साल 2022 के अंदर जब आईफोन लॉन्च हुआ तो उस टाइम पर इसका प्राइस लगभग 70 हज़ार के आसपास था। लेकिन तब इंडिया के अंदर इसे हर कोई अफोर्ड नहीं कर सकता था। अब जिनकी इनकम अच्छी खासी थी, उन्होंने तो इस फोन को आते ही खरीद लिया। पर कई लोग हाई प्राइसिंग की वजह से अपना मन मारकर रह गए। पर फिर एक दिन आती है बिग बिलियन डेज की सेल।
यह सेल फ्लिपकार्ट की तरफ से थी। सेल में आईफोन का प्राइस 49 हज़ार 990 रूपये कर दिया गया। यानी कि लगभग पूरे 20 हज़ार रुपए कम। अब ऐसे में वो लोग जो सिर्फ 40-45 हज़ार रुपए के बजट में कोई फोन लेने बैठे थे वो लोग भी बाकी मॉडल छोडकर आईफोन पर ही टूट पड़े। फिर जैसे ही बिग बिलियन डेज की सेल शुरू हुई तो लोगों ने दबा के ऑर्डर किए। पर कुछ सेकेंड्स में ही अचानक से क्या हुआ सारे फोन आउट ऑफ स्टॉक हो गए।
अब कोई भी इस प्राइस रेंज पर ऑर्डर कर ही नहीं पा रहा था। फिर जब दोबारा से आईफोन स्टॉक में आया तो इस बार इनकी प्राइस 52 से 55000 रूपये के बीच में आई। तो यहां पर वो लोग जो इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे उन्होंने अपना बजट और थोडा बढा दिया और इस डर से तुरंत ही आईफोन खरीद लिया कि कहीं और पैसे न बढ जाए।
ये सब बातें मैं आपको क्यों बता रहा हूं ? मैं बता रहा हूं क्योंकि यह एक तरह का डिस्काउंट और सेल्स का ट्रैप है। इसके अंदर फंसने वाले भी हम ही लोगों में से एक है और खासकर एक मिडिल क्लास का इंसान जब भी सेल और डिस्काउंट का नाम सुनता है तो वो तो उसकी तरफ खुद ही खिंचा चला जाता है। क्योंकि उसके माइंड में ये रहता है कि डिस्काउंट पर अगर मुझे कोई चीज मिल रही है तो इसलिए वहां जाने से मेरा काफी पैसा बच सकता है।
यहीं से उनको एक और ट्रैप फंसा लेता है जिसे इम्पल्स बाइंग कहते हैं। आप गौर करना कई बार जाने अनजाने में हम कुछ ऐसी चीजें भी खरीद लेते हैं जो हमारे ज्यादा काम की नहीं होती पर क्योंकि वो हमें डिस्काउंट पर मिल रही होती है तो इस डर से हम उसको खरीद लेते हैं कि ये डिस्काउंट खत्म न हो जाए। लेकिन सवाल ये है कि कंपनी आखिर इतना डिस्काउंट देती कैसे है? क्या हम लोगों की खुशी के लिए ये अपना नुकसान करवाती है? तो नहीं ऐसा नहीं है।
ये सेल्स का गेम किस तरह से काम करता है आपको मैं एग्जांपल के थ्रू समझाता हूं। मान लो मेरा कोई प्रोडक्ट है जिसको मुझे ₹100 का बेचना है। अब मेरे पास इसको बेचने के दो रास्ते हैं। पहले तो मैं इसकी एडवर्टाइजिंग टीवी पर, यूट्यूब पर और पब्लिक प्लेस पर करवाऊंगा ताकि लोगों को मेरे प्रोडक्ट के फीचर्स, इसके बेनिफिट और इसकी प्राइसिंग का पता चल सके।
तो यहां से जितनी भी सेल्स होगी वो एक नॉर्मल तरीका है मेरे लिए। अब दूसरे रास्ते में जब भी कोई सेल्स या फिर डिस्काउंट वाला फेस्टिव सीजन आएगा तो मैं भी उसमें अपने प्रोडक्ट पर 30 परसेंट का डिस्काउंट लगाकर उसे ₹70 का कर दूंगा।
जैसे जिन लोगों को भी पहले से ही मेरे प्रोडक्ट के ओरिजनल रेट पता है उनको जब ये पता चलेगा कि मैंने एक लिमिटेड टाइम के लिए 30 परसेंट डिस्काउंट दे रखा है तो लोग इस मौके का पूरा फायदा उठाएंगे और दबा कर मेरा प्रोडक्ट खरीदेंगे जिससे मेरा प्रॉफिट तो कम होगा पर सेल्स मेरी बहुत बढ जाएगी और इनडायरेक्टली मैं इसके थ्रू काफी नोट छाप लूंगा।
तो इस तरह से कंपनी भी आपको ट्रैप करती है जिससे आप ज्यादा से ज्यादा उनके प्रोडक्ट खरीदें। अब जो कंपनी पहले से ही काफी पॉपुलर होती है उसके लिए तो ये ट्रिक और ज्यादा काम करती है। लेकिन अब इस चीज का सॉल्यूशन क्या है? देखो सॉल्यूशन इसका यही है कि पहले तो आपको ये पता होना जरूरी है कि जो भी चीज आप डिस्काउंट पर खरीदने जा रहे हो क्या वाकई में आपको उसकी जरूरत है या इसके बिना भी आपका काम चल रहा है।
अगर आपके माइंड से ये जवाब आता है कि हां इसके बिना भी तो आपका काम चल रहा था तो समझ जाना कि आप इम्पल्स बाइंग के शिकार होने जा रहे थे। ऐसे में खुद के इमोशंस पर कंट्रोल करो और खुद को दूसरे कामों में डिस्ट्रक्ट कर लो ताकि आप इस ट्रैक से खुद को सेफ रख पाओ। अभी तो मैंने आपको सिर्फ एक ही तरीका बताया है जहां पर आप जाने अनजाने में अपना काफी पैसा लुटा देते हो।
आगे आपको और भी कई ऐसे तरीके जानने मिलेंगे जहां पर आप अपना पैसा लगा रहे हो। वो पैसा जिनको आप फ्यूचर के लिए बचाकर किसी बुरे टाइम में यूज कर सकते हो। तो आपको भी अगर अपने पैसों से प्यार है और आप नहीं चाहते कि आपका पैसा कहीं भी अन्य खर्च हो तो आर्टिकल को बहुत ध्यान से पढ़ियेगा। क्योंकि जिस तरह इस पहले प्वाइंट ने आपकी आंखें खोली है वैसे ही बाकी प्वाइंट्स भी आपको रियलाइज कराएंगे कि आप कितना बेवजह का पैसा गंवाते जा रहे हो। तो चलिए शुरू करते हैं।
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जब मैं छोटा था तो अक्सर मैं अपनी मॉम के साथ मार्केट जाया करता था। तो उस टाइम पर मॉम जब भी कोई सामान खरीदती तो वहां पर वो खूब बारगेनिंग करती ताकि वो सामान सस्ते में उनको मिल जाए और मेरा वहां पर शर्म के मारे ये हाल होता कि मेरा मुंह तक ऊपर नहीं उठ पाता था क्योंकि मुझे उनको बारगेनिंग करते देख बहुत अजीब लगता था।
मुझे ऐसा लगता है कि यार मेरी रेपुटेशन खतरे में आ रही है। आगे चलकर मुझे रियलाइज हुआ कि मेरी मॉम के अंदर ये जो नेगोसिएशन की स्किल है, आज के टाइम में अपने फाइनेंस को स्टेबल रखने के लिए ये कितनी ज्यादा इम्पॉर्टेंट है। आपने कई लोगों को देखा होगा जो कहीं अगर कुछ खरीदने जाते हैं तो सिर्फ अपना स्टेटस बचाने के लिए वो जरा भी बारगेनिंग नहीं करते हैं और मुंहमांगी कीमत दे आते हैं।
फिर बाद में जब उनको उस चीज की एक्चुअल प्राइस का पता चलता है तो वो सर पकड़कर बैठ जाते हैं और सोचने लगते हैं कि काश मैंने थोडा सा मोल भाव कर लिया होता तो ऐसे लौटकर नहीं आता। अब चलो ठीक है मान लिया नेगोसिएशन करना हमारे लिए इम्पॉर्टेंट है लेकिन नेगोसिएशन करना भी तो आना चाहिए। ये करें कैसे? तो इसके लिए मैं कुछ जरूरी पॉइंट्स आपको बता रहा हूं। उनको ध्यान में रखना।
प्रोडक्ट और सर्विस आपको पता है दो तरह की होती है। एक वो जिनका प्राइस बिल्कुल फिक्स होता है और दूसरी वो जिनका कोई एक फिक्स प्राइस नहीं होता, तो यहां पर आपके पास ऑप्शन है कि आप यहां पर नेगोसिएशन कर सकते हो।
अब कुछ लोग जो थोडी बहुत नेगोसिएशन की हिम्मत करते हैं, उनके साथ कई बार ऐसा होता है कि सेल्समैन का प्राइस जान लेने के बाद जब उन्होंने अपना प्राइस बताया तो दुकानदार ने एक ही बार में हां कर दिया। वो बोला ठीक है, आप ले सकते हो। अब इस सिचुएशन में हमको इतना पछतावा होता है, जिसकी कोई हद नहीं। माइंड में बस यही चलता है कि काश और कम बोल दिया होता तो ज्यादा पैसा बच जाता।
तो देखो इसके लिए सबसे पहले तो आपको रिसर्च करनी है। अलग अलग जगहों से आपको यह पता करना है कि मैक्सिमम जगहों पर यह कितनी प्राइस रेंज में है। इससे आपको उसके प्राइस का एक एस्टिमेट पता चल जाएगा, जिसे जायज अमाउंट पे करने में आपको आसानी होगी।
इसके अलावा, आपको उस चीज को लेकर एक्साइटेड बिल्कुल नहीं होना है। दुकानदार को यह शक भी नहीं होना चाहिए कि आपको वह चीज बहुत पसंद आ गई है और कैसे भी करके आप उसको बस खरीदना चाहते हो। इसका अगर उसको अंदाजा भी लग गया तो वह उस चीज को अपने रेट पर बेचने की हर मुमकिन कोशिश करेगा। आप शांत रहकर उस चीज को छोड़ने को तैयार रहो। अगर प्रोडक्ट की आपके एस्टिमेट जितनी वैल्यू होगी तो आखिर में वह जाते जाते भी आपको रोक ही लेगा। जिससे आपका जो एक्स्ट्रा पैसा जाने वाला था, वह सेव हो जाएगा।
Famous Brand Name Items
दोस्तों, जरा इस वॉच पर नजर डालो। ये Swiss Style ब्रांड की है और इस वॉच का ऑनलाइन प्राइस ₹370 है। अब भले ही इस ब्रांड का नाम आपने पहले कभी न सुना हो पर इतना तो है कि मैक्सिमम लोग इस घड़ी को अफोर्ड कर सकते हैं।
अब जरा इस वॉच पर नजर डालो। Logo देखते ही आपको पता चल गया होगा कि यह फेमस टाइटन ब्रांड की वॉच है और अगर मैं इसके प्राइस की बात करूं तो इसका ऑनलाइन प्राइस है ₹23995। अब इन दोनों घडिय़ों में फर्क क्या है? काम तो दोनों का एक ही है टाइम दिखाना।
एक फर्क इसमें यह है कि एक वॉच नॉन ब्रांडेड है और एक बहुत फेमस ब्रांड की वॉच है। एक ऐसा फेमस ब्रांड जिसके क्वालिटी प्रोडक्ट्स अगर आप बाहर लेकर निकलोगे तो लोग नोटिस जरूर करेंगे आपको। अब इसे क्या होगा? इससे हम दूसरों के सामने कूल लगेंगे और हमें सैटिस्फैक्शन महसूस होगी। इसी सोच के चलते आज कई लोग हैं जो ब्रांडेड चीजें खरीदने में अपना खूब पैसा लुटाते हैं ताकि उनकी ब्रांडेड लाइफस्टाइल लोगों की नजरों में आए और उनको खूब अटेंशन मिले।
अब देखो दिक्कत यहां पर क्या है। कोई एक ब्रांडेड चीज लेकर अगर हम खुद को सैटिस्फाइड भी कर लें, लेकिन फिर भी यह सैटिस्फैक्शन हमारे अंदर ज्यादा टाइम तक नहीं टिकती। क्योंकि अगर आप कोई ब्रांडेड चीज खरीद रहे हो अपना स्टेटस बढ़ाने के लिए तो आप बिल्कुल नहीं चाहोगे कि अगर आपके पास एप्पल का लेटेस्ट आईफोन है तो उसे नोटिस करने वाले आपको अगले दिन एक पुरानी प्लेटिना बाइक पर देख लें।
चलो अगर एक फेमस स्पोर्ट्स बाइक आपने खरीद ली तो फिर आपको यह डर रहेगा कि इस बाइक को देखने वाले लोग कहीं मेरे सस्ते कपडे और बाजार के जूते को न नोटिस कर लें। ऐसे आपके एक्सपेंसेज एक के बाद एक फिर बढते ही चले जाएंगे। अब देखो मैं यह नहीं कह रहा कि ब्रांडेड कोई भी प्रोडक्ट आप खरीदो ही मत। नहीं आप बिलकुल खरीदो तब जब आप उस चीज को अफोर्ड कर सको और वह चीज आपकी करंट मंथली इनकम का मैक्सिमम 30 परसेंट ले रही हो।
वरना अगर कोई चीज आपके फाइनेंशियल स्टेटस के ऊपर जा रही है, ऐसी चीजों के शौक पालना आपको फाइनेंशियली बहुत कमजोर कर सकता है। अच्छा, फिर आपका सवाल यह होगा कि भई ब्रांडेड प्रोडक्ट चल भी तो बहुत जाता है, उसका क्या? तो देखो आपको समझना होगा कि अगर कोई प्रोडक्ट आपको सस्ता मिल रहा है तो हर केस में इसका मतलब यह नहीं होता कि वह ठीक नहीं है।
इसका मतलब यह भी हो सकता है कि वह ब्रांड उस लेवल पर प्रमोशन नहीं कर पा रहा, जैसे बड़े बड़े ब्रांड्स करते हैं। इसलिए जब तक आप फाइनेंशियल तौर पर स्टेबल नहीं हो जाते, आपका पर्पस चीजों से अपनी एक्चुअल नीड पूरा करना हो, न कि लोगों में show off करना। मतलब आपको सेल्फ इमेज के लिए प्रोडक्ट बाय नहीं करना है, उसे यूज करने के लिए बाय करना है और यह काम आप नॉन ब्रांडेड या नॉन पॉपुलर प्रोडक्ट के साथ भी कर सकते हो।
Brand New Things
अब अगला पॉइंट ऊपर वाले पॉइंट से थोडा सिमिलर है पर थोडा अलग भी है और यह है ब्रांड न्यू थिंग्स।
इनको तो आप जानते ही होंगे। अनुभव दुबे जो फाउंडर हैं chai sutta bar कंपनी के। आज 2023 में इनकी कंपनी का टर्नओवर 130 करोड के लगभग है। अभी इनकी उम्र सिर्फ 28 साल की है। अभी तो ये इतने यंग है ऊपर से करोडों के मालिक। क्या आप इमेजिन कर सकते हैं कि इनकी लाइफस्टाइल कैसी होगी। अगर इनकी कंपनी इनको करोडों में रुपए कमा कर दे रही है तो डेफिनेटली इनकी एक लग्जरी गाडी होनी चाहिए। एक बहुत बडा बंगला होना चाहिए और हर वो फैसिलिटी होनी चाहिए जो अमीरों के पास होती है।
आपको बता दूँ इनके पास एक नई कार भी नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि वो एक बडी कार अफोर्ड नहीं कर सकते पर महंगी कार उनके पास नहीं है क्योंकि उन्हें किसी बडी कार की जरूरत ही नहीं है। उनका जो काम है वो सेकंड हैंड कार से हो ही जा रहा है। और जैसा कि सभी जानते हैं ये एक ऐसी क्वालिटी है जो बहुत कम लोगों में देखने को मिलती है।
कुछ लोग जो फाइनेंशियली अपनी लाइफ में भी अच्छा करना शुरू करते हैं तो उनके मन में फिर इच्छाएं जागने लग जाती है कि मैं ये भी खरीदूं मैं वो भी खरीदूं और इस तरह की चीजों में वो अपने उस पैसे को लगा रहे होते हैं जो उनके लिए और पैसा बना सकता था। अनुभव जैसे लोग इस चीज को बखूबी समझते हैं इसलिए वो उन चीजों की तरफ जाते ही नहीं जो अपनी जरूरत में कम हो और दूसरों को दिखाने में ज्यादा हो।
तो आप भी अपना फ्यूचर अगर देख रहे हो तो अभी से आपके अंदर ये क्वालिटी होना बहुत जरूरी है। मतलब कि आपको चीजें दूसरों को दिखाने के लिए नहीं अपना काम चलाने के लिए खरीदनी चाहिए और अगर आपका काम एक सेकंड हैंड चीज में भी चल रहा है तो उसमें कोई बुराई नहीं है।
Alcohol & Cigarettes
एक लोअर मिडिल क्लास का इंसान अगर महीने के 25 हज़ार रुपए कमा रहा है, उसको अगर एल्कोहॉल, सिगरेट या टोबैको कंज्यूम करने की आदत है तो महीने के 3 से 5000 तो उसके यहीं पर इन्वेस्ट हो जाते हैं। और ये वो इन्वेस्टमेंट है जिसके रिटर्न में उसको प्रॉफिट नहीं बल्कि बीमारियां मिलती हैं।
आप यकीन नहीं करोगे कि सिर्फ इंडिया के अंदर एल्कोहल का टोटल मार्केट 35 बिलियन डॉलर्स है और इसका पूरा श्रेय इसको इतने बडे लेवल पर कंज्यूम करने वालों को ही जाता है। हम आए दिन सुनते रहते हैं कि शराब की वजह से उस आदमी की डेथ हो गई या टोबैको की वजह से उसको कैंसर हो गया। फिर भी कंज्यूमर्स की तादात घटना तो छोडो उल्टा और बढने पर है।
पर ये भी एक ऐसी हैबिट है जो आपका पैसा तो कम करती है पर इससे भी ज्यादा हम यहां पर अपने शरीर से खिलवाड़ कर रहे होते हैं। तो अगर आपको इन सबकी सालों से एडिक्शन है तो आपको तो इससे छुटकारा पाने के लिए किसी एक्सपर्ट की जरूरत है।
अगर आपकी एडिक्शन नई नहीं है तो प्लीज आप एक ऐसे ट्रैप में जा रहे हो, जहां फाइनेंशियली और फिजिकली आपको दोनों तरफ से नुकसान है और अगर प्रूफ चाहिए तो अपना फ्यूचर आप उस इंसान में देख सकते हो, जो सालों से इस एडिक्शन से जूझ रहा है। तो ये जितनी भी बातें आज मैंने आपको बताई हैं उन्हें आप कंसीडर जरूर करियेगा।