Middle-class Trap को तोड़कर अपने परिवार में अमीर बनने वाले पहले व्यक्ति बनें

 

Middle-class Trap

दोस्तों ये मुंबई की लोकल ट्रेन का सीन है और यहाँ कोई स्पेशल दिन नहीं होता है कि सिर्फ किसी दिन इतनी भीड़ होगी। ये मुंबई का रोज का सीन है जहाँ लोगों को हर रोज सिर्फ ऑफिस जाने के लिए स्ट्रगल करना पडता है। और काफी सारी रिपोर्ट्स में आता है कि मुंबई की लोकल ट्रेन से हर रोज 10 लोगों की मौत हो जाती है। 

अब दोस्तों ऐसा नहीं है कि सिर्फ मुंबई के मिडिल क्लास लोग ही स्ट्रगल करते हैं , सच ये है कि इंडिया के दूसरे पार्ट के लोग तो और भी ज्यादा स्ट्रगल करते और वो स्ट्रगल उम्र के साथ बढ़ता रहता है। इस स्ट्रगल को एक्सप्लेन करने के लिए मैं आप लोगों को एक स्टोरी सुनाता हूं। 


Hardworking Guptaji Story

तो मिलिए मिस्टर गुप्ता जी से। ये मुंबई के एक मिडिल क्लास एरिया में रहते हैं और इनकी फैमिली में चार लोग हैं। इनकी प्यारी वाइफ जो एक होममेकर है। इनकी छोटी बेटी जो स्कूल जाती है और एक बडा बेटा जिसने अभी हाई स्कूल पास किया है। उसको 10th में 95% मार्क्स आए जो एक बहुत बडा अचीवमेंट है। इसी बात पर इनकी वाइफ बहुत ज्यादा खुश होती है कि फाइनली उनका बेटा बडा होकर कुछ बडा नाम करेगा और इसीलिए उन्होंने एक पार्टी रखी अपने खास रिश्तेदारों के साथ।  

खुशी का मौका था तो  सभी गेस्ट गुप्ता जी के बेटे को बधाई दे रहे थे कि उसका फ्यूचर जरूर बहुत ब्राइट होगा और वो लाइफ में कुछ बडा करेगा। और उसी वक्त गुप्ता जी साइड में आकर विंडो से बाहर देखकर अकेले में कुछ सोचने लगते। वो थोडे दुखी नजर आ रहे थे क्योंकि तब उनको रियलाइज होता है कि जब उन्होंने भी टेस्ट पास की थी तो उनको भी 90% मार्क्स आए थे जो उनके जमाने में काफी ज्यादा हुआ करते थे।  

और फिर उनको भी लोगों ने ऐसी बातें कही थी कि वो भी बडे होकर कुछ बहुत बडा करेंगे। लेकिन आज उनके पास खुद के घर के अलावा और कोई खास प्रॉपर्टी या वेल्थ नहीं है। उनकी फैमिली और उनके ऑफिस के लोगों के अलावा उनको कोई जानता भी नहीं है। 

हां वो एक अच्छी कंपनी में जॉब जरूर करते हैं लेकिन उनको कुछ ही सालों में रिटायरमेंट मिलने वाला है और उन्होंने उसके लिए कुछ खास सेविंग्स या प्लानिंग की नहीं है। जब उन्होंने 10वीं पास की थी तब उन्होंने ये सोचा था कि वो 30 साल की एज के अंदर ही बहुत मेहनत करके जल्दी रिटायरमेंट लेंगे और फिर अपनी लाइफ को एन्जॉय करेंगे। लेकिन आज उनकी एज 50 साल क्रॉस हो गई है और उनको मंथली बिल पे करने का टेंशन होता रहता है और फ्यूचर में कोई फाइनेंशियल इमरजेंसी ना आ जाए उसका डर अलग रहता है। 

कुछ बहुत बडा अचीव करना तो बहुत दूर की बात है ये आराम से रिटायर भी शायद नहीं हो पाएंगे। तो मेहनत तो उन्होंने बहुत की लेकिन अब 50 की एज होने के बाद भी ये अपनी लाइफ में आगे बढ नहीं पा रहे। जो टेंशन इनको 20 साल पहले होती थी आज भी वही है। ऐसा लगता है जैसे वो किसी ट्रेडमिल पर भाग रहे हैं और कहीं पहुंच भी नहीं पा रहे हैं । 

अब दोस्तों ये स्टोरी सिर्फ गुप्ता जी की नहीं है बल्कि मेजॉरिटी इंडियंस की है जो स्कूल और कॉलेज में सक्सेसफुल होने के बाद भी लाइफ में सक्सेस अचीव नहीं कर पाते। वो पूरी लाइफ स्ट्रगल करते रह जाते और ज्यादा हार्डवर्क और स्ट्रगल करने के बाद भी वो अपनी फाइनेंशियल प्रॉब्लम से बाहर निकल नहीं पाते क्योंकि वो एक ट्रैप में फंसे हुए थे और ये ट्रैक इतना स्ट्रॉन्ग होता है कि इसमें 99% लोग फंस जाते हैं जिससे निकलना इम्पॉसिबल होता है और यही है  मिडिल क्लास ट्रैप। 

तो दोस्तों आपमें से बहुत सारे लोग अभी अपने 20s में होंगे और काफी यंग होगे। तो ये आर्टिकल आपके लिए बहुत इम्पोर्टेन्ट है क्योंकि जो टेंशन आपको आज है अगर आप उसको आज फिक्स नहीं करोगे तो 10-20 साल बाद भी आपको वही टेंशन रहेगी। 



How we GET in the TRAP

तो इससे पहले कि हम ये समझे कि हम इस middle class trap से निकले कैसे, हमको ये समझना होगा कि हम इस ट्रैप में फंसते कैसे हैं? क्योंकि इसकी शुरुआत हमारे बचपन से ही हो जाती है। मिडिल क्लास पेरेंट्स अपने बच्चों की परवरिश ऐसी करते हैं की वह लाइफ में सेफ्टी को चुने न कि ग्रोथ को। 

मतलब जॉब सिक्योरिटी, कॉरपोरेट कल्चर इन सब चीजों को लाइफ का अल्टीमेट गोल बताया जाता है। तो बचपन से हमें एक स्क्रिप्ट पकडा दी जाती है जिसमें हमें अपनी लाइफ किस तरह जीना है वो लिखा होता है। और हमारी लाइफ के तीन सबसे इम्पोर्टेन्ट फैसले उस स्क्रिप्ट के हिसाब से हमारे पेरेंट्स ले लेते। सबसे पहले कि हम कौन सा करियर चुनेंगे, दूसरा हम कब और कौन सी फैमिली में शादी करेंगे और तीसरा हम अपनी सेविंग्स कहां इन्वेस्ट करेंगे। 

अब दोस्तों शादी वाले फैसले में मैं कमेंट नहीं करूंगा लेकिन जो करियर और इन्वेस्टमेंट वाला फैसला है वो एक प्रॉपर मिडिल क्लास वाला होता है। क्योंकि 100 में से शायद एक ही ऐसे मां बाप होंगे जो अपने बच्चों को करियर के लिए बिजनेस और इन्वेस्टमेंट के लिए स्टॉक मार्केट ये दोनों चुनने को कहेंगे। क्योंकि मेरे पेरेंट्स ने भी मुझे काफी मिडिल क्लास वाली एडवाइस दी थी, जिसे अगर मैं फॉलो करता तो शायद मैं हमेशा मिडिल क्लास ट्रैप में रहता। लेकिन मैंने कुछ अलग किया जो हम किसी और दिन डिस्कस करेंगे। 

और फिर बाद में जब हम स्कूल और कॉलेज जाते हैं अपनी एजुकेशन के लिए तो बाकी का स्क्रिप्ट हमें वहां से मिल जाती है जहां पर हमें लाइफ टाइम तक एक डिसिप्लिन और इम्प्लॉई बनने के लिए ट्रैन किया जाता है। लेकिन हमारी फाइनेंशल लाइफ में जरा सा भी डिसिप्लिन नहीं होता है, क्योंकि फाइनेंशल एजुकेशन हमें स्कूल में सिखाया नहीं जाता है, जिसकी वजह से अगर कुछ गिने चुने लोगों को कहीं से अच्छे पैसे मिल भी जाते तो वो भी इस ट्रैप से बाहर नहीं निकल पाते। इसका भी मैं आप लोगों को एक बढिया सा एग्जाम्पल देता हूं। 

काफी सारी रिसर्च में आया है कि 70% लॉटरी विनर्स जो करोडों की लॉटरी जीतते हैं वो इतना ज्यादा पैसा जीतने के बाद भी 10 साल के अंदर वापस गरीब हो जाते और वही जॉब करने लगते हैं जो लॉटरी जीतने के पहले कर रहे होते हैं। और बाकी के 30% थोडा ज्यादा टाइम लगाते हैं लेकिन वो भी अपने लाइफ टाइम में गरीब बन जाते हैं । 

जैसे मैं आप को  एक एग्जांपल देता हूं माइकल कैरोल का जो waste collect  करने का जॉब करता था और जब वो 19 साल का था तो उसे मिलियन पाउंड की लॉटरी लगती है जो इंडियन रुपीस के हिसाब से ऑलमोस्ट 100 करोड़ होता है। अब इतनी बडी कीमत जीतने के बाद कोई सपने में भी सोच नहीं सकता कि उसके सारे पैसे कभी खत्म होंगे। 

लेकिन लॉटरी जीतने के सिर्फ आठ साल के अंदर ही उसके वो सारे पैसे खत्म हो जाते और जो जॉब वो लॉटरी जीतने के पहले कर रहा था वेस्ट कलेक्ट करने का वो फिर से वही जॉब करने लगता है। पहले वो होप के साथ जॉब करता था लेकिन अब रिग्रेट के साथ जॉब करता है। 

तो दोस्तों यहां पर अगर आप थोडा गौर करो तो सारे मिडिल क्लास और गरीब लोग यही सोचते कि अगर उनके पास कहीं से बहुत सारे पैसे आ जाए तो उनकी सारी प्रॉब्लम दूर हो जाएगी। लेकिन यहां पर हम देख सकते हैं कि करोडों की लॉटरी जीतने के बाद भी लोग इस ट्रैप से बाहर निकल नहीं पाते हैं। 

तो अब ये एक बहुत ही सीरियस प्रॉब्लम है क्योंकि पैसे मिल जाने के बाद भी अगर हम इस ट्रैक से निकल नहीं पाते तो इस प्रॉब्लम का सॉल्यूशन क्या है? दोस्तों इसके लिए मैं आप लोगों को स्टेप बाई स्टेप आंसर देता हूँ।


Solution1

 सबसे पहला और सबसे बेसिक स्टेप यह है कि हमें इस माइंडसेट से बाहर आना होगा कि आपकी कोई और आकर हेल्प करेगा। क्योंकि आधे लोग जो आपकी एक्चुअली में हेल्प करना चाहते हैं वह खुद ही इस ट्रैप में फंसे होते हैं ,तो वो आपकी हेल्प करेंगे कैसे? और बाकी लोग जो एक्चुअली में आपकी मदद कर सकते हैं इस ट्रैप से बाहर निकलने के लिए तो वह लोग तो खुद के फायदे का सोच रहे होते हैं , आपके फायदे का नहीं। जैसे बैंक वाले। 

इसलिए आपको कंप्लीट ओनरशिप लेनी होगी अपनी फाइनेंशियल लाइफ की। लेकिन अगर आपको कंप्लीट ओनरशिप लेनी है तो उसमें करना क्या है? तो यही वो अमीर लोगों का सीक्रेट है जो मैं आपको आज एकदम सिंपल लैंग्वेज में बताने वाला हूं।आपके हाथ में जो भी पैसा आता है उसे आपको इस तरह इन्वेस्ट करना है कि आपको उससे हाइएस्ट ROI यानी रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट मिले, वो भी लॉन्ग टाइम के लिए। 

अगर आपको ये बात नहीं समझ आई तो मैं आपको इसका एग्जाम्पल देता हूं। जैसे मान लो एक आदमी है जिसका नाम सनी है और उसके पास कुछ पैसे हैं लेकिन नॉलेज नहीं है कि उन पैसों को उसे कहां और कैसे इन्वेस्ट करना चाहिए। तो आप मुझे एक बात बताओ सबसे पहले उसे कहां इन्वेस्ट करना चाहिए। तो इसका आंसर है एजुकेशन में। जैसे आप बुक्स खरीदोगे, सक्सेसफुल लोगों की लाइफ पढोगे या कोर्स बाई करोगे। 

वॉरेन बफेट के पास आज बिलियन डॉलर की वेल्थ है लेकिन अगर वो किसी वजह से अपने सारे पैसे गंवा देते जो होना इम्पॉसिबल है। लेकिन फिर भी मान लो अगर ऐसा हो जाता है तो अगले दिन वो एक न्यू म्यूचुअल फंड स्टार्ट कर सकते क्योंकि वो स्टॉक मार्केट के एक्सपर्ट है। लोग ये बात जानते हैं तो उनके म्यूचुअल फंड में बहुत सारे लोग इन्वेस्ट करने के लिए रेडी हो जाएंगे। जिससे उनके म्यूचुअल फंड का साइज बिलियन का हो जाएगा और उसका एक दो परसेंट चार्ज करके वो अगले दिन वापस अमीर बन जाएंगे। इसी तरह नवल रविकांत जो एक सेल्फमेड बिजनेसमैन थे उन्होंने एक बुक लिखी थी। 

उसमें वो कहते हैं कि आप मेरे सारे पैसे ले लो, मेरी सारी प्रॉपर्टी ले लो, मेरा घर, गाडी, एक्स्ट्रा सब कुछ और बस मुझे किसी इंग्लिश स्पीकिंग कंट्री में छोड़ दो। मैं पाँच साल के अंदर वापस अमीर बन जाऊंगा। तो एक तरफ है वह गरीब वेस्ट कलेक्टर जो लॉटरी विनर से करोडों की लॉटरी जीतकर वापस गरीब बन जाता है । और दूसरी तरफ ये सेल्फ मेड रिच लोग जो अगर किसी वजह से अपने पैसे गंवा भी देते हैं तो भी वो वापस रिच बन जाएंगे। तो दोस्तों क्या आप यहां पर एक पैटर्न देख सकते हो? 

अगर गरीब और मिडिल क्लास लोग एक ट्रैप में फंसे, वही कुछ अमीर लोग भी एक ट्रैप में फसे लेकिन वो एक पॉजिटिव ट्रैप है जो उनको हमेशा रिच रखेगा।  तो इसका रीजन क्या है? दोस्तों इसका रीज़न ये है कि एजुकेशन एक ऐसी वेल्थ है जो आपसे कोई छीन नहीं सकता लेकिन ये सही एजुकेशन होनी चाहिए क्योंकि गलत एजुकेशन ही लोगों को मिडिल क्लास ट्रैप में बांधकर रखती है। 

अमीर लोगों ने अपनी लाइफ की शुरुवाती  स्टेज में सबसे पहले इस एजुकेशन में  इन्वेस्टमेंट किया जिससे उनको हाईएस्ट रिटर्न और इन्वेस्टमेंट मिला, यानी हाईएस्ट ROI  जो उनको लॉन्ग टाइम पीरियड के लिए बेनिफिट देता रहेगा। तो ये था सबसे पहला और सबसे बेसिक स्टेप कि Be a learning machine। 

चार्ली मंगर जो 30 साल की एज में अपना सब कुछ खो चुके थे। अपने बच्चे, अपनी वाइफ और अपनी सारी वेल्थ। फिर भी वो अपनी 40s में फाइनेंशियली फ्री हो गए थे और आज वो एक सेल्फ मेड बिलेनियर है। उनका मानना है कि लाइफ में सीखना बंद तो लाइफ में जीतना बंद। 


Solution 2

अब बात करते हैं दूसरे लेसन की कि रिच लोग पैसे कमाते कैसे और उसे इनवेस्ट कैसे करते हैं । तो दोस्तों अगर आप किसी भी इंसान की लाइफ को ध्यान से रीड करोगे और साइड बाय साइड किसी लॉटरी विनर की लाइफ को रीड करोगे जो फौरन गरीब हो जाते तो आपको उनके अर्निंग और इन्वेस्टिंग के तरीके में जमीन आसमान का फर्क दिखेगा। तो वो चीज में आप लोगों को एकदम सिंपल लैंग्वेज में समझाता हूं। तो ये इस आर्टिकल का सबसे इम्पोर्टेन्ट पार्ट होगा। यहां पर पूरा ध्यान देना। 

तो दोस्तों दुनिया में चार टाइप के लोग होते हैं । सबसे पहले वो जो जॉब करते हैं यानी वो फिक्स्ड सैलरी अर्न करते हैं और फिर उनकी जो सेविंग्स होती है उसे वह ऐसी जगह इन्वेस्ट करते हैं जहां उनको फिक्स्ड रिटर्न मिलता है। मतलब उनकी एक्टिव इनकम और पैसिव इनकम दोनों में यह फिक्स्ड वाला कॉन्सेप्ट होता है। तो ये हुआ एकदम गलत तरीका  अर्निंग और इनवेस्टिंग का, जो हमेशा Middle-class trap में रहे लोगों की लाइफ में मिलेगा। 

लेकिन सबसे बेस्ट पैटर्न ये है जो दूसरे टाइप के लोग होते हैं कि आप कोई बिजनेस कर रहे हो, जिसमें आपका पोटेंशियल बहुत होता है। यानी आपकी एक्टिव इनकम फिक्स नहीं होती है, वो ग्रो हो सकती है। फिर आप उसे री इन्वेस्ट कर रहे हो अपने बिजनेस में या दूसरे बिजनेस में, या स्टॉक्स में।  

तो इसमें एक्टिव इनकम और पैसिव इनकम दोनों ही पोटेंशियल ग्रो हो सकती है कंपाउंडिंग के पावर से और सारे रिच मिलेनियल्स और बिलेनियर यही पैटर्न फॉलो करते हैं। जैसे मुकेश अंबानी जब भी पैसा कमाते हैं  या तो वह खुद के बिजनेस में इनवेस्ट करते हैं या फिर दूसरे बिजनेस को बाय कर लेते हैं या उसके स्टॉक्स ले लेते हैं । जैसे मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस ने 2008 में एशियन पेंट्स के शेयर खरीदे थे। 

उन्होंने 500 करोड़ से एशियन पेंट्स की 4.9% ओनरशिप ली और में वो इनवेस्टमेंट 2020 में पाँच हज़ार करोड़ के ऊपर हो गयी थी। तो दोस्तों  जिनके पास बिजनेस और इन्वेस्टिंग की स्ट्रॉन्ग नॉलेज होती है तो ऐसे लोग जल्दी रिच भी बनते हैं और फिर अपनी लाइफ टाइम में नई नई ऊंचाइयों पर पहुंचते रहते हैं । तीसरी टाइप के वो लोग होते जो बिजनेस तो करते, जहां से उन्हें एक्टिव इनकम काफी अच्छी मिलती है, लेकिन उनको इन्वेस्टमेंट की इतनी नॉलेज नहीं होती है। तो अपनी सेविंग्स को बैंक अकाउंट में छोड़ देते हैं या एफडी में इन्वेस्ट कर लेते हैं क्योंकि वो ईजी होता है। 

तो इससे होता ये है कि ऐसे लोग शॉर्ट टर्म में तो एंजॉय करते हैं पर जब तक उनका बिजनेस अच्छा कर रहा होता है तभी तक। लेकिन कोई भी बिजनेस हमेशा ग्रो करता रहेगा और प्रॉफिटेबल रहेगा, इसकी गारंटी नहीं होती है। इसलिए लॉन्ग टर्म में ऐसे लोग स्ट्रगल करते हैं। 

मैं काफी सारे ऐसे लोगों को जानता हूं, जो कुछ टाइम पहले काफी अच्छा स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग मेंटेन करते थे। अच्छी कार में घूमते थे और काफी सारी कंट्री घूमकर आए हुए थे अपने बिजनेस की वजह से। लेकिन जब धीरे धीरे करके उनका बिजनेस का डाउनफॉल होने लगा तो उन्होंने अपनी कार बेची। फिर अपना बडा घर और अब वो स्ट्रगल कर रहे हैं और छोटे मोटे जॉब कर रहे हैं। 

फिर चौथे टाइप के वो लोग होते जो जॉब कर रहे होते हैं । मतलब उनकी इनकम फिक्स होती है तो शॉर्ट टर्म में वो शायद इतना एंजॉयमेंट नहीं कर पाएंगे। लेकिन वो अपनी सेविंग्स को समझदारी के साथ अच्छे स्टॉक्स और अच्छे बिजनेस में इनवेस्ट करते हैं और अपने नॉलेज को इम्प्रूव करते रहते हैं । जैसे साइकोलॉजी ऑफ मनी किताब में ऑथर एक एग्जांपल देते हैं रोनल्ड रीड का। 

वह अपनी पूरी लाइफ एक मामूली गेस्ट अटेंडेंट का जॉब करता है। मतलब पेट्रोल पंप पर पेट्रोल भरने का एंप्लॉई। लेकिन जब उनकी डेथ हुई तो वो आदमी अपनी विल से वन मिलियन डॉलर्स एक लाइब्रेरी में डोनेट करता है और फोर मिलियन एक हॉस्पिटल में डोनेट करता है। 

और ये सारे पैसे उन्होंने स्टॉक इनवेस्टिंग से ग्रो किए थे खुद। तो यह वो फोर्थ टाइप के स्मार्ट लोग होते हैं  जो भले अपने पेरेंट्स, सोसाइटी, एजुकेशन सिस्टम या बैकग्राउंड की वजह से जॉब पर लग गए, लेकिन उन्होंने मिडिल क्लास ट्रैप  का एस्केप ढूंढ लिया और ऐसे लोग लॉन्ग टर्म में बहुत ज्यादा रिच भी बनते हैं और लाइफ में बहुत ही जल्द फाइनेंशियल सिक्योरिटी अचीव कर लेते हैं। जहां पर उनको पैसों की टेंशन लेने की जरूरत नहीं होती है। 



IMPORTANT LESSON

तो यहां पर एक बहुत ही अच्छी न्यूज है उन लोगों के लिए जो फैमिली प्रेशर से या किसी वजह से जॉब कर रहे हैं और बिजनेस नहीं कर पाते। क्योंकि दोस्तों अगर आप नोटिस करो तो इंडिया में कुछ कम्युनिटी ऐसी है जैसे गुजराती, मारवाड़ी और चेट्टियार। ये लोग बहुत ज्यादा रिच है और इंडिया की जीडीपी और ग्रोथ में भी इनका बहुत बड़ा कंट्रीब्यूशन है। जैसे काफी सारी रिपोर्ट्स में आता है कि इंडिया में 169 अरबपति है और उसमें से 80% से भी ज्यादा सिर्फ यही तीन कम्युनिटी से है। 

आज अनिल अंबानी भले ही बैंकरप्ट हो गए, उनकी कंपनी पूरी तरह डूब चुकी है लेकिन फिर भी आज भी उनका लाइफस्टाइल किसी भी अपर मिडिल क्लास या रिच क्लास से ज्यादा अच्छा है। वो आज भी आलीशान बंगले में रहते हैं और महंगी गाडिय़ां ड्राइव करते हैं। तो बैंकरप्ट होने के बाद भी ये रिच क्लास में कैसे रहते हैं । तो दोस्तों जब मैंने इसका रीजन पता लगाने की कोशिश करि कि कुछ लोग, कुछ फैमिली और कुछ कम्युनिटी के ऑलमोस्ट सारे लोग मिडिल क्लास से बाहर कैसे निकले। 

तो मुझे ये पता चला कि इनके पूर्वज यानी कि इनके ग्रैंड पेरेंट्स एकदम ड्राई और कम उपजाऊ वाली जमीन पर रहते थे जैसे मेजॉरिटी मारवाड़ी राजस्थान से जहां बारिश बहुत ही कम होती है। गुजरात भी राजस्थान के बाजू में वहां पर बारिश बहुत रेगुलर नहीं होती है और आज भी साउथ इंडिया के सबसे ड्राई और कम उपजाऊ जमीन पर रहते हैं जहां पर फसल उगाना बहुत ही मुश्किल है। तो जो लोग हिस्टोरिकल डेजर्ट यानी रेगिस्तान वाली जगह पर रहते थे तो उनके पास हमेशा हरी भरी फसल रहेगी इसकी कोई गारंटी नहीं होती थी क्योंकि वहां पर बारिश बहुत कम होती थी। 

यानी कि दो तीन साल में कभी एक बार अच्छी बारिश होती थी जिसकी वजह से वहां के लोगों को अपने खर्चों को काफी कंट्रोल में रखना पडता था और वो फार्मिंग के भरोसे नहीं रह सकते थे। लेकिन दूसरी तरफ जो लोग इंडिया के दूसरे पार्ट से थे, जहां एकदम हरी भरी फसल उग सकती है तो उनको अपनी इनकम, अपना काम या रिसोर्सेज का इतना टेंशन नहीं लेना पडता था। तो इसलिए जो लोग डेजर्ट वाले एरिया में रहते थे तो अपने पैसों को सेव करके गुड्स को ट्रेड करके छोटा मोटा प्रॉफिट कमाते थे और फिर वो ऐसी ट्रेडिंग और व्यापार करते करते दूसरे टाइप के बिजनेस करने लगे और अपने बिजनेस को डायवर्सिफाई करते रहे। 

क्योंकि फार्मिंग उनके लिए नहीं था और ये पैसों के मामले में हमेशा अलर्ट रहते थे क्योंकि उनको पता था कि उनके पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है। जिसकी वजह से हुआ ये कि बिजनेस और मनी माइंडसेट के कुछ रूल्स और प्रिंसिपल्स अपने बच्चों को और अगली जनरेशन को पास करते गए जो धीरे धीरे करके इनका कोर वैल्यू और कल्चर बन गया। इसलिए ये कम्युनिटी के लोग बिजनेस में काफी ज्यादा स्मार्ट होते हैं।  

तो सारा खेल माइंडसेट का है, जो इनका बचपन से बनता है। तो इसी चीज को हमें समझना है। तो इसलिए जो इनकी कोर वैल्यू होती है, जो अगली जनरेशन तक पास होती रहती है, उसमें से तीन सबसे बडी वैल्यू मैं आप लोगों को बताता हूं जिसे हमें हमेशा फॉलो करना है। सबसे पहले गुजरात के बनिया लोगों की वैल्यू की आपको हमेशा न्यू अपॉर्चुनिटी को ढूंढते रहना चाहिए। फिर चाहे आप कोई नया बिजनेस शुरू करते हो या कोई इन्वेस्टमेंट। तो यहां पर हमारे लिए यह है कि अगर आप जॉब कर रहे हो तो कोई सेकंड सोर्स इनकम ढूंढने की कोशिश करो। सिंगल सोर्स इनकम के भरोसे मत रहो। 

इनफैक्ट अगर आप किसी भी बनिए को 2 में से एक ऑप्शन चुनने को कहो। पहला ऑप्शन जहां उनको एक हाई स्टेटस वाला गवर्नमेंट जॉब मिले, जैसे आईएएस या ऐसा कुछ और दूसरा वो कोई ऐसा बिजनेस करें जो बहुत रिस्की है तो वो हमेशा बिजनेस ही चुनेंगे। क्योंकि सिर्फ उनको पता है कि बिजनेस वैसे सेफ जॉब से भी ज्यादा सेफ है तो बस उनका माइंडसेट ही कुछ ऐसा है। 

फिर दूसरी कम्युनिटी है राजस्थान के मारवाड़ी लोग, जिनकी एक बहुत स्पेशल कोर वैल्यू है, के पैसे पर हमेशा नजर रखो वॉच मनी, और उसे ऐसी जगह इन्वेस्ट करो जहां आपको सबसे ज्यादा रिटर्न मिले। जो मैंने आपको इस आर्टिकल में समझाया। हाईएस्ट ROI वाला एग्जांपल। 

फिर तीसरी कम्युनिटी है साउथ इंडिया के चेट्टियार लोग, जिनकी कोर वैल्यू है कि ऑलवेज बी फ्रूगल । मतलब जब आपके पास पैसे आते तो उस टाइम पर ईगो नहीं आना चाहिए । नेचुरली  पैसों के साथ ईगो आता है। तो ऐसे टाइम पर आपको अपने आपको कंट्रोल में रखना है और हंबल रहना है। अपने रूट्स याद रखें कि आप कहां से आए थे और अपनी फ्यूचर जेनरेशन के बारे में सोचना है। 

और एक ऐसी यूनिवर्सल वैल्यू जो तीनों कम्युनिटी के लोगों में होती है कि फाइनेंशियल सिक्योरिटी पर फोकस करो। क्योंकि बारिश कब आएगी हमको ये नहीं पता और हमको जानना भी नहीं है क्योंकि हम बारिश या किसी दूसरी चीज के भरोसे नहीं, खुद के भरोसे रहते हैं । 


Final Word

तो दोस्तों अगर आप इन लेसंस को फॉलो करते हो और अपने फ्रेंड्स और अपने खास लोगों में से शेयर करते हो तो आप भी एक ऐसी कम्युनिटी बना सकते हो जिसे कभी पैसों की टेंशन लेने की जरूरत नहीं होगी और आपकी आने वाली जनरेशन भी कभी गरीबी या middle class trap में नहीं फंसेगी। 

Vinod Pandey

About the Author: Vinod is an experienced content writer with over 7 years of experience in crafting engaging and informative articles. His passion for reading and writing spans across various topics, allowing him to produce high-quality content that resonates with a diverse audience. With a keen eye for detail and a commitment to excellence, Vinod consistently delivers top-notch work that exceeds expectations.

Post a Comment

Previous Post Next Post