक पिक्चर परफेक्ट वेडिंग का मिनिमम खर्चा 25 से 50 लाख रुपए है और अगर guesting बढा दी जाए तो यह खर्चा 70 से 80 लाख तक भी हो सकता है। अब लोग लोन लेकर शादी तो कर लेते हैं पर शादियां उतनी अच्छी से नहीं चल पाती। पर हां लोन जरूर जिंदगी भर चलता रहता है। सो इसका बेस्ट सॉल्यूशन है, हमेशा अपने पार्टनर से सच्चे रहो।
पहले दिन से, पहली मीटिंग से अगर आप ट्रांसपरेंट रहोगे, फाइनेंशियल अवेयर रहोगे, तो फ्यूचर दोनों का एक साथ होगा और ब्राइट होगा। फैमिली को, फ्रेंड्स को, सोसाइटी को दिखाने वाले ड्रीम वेडिंग मत करो। बल्कि एक ऐसे ड्रीम वेडिंग प्लान करो जो फाइनेंशियल स्टेबिलिटी के साथ साथ हर वो खुशियां दे पाए जो दो लोग एक दूसरे से चाहते हैं।
आप सब जानते हो कि इंडिया में 90 परसेंट घरों में कलेश होने का सिर्फ एक ही कारण है पैसा। अब ऐसे में सारी जिम्मेदारी एक बंदे के हाथ में रख दोगे तो वो फेल हो गा ही। इसलिए दोनों लोगों को साथ मिलकर अपनी जिंदगी और अपनी फाइनेंशियल लाइफ प्लान करनी चाहिए।
6. Dream Lifestyle
एट लास्ट हर मिडिल क्लास इंसान का ड्रीम होता है ड्रीम लाइफस्टाइल जीना। सुबह उठते ही पैरों के नीचे चप्पल आ जाए। सिल्क रोब पहनकर बाहर निकलो तो जूस और ब्रेकफास्ट रेडी हो। इंपोर्टेड वॉचेज और शूज के कलेक्शन में से एक पहनकर तीन पीस सूट में बाहर निकलो तो गाडी हाजिर हो। और रास्ते में चलते हुए सब मुड़ मुड़ कर देखें। बस एक मिडिल क्लास का यही सपना होता है ना।
सब अपने आप को अक्षय कुमार की जगह एक न एक बार तो इमेजिन करते ही हैं और वही ड्रीम लाइफ स्टाइल अचीव करने में लग जाते हैं। मैंने ये बात बार बार कही है कि एक मिडिल क्लास आदमी जो है वो सोच से तो रिच होता है पर जेब से पुअर क्लास। और अपनी सोच तक पहुंचने के लिए और ड्रीम लाइफस्टाइल अचीव करने के लिए हर मिडिल क्लास इम्पल्स बाइंग का शिकार बन जाता है।
हर समय सोसाइटी के ट्रेंड्स फॉलो करने में लग जाता है। मार्केट में कौन सा नया फोन आया है, कौन सी नई मूवी लगी है, कौन से शूज का ब्रांड आया है, कहां कैफे या बार्स खुले हैं, कहां लेट नाइट पार्टीज होती है, इन सबका उसे पता है। आईफोन, लग्जरी वॉचेस, शूज और कपड़ों में तो इंडिया यूथ का कोई जवाब ही नहीं है। पर आखिर ये सब खरीदते कैसे हैं? इनके पास पैसा कहां से आता है? दरअसल पैसा तो नहीं है पर ख्वाहिश और सपने जरूर हैं।
इसलिए शॉर्ट टर्म लोन, पोस्टपेड और ईएमआई का सहारा लेकर ये सारा सामान खरीदते हैं। ट्रेंड्स की तो ऐसी भूख है सबके अंदर की मानो ट्रेंड नहीं फॉलो किया तो लोग इज्जत नहीं करेंगे। कोई भाव नहीं देगा। देखो यार, ये ड्रीम लाइफ स्टाइल का ख्वाब हम मिडिल क्लास लोग तभी अचीव कर सकते हैं, जब हम अपने फाइनेंस को लेकर फ्री हों।
फैमिली का फ्यूचर सिक्योर हो, बच्चों की अच्छी एजुकेशन के लिए फंड हो, इमरजेंसी सिचुएशन के लिए पैसा हो और फैमिली की सभी जरूरतों को पूरा कर पाएं, तभी हम अपने लिए और अपनी फैमिली के लिए एक बेहतर फाइनेंशियल फ्यूचर दे पाएंगे और वही हमारी ड्रीम लाइफ होगी।