इन 5 आसान तरीकों से जानें कि ज्यादा खर्चों पर भी पैसे कैसे बचाएं-Finance In Hindi

Finance In Hindi: आज के टाइम में अपनी इनकम से पैसे बचाना किसी बड़े संघर्ष से कम नहीं है। स्पेशली जब आप एक मिडिल या फिर लोअर क्लास से आते हो। यहां तो इस बढ़ती महंगाई में ये काम आपके लिए और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है। क्योंकि एक तो हमारी वैसे ही कमाई बहुत कम होती है और ऊपर से हमारे खर्चे इतने बढ़ जाते हैं कि हमको थोड़ा भी पैसा बचा लेने का मौका तक नहीं मिलता। 

अगर मैं आपसे ये कहूं कि भले ही आपकी कितनी भी इनकम हो, फिर आपके पास कई सारे ऐसे तरीके हैं जिससे आप सेव कर सकते हो अपना पैसा। और कोई भी तरीका इनमें ऐसा नहीं होगा जो सिर्फ सुनने के लिए ही हो। सारे तरीके बिल्कुल प्रैक्टिकल होंगे जो सबकी लाइफ में अप्लाई हो सकते हैं। तो हाँ ये पॉसिबल है। आप मान सकते हैं कि मनी सेविंग्स के ये कुछ हैक्स मैं आपको बताने जा रहा हूं। 

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आगे बढने से पहले मैं एक इम्पॉर्टेंट बात आपको बता दूं। इन तरीकों को अपनाने से ऐसा नहीं होगा कि आप सेविंग से ही करोड़पति बन जाओ। क्योंकि ये तरीके पैसे बचाने के हैं, पैसे बनाने के नहीं हैं। पर हां इतना पैसा आप जरूर सेव कर लोगे के किसी भी तरह की एमरजेंसी या फिर बुरे टाइम से आप जल्दी खुद को बाहर निकाल सको और मजबूरी में क़र्ज़ या फिर लोन लेने से बच जाओ। तो चलिए बिना ज्यादा टाइम लगाए सीधा पॉइंट्स पर आते हैं। 


इन 5 आसान तरीकों से जानें कि ज्यादा खर्चों पर भी पैसे कैसे बचाएं-Finance In Hindi


1. Have only as many desires as you can afford

मेरा एक दोस्त है आशीष। उसके साथ मैं रिसेंटली अभी कुछ ऐसा हुआ है जो कभी किसी के साथ में ना हो। वह एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है और कंपनी से सैलरी उसको  ₹20,000 मिलती है। पर अभी कुछ टाइम पहले मैंने उसको iPhone 14 pro  चलाते देखा तो मैं सोच में पड़ गया। मुझे लगा उसको शायद कंपनी में कोई तगड़ा प्रमोशन मिल गया है। 

मैं उसके पास गया और मैंने पूछा भई क्या बात है यार इतना महंगा मोबाइल फोन लगता है किसी बड़े लेवल पर प्रमोट हो गया है तू ? तो उसने मुझसे कहा कि नहीं यार ऐसा कुछ नहीं है, ये फोन तो मैंने EMI पर निकलवाया है। सैलरी तो मेरी लगातार आ ही रही है और बस कुछ महीनों की ही तो बात है 8000 महीने की EMI देता रहूंगा तो क्या ही पहाड़ टूट जाएगा सह लेंगे थोड़ा सा। 

अब मैंने उसके इस फैसले पर कोई कॉमेंट नहीं किया क्योंकि काफी टाइम से उसकी आईफोन लेने की बहुत इच्छा थी। मुझे उसके ठीक चार दिन बाद ये जानने को मिला की रोड पर बात करते दौरान उसका कोई फोन स्नैच करके भाग गया। जब मैं उसके पास गया तो वो बहुत डिप्रेशन में था क्योंकि एक तो उसका फोन गया और ऊपर से कई महीनों तक उसे आठ हज़ार रुपए की EMI भी भरती रहनी पड़ेगी। 

तो उसके इस इंसिडेंट से मैंने यहां पर एक बहुत ही important लेसन सीखा कि इच्छाएं आप उतनी ही रखो जितना आप अपनी करंट सिचुएशन में अफोर्ड कर सको। अब उसकी टोटल इनकम का लगभग आधा अमाउंट बेवजह ही जा रहा था। शायद इसमें आपको ये प्रश्न हो सकता है कि यार ये तो सिर्फ उसी के साथ ही हुआ है। जरूरी थोड़ी है कि ये हर किसी के साथ में हो। 

तो देखो, अगर आप थोड़ा डीपली सोचो तो फ़ोन चोरी हो जाना मेन दिक्कत है ही नहीं। असल में बात ये है कि अगर आशीष की इनकम 1 लाख के पार होती तो शायद उसको इतना दुःख नहीं होता जितना अब हो रहा था। वो अपने इस प्रोडक्ट को अपनी मेहनत के हिसाब से कैलकुलेट नहीं कर पाया क्योंकि इनकम उसकी 20,000 थी और आईफोन उसने 1 लाख का लिया हुआ था। यानि की इसके पूरे पाँच महीने की कमाई इस एक चीज में लग गई थी। 

कहने का मतलब ये है कि जब भी आप कोई चीज खरीदने जाओ तो ये जरूर ध्यान में रखो कि उस पर्टिकुलर चीज के बदले में आपकी कितने टाइम की मेहनत जा रही है। जैसे अगर कोई चीज ₹50000 की है, इनकम आपकी 15,000 है तो यह आपकी लगभग तीन से सवा तीन महीने की मेहनत है। इतनी मेहनत अगर आपको सही लग रही  है उसमें लगाना तो बिल्कुल लगाओ। 

स्मार्ट डिसीजन यही है कि कुछ भी चीज खरीदते टाइम उसी के लिए जाओ, जिसे आप अफोर्ड कर सको। अफोर्ड करना मतलब जो चीज आपकी मंथली इनकम के अंदर ही आ जाए। इससे ना तो आपको कोई EMI की चिंता होगी और एक ही बार में वो चीज खरीदने पर आप बिल्कुल फ्री हो जाओगे। 


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2. डाउन डेट इन्फ्लुएंस बाई अदर 

कितनी ही बार आपके साथ ऐसा हुआ होगा  कि आपका कोई दोस्त आपसे मिलने आया और उसने आपको बहुत ज्यादा फोर्स किया की आप घूमने चले उसके साथ।  उसके इतना पीछे पड़ने की वजह से आप मान भी गए? घूमने के दौरान आपके काफी पैसे खर्च हो गए और आपका सारा बजट इधर उधर हो गया। लेकिन घर पर आकर  आप रिग्रेट करने लगे की काश मैं जाता ही ना वहां पर। 

अगर मैं अपनी खुद की बात करूं तो मेरे साथ ये पास्ट में कई बार हो चुका है। मेरे कुछ दोस्त मुझसे मिलने आते या मुझे बार बार फोन करते कि मैं बाहर कहीं चलूँ उनके साथ और सिर्फ इसी वजह से मैं उनको ना नहीं बोल पाता कि कहीं वो बुरा ना मान जाएं। घूमने के दौरान मुझसे कई ऐसे फालतू खर्चे हो जाते जो मैंने सोचा तक नहीं थे उस दिन के लिए। और नो डाउट ये सब बहुत से लोगों के साथ होता है क्योंकि हम इंसान भी एक सोशल एनिमल ही है। 

हम मैक्सिमम केसेस में प्रैक्टिकल होकर नहीं, इमोशनल होकर सोचते हैं। हम इस सोच में हर किसी की बात पर एग्री कर जाते हैं की हमारे मना कर देने से वो कहीं बुरा ना मान जाए और हमारा रिलेशन बना रहे उसके साथ। जब मैंने अपने इमोशंस को साइड में रखकर ये रियलाइज करना शुरू किया कि यार ऐसे ही चलता रहा तो अपना फाइनेंशल बजट मैं कैसे कंट्रोल कर पाऊंगा। 

तो इसके बाद फिर मैंने इमोशनल होकर सोचने के बजाए प्रैक्टिकली चीजों को देखना शुरू किया। अब जब भी मेरा कोई दोस्त मुझसे मिलने आता और कहीं पर जाने के लिए बोलता है ,तो या तो मैं कोई बहाना मार देता या कुछ काम कर रहा हूं बोलकर साफ मना कर देता हूँ । 

हालांकि मुझे पता था कि मेरे इस तरह से मना कर देने से उन्हें थोड़ा बुरा तो लगता होगा उनको। पर लॉजिकल उत्तर मेरा यही होता था, क्योंकि मैं फिर से अपने बजट में कोई compromise  नहीं करना चाहता था। लेकिन देखो ऐसा नहीं है कि अपने दोस्तों के साथ में मैंने घूमना फिरना ही बंद कर दिया। मैं बस बजट के हिसाब से घूमना फिरना एक लिमिट में रखने लगा और तब से लेकर अब तक मैं बहुत सारे ऐसे खर्चो से बच गया जो उस दौरान हो सकते थे। 

इसलिए आपको भी मेरी यही एडवाइस है कि हर किसी की बातों में हाँ करने की जगह थोडा लॉजिकली सोचना शुरू कर दो, क्योंकि लोग आपको इमोशंस में बहाकर आपसे कई ऐसे खर्चे करवा लेते हैं जो आपने सोचे तक नहीं होते। 


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3.Exercise regularly 

हमारे भारत के अंदर सिर्फ 29% ही ऐसे लोग हैं जो एक हैल्दी लाइफस्टाइल जी रहे हैं। वो हैल्दी फूड खाते हैं और रेगुलर बेसिस पर एक्सरसाइज करते हैं ताकि वो फिट रहें लंबे टाइम तक। वहीँ बाकी के 71% इस पर ध्यान ही नहीं देते। अब शायद आपके माइंड में ये चल सकता है कि एक्सरसाइज करने से सेविंग होने का क्या कनेक्शन है। उल्टा अगर हम एक्सरसाइज करने के लिए जिम वगैरह ज्वाइन करते हैं तो यहां तो और ज्यादा खर्च बढ़ जाएगा। 

तो देखो एक्सरसाइज करने से पैसे सेव होने का एक इनडायरेक्ट कनेक्शन है। क्योंकि अगर आप एक्सरसाइज नहीं करोगे और खुद को फिट नहीं रखोगे तो आपकी बॉडी में तरह तरह की बीमारियां पनपना शुरू हो जाएंगी। जिसमें हार्ट डिजीज, मोटापा आ जाना, डायबिटीज का होना और भी बहुत कुछ शामिल है। ये बीमारियां ऐसी नहीं हैं कि आपने एक बार ही डॉक्टर को दिखाया और आपको एक ही खुराक में आराम मिल गया। 

भगवान न करे इनमें से आपको अगर कोई भी बीमारी लग जाती है तो इनका ट्रीटमेंट आपको बहुत लंबे टाइम तक करवाते रहना होगा। जिससे इस इलाज का खर्चा भी आप ही की इनकम में जुड़ जाएगा। इसलिए अगर आप नहीं चाहते कि फ्यूचर में आकर कोई भी ऐसी दिक्कत आपके सामने आए तो रेगुलर एक्सरसाइज करने की आदत आपको अभी से अपने अंदर बना लेनी चाहिए। 

और यहां पर मैं आपसे ये भी नहीं कह रहा कि आप जिम जॉइन करो, हैवी डाइट प्लान फॉलो करो और बहुत तगड़े मसल्स बना लो। अगर आप जिम जाना अफोर्ड नहीं भी कर सकते हो तो 20 से 25 मिनट घर पर एक्सरसाइज या योग कर लेना भी इनफ होगा आपके लिए। 


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4. Follow the 10 day rule 

जैसे कि मैंने ऊपर आपको दूसरे पॉइंट में  बताया कि हम ह्यूमन इमोशंस में जल्दी बह जाते हैं और इस दौरान हम कई ऐसे फैसले ले लेते हैं जिसमें बाद में हमको पछतावा होता है। तो 10 days rule हमको यही सिखाता है कि अगर आपको किसी दूसरे इंसान ने कुछ रिकमेंड कर दिया है और आप उस चीज को खरीदने के लिए बहुत ही एक्साइटेड हो गए हों तो कैसे भी करके खुद पर कंट्रोल पाकर आप सिर्फ 10 दिनों तक उससे दूर रहो। 

मतलब 10 दिनों तक वो चीज खरीदने से खुद को बचा कर रखो। अगर आप इसे करने में कामयाब हो जाते हो तो कुछ बहुत कमाल की चीजें होंगी आपके साथ। अब आपका दिमाग इमोशंस में बहना बंद कर देगा। आप उस चीज को न्यूट्रल होकर देख पाओगे कि वो चीज आपको आखिर क्यों खरीदनी थी। तब भी अगर आपको वो चीज खरीदना उतना ही जरुरी लगे तो आप उसके लिए जा सकते लेकिन काफी हाई चांस है की 10 दिन बाद जब आपके इमोशन थोड़े कम हो जाएंगे उस चीज को लेकर तो आपको ये फील होगा कि जो चीज को खरीदने के लिए मैं उतना उतावला हो रहा था ये इतने भी काम की नहीं थी। 

नॉर्मली किसी प्रोडक्ट को लेकर हम तब ज्यादा एक्साइटेड रहते हैं, जब ज्यादा कोई हमारा खास हमें वो रिकमेंड करता है या फिर उसकी लोगों के बीच में पॉपुलैरिटी बढ़ रही होती है। तो ये 10 दिन का गैप आपको एक न्यूट्रल थिंकिंग देगा। जहां एक्चुअल में आप जान पाओगे कि ये प्रोडक्ट आपके लिए कितना इंपॉर्टेंट है या फिर ये इम्पोर्टेन्ट है भी या नहीं। डेफिनेटली इससे आप कई अन्य खर्चों से खुद को सेफ रख पाओगे। 




5. Turn on your financial tracking

अब देखो एक बड़ी गलती हम क्या करते हैं? हमारी कमाई में से जितना भी खर्च होता है उसका सारा का सारा हिसाब हमारे माइंड के अंदर ही होता है। इसके अलावा कोई भी तरीका हमारे पास ऐसा नहीं होता जिससे हम एक सीक्वेंस में अपने खर्च को देख सकें। पर यही एक मेन वजह होती है कि हमारे डेली खर्चों पर हमारा कंट्रोल नहीं रह पाता, क्योंकि हमारे पास रिकॉर्ड नहीं होता कि पिछले दिनों हमने अपनी इनकम को कहां कहां पर खर्च किया है और कौन कौन सी ऐसी चीजें थीं, जहां पर हमारा अन्य सभी पैसा खर्च हो गया। 

मैं आपको ये इसलिए बता रहा हूं कि हमारा माइंड हर छोटी से छोटी चीज याद नहीं रख सकता क्योंकि अगर ये हरेक चीज को स्टोर करता रहेगा तो ये नई चीजें कैसे सीख पाएगा। इसको अगर मैं थोड़ा प्रैक्टिकली आपको समझाऊं तो थोड़ा दिमाग लगाओ और सोचो की पिछले हफ्ते से लेकर अब तक आपने कहां कहां पर पैसा खर्च किया है। हर वो एक चीज सोचो जहां पर आपका थोड़ा भी पैसा खर्च हुआ है। 

इस चीज़ की मैं गारंटी देता हूं कि एक exact फिगर आपके पास होगा ही नहीं। आप मोटा मोटा खर्चा तो बता दोगे पर हर तरह का खर्चा नहीं पकड़ पाओगे। इसलिए सबसे पहली चीज जो आपके लिए करना बहुत जरूरी है वह अपनी फाइनेंशिल ट्रैकिंग करना। ये काम मुश्किल से आपके 10 -15 मिनट ही लेगा। पर इस छोटे से काम को करने से आपके हर तरह का खर्चा आपकी नजरों के सामने होगा। 

पर आखिर ऐसा करने से क्या ही फायदा हो जाएगा। तो देखो इससे आपको ये फायदा होगा कि जब भी आप अपने फाइनेंसियल  ट्रैकिंग करोगे तो कई बार इस दौरान कुछ खर्चे तो आपको ऐसे नजर आ जाएंगे जो आपको खुद को हैरान कर देंगे। 

आप सोच में पड़ जाओगे के यहां पर मैंने इतना पैसा क्यों खर्च कर दिया। और इससे अपने खर्चों को लेकर आप काफी कॉन्शस हो जाओगे और आने वाले दिनों में आप देख भाल के खर्च करोगे जिससे आपका काफी पैसा बचता रहेगा। 




Bottomline

तो दोस्तों ,ये थे वो पाँच टिप्स जिनसे आप अपने बहुत ज्यादा पैसे सेव कर सकते हो। और जैसा कि मैंने शुरुवात में ही बताया था कि ये हर किसी की लाइफ में अप्लाई होते हैं और इनको कोई भी यूज कर सकता है।


Vinod Pandey

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