हमारी लाइफ का असली मकसद क्या है? यह सवाल कई लोगों के दिमाग में आता है। हम सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या वाकई में हमारी जिंदगी का कोई मतलब है या ऐसे ही हम अपनी जिंदगी बस जिए ही जा रहे हैं। पर ये चीज कभी कभी ही हमारे माइंड में आती है और बहुत जल्दी निकल भी जाती है क्योंकि हमने दुनिया के कामों में खुद को इतना बिजी कर लिया है कि ऐसे सवालों का सामना करने का हमारे पास टाइम ही नहीं होता है ।
बस इसी वजह से हम खुद को नहीं समझ पाते और जिस तरह की चीजें हमको दुनिया करने बोलती है, हम बस उसी में उलझ कर रह जाते हैं। क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और 12 rules of life बुक के ऑथर डॉक्टर जॉन पीटरसन कहते हैं, जब उन्होंने एक बुक लिखी थी तो उस वक्त उनका एक ही सपना था कि उन्हें बस ये सुनने मिले कि आपकी किताब की वन मिलियन कॉपी बिक गयी है और ये सपना उनका चार महीने में ही पूरा हो गया।
मतलब चार महीने के अंदर उनकी वन मिलियन कॉपी सोल्ड हो गई। अब कुछ लोग शायद ये सोचेंगे कि उनका लक ज्यादा अच्छा होगा।पर उस पर्पस को पूरा करने के पीछे की कहानी बस उनको ही पता थी। असल में जो बुक इतनी जल्दी सेल हुई वो उनकी पहली बुक थी ही नहीं। इससे पहले भी वो एक बुक लिख चुके थे जिसकी मुश्किल से 500 कॉपी सोल्ड हुई थी। उस बुक के अंदर उनकी कई सालों की मेहनत और रिसर्च लगी हुई थी। पर क्योंकि वो बुक नहीं चली तो अपनी नॉलेज को उन्होंने कहीं और शेयर करने का सोचा।
उस टाइम quora नाम की एक ऐप थी जो बहुत ट्रेंड कर रही थी। वहां पर उन्होंने एक्टिव होकर ये जानने का ट्राई किया कि लोगों को असल में दिक्कतें आखिर आ कहां पर रही हैं या लोग अपनी लाइफ में आखिर चाहते क्या हैं। फिर वहीं पर उनसे किसी ने एक सवाल पूछा। सवाल ये था कि एक अच्छी और कामयाब लाइफ जीने के लिए हमें किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
तो उन्होंने जब उस बात का पॉइंट टू पॉइंट जवाब दिया तो लोगों को बहुत ज्यादा पसंद आया और उनको काफी पॉजिटिव फीडबैक मिले। ऐसा लग रहा था जैसे मानो उनको कुछ ऐसा पता चल गया जो वो आज तक नहीं समझ पाए। तो यहीं से फिर उनको ये दूसरी बुक लिखने का आइडिया आया। और इन सभी प्वाइंट्स को लेकर प्लस अपने सालों के डेटा एंड रिसर्च को कंबाइन करके उन्होंने ये बुक लिख डाली।
इस बुक की बातें हर उस इंसान के लिए जरूरी है जो कहीं न कहीं अपनी लाइफ में खुद को फंसा हुआ महसूस कर रहा है। वो नहीं जान पा रहा है कि लाइफ में आखिर उसको करना क्या है। अगर आप भी इन्हीं लोगों में से हैं तो आज ये आर्टिकल आपके लिए बहुत ज्यादा काम आने वाला है। क्योंकि यहां पर ना सिर्फ आपके सवालों का जवाब मिलेगा बल्कि आपको साथ ही साथ ये भी पता चल जाएगा कि कौन कौन से रीजन है जो लाइफ में आगे आपको ग्रो ही नहीं होने दे रहे। तो चलिए शुरू करते हैं ।
1. Take Extreme Ownership
आजकल लोगों के पास खुद की कमियां छिपाने का एक कारगर तरीका रह गया है कि बस दूसरों को ब्लेम कर देना। यह मानकर चलना कि अगर आप किसी काम में सफल नहीं हो पा रहे तो इसके लिए दूसरे लोग जिम्मेदार हैं। दूसरे लोग मतलब आपके पेरेंट्स, आपके दोस्त, गवर्नमेंट, आपके बॉस वगैरह वगैरह। कहते हैं कि ऐसे लोगों को ब्लेम करके भले ही खुद को कितनी ही तसल्ली दे दो , पर रिजल्ट में तो उनकी लाइफ में फेलियर ही लिखा होता है।
ऑथर के अकॉर्डिंग लाइफ की हर परेशानी का सामना करने के सिर्फ दो तरीके होते हैं। पहला तो यही कि आप उससे परेशान होकर दूसरों पर इसका इल्जाम लगा दो और दूसरा आप अपने साथ हो रही हर अच्छी बुरी चीज की खुद जिम्मेदारी लें। मतलब दूसरों को ब्लेम करने की जगह यह देखने का ट्राई करो कि आपमें खुद में कितना पोटेंशियल है। कहीं ऐसा तो नहीं कि जिस काम के न पूरा होने पर आप दूसरों को ब्लेम कर रहे हो, उसके आप काबिल ही नहीं थे।
कई बार हम दूसरों पर इल्जाम लगाने के दौरान अपनी खुद की ही कमियां भूल जाते हैं। हम भूल जाते हैं कि हमारी खुद की तरफ से भी कुछ मिस्टेक हुई है। इसलिए हम जो चाहते थे, वह हम अचीव नहीं कर पाए। देखो, आपको समझने की जरूरत है कि यह ब्लेम गेम सिर्फ अंदर से हमको कुछ टाइम के लिए सैटिस्फाइड कर सकता है और कुछ नहीं।
आपकी हर कामयाबी या नाकामी की जिम्मेदारी आपकी खुद की ही होती है। इसलिए इस चीज को जितना जल्दी हो सके, आप एक्सेप्ट करके चलो और दूसरों से ज्यादा उम्मीदें लगाने की जगह आप खुद पर और खुद की स्किल्स पर ध्यान दो।
2. Treat Yourself Like You Are Somebody You Are Responsible For
यह नेचर का एक करिश्मा है कि जब भी अपने करीबियों की केयर करने की बात आती है तो अपने दिल से हम उन लोगों की बहुत केयर करते हैं। दूसरा शॉकिंग करिश्मा नेचर का यह भी है कि जब भी बात हमारी खुद की केयर करने की हो तो इस चीज को यहां पर हम ऐसे इग्नोर कर देते हैं जैसे हमारी बॉडी हमेशा ही एक्टिव रहेगी।
न हम अपने खानपान पर ज्यादा ध्यान देते, न बॉडी को फिट रखने पर और न ही ढंग से नींद लेने तक पर। सिंपल बोलूं तो हम अपने आप को बहुत हल्के में लेते हैं। wisevoter.com की रिपोर्ट के मुताबिक, हाई डेथ रेट के मामले में इंडिया दूसरे नंबर पर आता है क्योंकि हर दिन डेथ रेट के मुताबिक इंडिया के अंदर करीब 25 हज़ार 649 डेथ हो रही हैं।
और अगर आप इस नंबर को साल के हिसाब से कैलकुलेट करोगे तो यह लगभग होती है, 93,85,665 डेथ यानी हर साल इंडिया में लगभग इतनी डेथ हो रही है। आप यह जानकर हैरान हो जाओगे कि इसमें 80 % लोग हैं जो सिर्फ और सिर्फ अपनी अनहेल्दी लाइफस्टाइल की वजह से मरते हैं।
तो ऐसे में हम जैसे दूसरों की केयर करते हैं, उनके लिए खुद को रिस्पांसिबल मानते हैं, वैसे ही खुद की बॉडी को लेकर भी आपको कंसर्न रहने की जरूरत है, क्योंकि सक्सेस पाने के लिए भले ही आप कितनी भी मेहनत कर लो, एक टाइम पर अगर आपकी बॉडी टाइम से पहले ही कमजोर पड़ना शुरू हो गई तो आप किसी भी कामयाबी को इंजॉय नहीं कर पाओगे।
3.The Future Mammoth
पुराने टाइम में जब इंसान जंगलों में रहा करते थे तो उस टाइम पर बड़े हाथियों का शिकार काफी ज्यादा मात्रा में होता था और यह साइज में इंसानों से भी कई गुना ज्यादा बड़े होते थे। अब यहां पर लोग हिम्मत करके शिकार तो इनका कर लेते थे लेकिन यह इतना बड़ा होता था कि सबका पेट भर जाने के बाद भी यह बहुत सारा बच जाया करता था और इस बचे हुए का क्या करना है उनको यह समझ ही नहीं आता था। तो इसके लिए उन्होंने क्या तरकीब निकाली?
वह शिकार करके अपना पेट भरने के बाद अपने पड़ोसियों को भी बुला लेते थे और यह सर्कुलेट करते थे कि यह शिकार हमने आप सबके लिए भी किया है, जिससे उनके पड़ोस के लोगों में यह मैसेज पहुंचता था कि ये हमसे रिलेशन अच्छे बना रहे हैं। ऐसा करने से न सिर्फ लोगों के साथ रिलेशन अच्छा बनाते हैं, बल्कि डिलेड ग्रैटिफिकेशन के इस कारनामे के थ्रू वह दूसरों को अपनी मदद का रास्ता भी दे देते थे।
मतलब कि उनके आस पड़ोस के लोग कभी भी हाथी का शिकार करें तो जिस तरह उन्होंने वह शिकार उनको बांटा था, वह भी उनके साथ ऐसे ही करें और यह डिसीजन उनके लिए हमेशा काम भी आया था। असल में इसे कहते हैं एक तीर से दो शिकार। पुराने समय से ही डिलेड ग्रैटिफिकेशन को बहुत जरूरी माना गया है क्योंकि वो लॉन्ग टर्म तक मिलने वाले फायदे को पहले ही भांप लिया करते थे।
आज के टाइम में तो बस डिलेड ग्रैटिफिकेशन जैसे मानों गायब ही होता जा रहा है और कहीं न कहीं लोग सिर्फ इंस्टेंट इफेक्ट के पीछे भागते हैं। आज लोग ऐसे कामों को ज्यादा प्रिफर करते हैं जो सिर्फ उसी टाइम उनको अच्छा फील करा दे। आगे इसका रिजल्ट क्या होगा, इससे उनको कोई मतलब नहीं। जैसे कुछ लोग आपने देखा होगा कि बहुत जल्दी एक रिलेशन में आ जाते हैं और कई उम्मीदें लगाकर बैठ जाते हैं।
इतनी जल्दी रिलेशनशिप में आ जाने को वह गॉड ब्लेसिंग समझते हैं। पर धीरे धीरे जब किसी इंसान की लेयर घटनी शुरू होती है और उसकी सच्चाई सामने आती है तो तभी से उनको यह फील होना शुरू हो जाता है कि जैसा इंसान उनको सोच रहे थे यह तो वैसे है ही नहीं। तो यहां पर वह परेशान होकर खुद को फंसा हुआ महसूस करते हैं।
यही सबसे मेन वजह है कि आए दिन ब्रेकअप और डायवोर्स करने वालों की संख्या बहुत तेजी से इनक्रीज हो रही है। जो लोग यहां पर समझदारी से काम लेते हैं वह डिलेड ग्रैटिफिकेशन पर बिलीव करते हैं। वह जल्दबाजी में कहीं भी रिलेशन बनाने की जगह खुद को टाइम देते हैं, ताकि टाइम के दौरान वह सामने वाले इंसान से सही से वाकिफ हो जाएं।
वह अच्छे से उसका नेचर जान लें और अच्छाइयां बुराइयां समझ लें। तब जाकर वह इस फैसले पर आते हैं की लॉन्ग टर्म तक यह इंसान आपके साथ रह पाएगा या नहीं। यहां पर सिर्फ रिलेशन की ही बात नहीं है। बाकी कामों में भी इंस्टैंट मिलने वाली चीजें ज्यादा लंबे टाइम तक नहीं टिक पाती।
इसलिए ऑथर हमको यही एडवाइस करते हैं कि तुरंत किसी भी चीज में ज्यादा जल्दी मचाने की जगह आप खुद को भरपूर टाइम दो और लॉन्ग टर्म को देखते हुए सारी उसकी पॉजिटिव और नेगेटिव साइड जानने के बाद तभी किसी कंक्लूजन पर आओ।
4. Start Stopping Today
इसका मतलब है अपने आप को उन चीजों के लिए रोकना जो आपके फ्यूचर के लिए गलत हैं। जैसे जब भी हम अपने फोन के अंदर रील्स देखते हैं, तो हम बाकि चीजों को टालते हैं। किसी भी काम को लेकर ओवर थिंकिंग करते हैं तो उस वक्त भी हमको यह बार बार खयाल आ रहा होता है कि हमारा टाइम खराब हो रहा है यहां पर। फिर भी हम चाहकर भी इन सब चीजों को ओवरकम नहीं कर पाते और बस इन्हीं में उलझकर रह जाते हैं।
ऑथर बोलते हैं कि इसका शायद हमारी लाइफ पर अभी ज्यादा फर्क न पड रहा हो, पर जब ये चीजें एक बुरी आदत बनकर पूरी तरह से हम पर हावी हो चुकी होंगी तो उस वक्त यहां से बाहर निकल पाना आपके लिए बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाएगा। इसलिए समझदारी आपकी इसी में है कि पहले ही आप इन सब चीजों पर काबू पाना शुरू कर दो।
किसी चीज को लेकर ओवर थिंकिंग हो रही है तो उसको एक ऑर्गनाइज तरह से एक पेपर पर लिखो और तब उसका कोई सॉल्यूशन निकालो। Procrastination करते हो तो रात में सोने से पहले अगले दिन के सारे कामों की एक लिस्ट तैयार कर लो और सिर्फ उसी के अकॉर्डिंग अपना दिन स्पेंड करो।
मोबाइल में Reels बार बार देखने की आदत लग गई है तो उसकी सेटिंग में जाओ और टाइम रिमाइंडर को ऑन कर लो। जो बार बार आपको नोटिफाई करके यह याद दिलाता रहेगा कि आपका इतना टाइम कंज्यूम हो रहा है जिससे आखिर में आप रील्स देखना बंद करने पर मजबूर हो जाओगे। कहने का मतलब यह है कि अगर आपकी लाइफ में कोई भी रुकावट है तो हर तरह की रुकावट का एक सॉल्यूशन भी मौजूद है। बस टाइम रहते उन सलूशन को फाइंड आउट करो और इन बुरी आदतों को खुद पर हावी होने से बचा लो।
5. Don't be a monkey
बंदर और कुकीज वाली स्टोरी तो आपने सुनी ही होगी। जंगल में एक शिकारी शिकार करने के मकसद से एक कुकी जार जमीन पर रखता है और एक पेड़ के पीछे छुपकर यह देखता है कि कौन सा जानवर उसके जाल में फंसता है। कुछ टाइम बाद वहां पर एक बंदर आता है। वह देखता है कि एक जार रखा है, जिसमें ढेर सारी कुकीज हैं।
वह कुकीज निकालने के लिए अपना हाथ अंदर डालता है और कई सारी कुकीज पकड़ लेता है। क्योंकि उस जार का मुंह छोटा होता है तो बंद मुट्ठी होने की वजह से वह अपना हाथ बाहर नहीं निकाल पाता। पर वह कोशिश करता रहता है, पर अपनी हाथ की मुट्ठी नहीं खोलता। अचानक से शिकारी उसके सामने आ पड़ता है और उसको कैद करके ले जाता है।
अब यहां पर अगर वह चाहता तो आसान तरीके से खुद को इस सिचुएशन से बचा सकता था। पर क्योंकि उसको कुकीज का लालच ज्यादा था तो इस चक्कर में उसने अपने आजाद होने का मौका ही खो दिया। ऑथर के अकॉर्डिंग यह कहानी उन लोगों को डिफाइन करती है जो एक कंफर्ट जोन में रहते हैं। वह उन्हीं चीजों को पकड़कर बैठे रहते हैं, जो वह अब तक करते आ रहे थे।
इस पर ऑथर एक बहुत ही सिंपल सी बात बोलते हैं जो कुछ यूं है कि अगर आप अब भी वही कर रहे हो जो पहले से करते आ रहे हो तो ग्रोथ भी फिर आपकी वहीं पर अटकी रहेगी, जहां पहले से है। इसलिए फर्क नहीं पड़ता कि आप जॉब कर रहे हो या कोई बिजनेस कर रहे हो। अगर आप रिस्क लेकर कुछ नया उसमें ऐड नहीं करेंगे तो आप कभी ग्रोथ नहीं पकड़ पाएंगे।