Financial Education in Hindi: तो दोस्तों ,आप अपने हार्ड कैश को कहां रखते हो। बैंक में, क्यों? ताकि वो सेफ रहे। लेकिन सच तो ये है कि बैंक में आपका पैसा बिल्कुल सेफ नहीं है । सोचिये हमारे देश में इन्फ्लेशन रेट क्या है? करीब 9% और आपके सेविंग अकाउंट का इंटरेस्ट रेट 3 से 4 पर्सेंट। एफडी को भी ले लेते तो वहां भी इंटरेस्ट रेट 6 से 7 परसेंट ही है। ऐसे में आपका पैसा नंबर में तो बढ़ रहा है, लेकिन वैल्यू में नहीं।
सोचा आज आपके पास जो ₹10 हैं, पांच साल बाद वो 15 हो गए। लेकिन जो कॉफी आज ₹10 की मिलती है, पांच साल बाद वो 20 की आएगी तो आपके पैसे 10 के 15 तो हुए लेकिन आप मार्केट में अब उससे कॉफी नहीं ले सकते क्योंकि उसकी वैल्यू गिर गई। यानी अगर आपके बैंक अकाउंट में रखे पैसे समय के साथ इंटरेस्ट रेट के कारण नंबर में थोड़े बढ़ भी रहे हैं तो भी वो बढ़ती हुई महंगाई को मात नहीं दे पाएंगे। यानी कुल मिलाकर आपका फ्यूचर सिक्योर नहीं रहेगा।
अब ऐसे में क्या किया जाए जिससे हमारा फ्यूचर और पैसा दोनों सिक्योर हो जाये। । तो आज हम डिस्कस करेंगे 7 नए, इनोवेटिव और लो रिस्क इन्वेस्टमेंट आइडियाज। जहां पैसे इन्वेस्ट करके आप अपना फ्यूचर सिक्योर कर सकते हो और अपने पैसों की वैल्यू वाकई में बढ़ाकर इनफ्लेशन को मात दे सकते हैं। तो आइये शुरू करते हैं ।
1. Invest in precious metal
तो पहला है Invest in precious metal यानी कि सोना, चांदी और प्लैटिनम। इन्हें precious metal इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनकी सप्लाई काफी लिमिटेड है। जब सप्लाई लिमिटेड हो जाती है तो डिमांड और वैल्यू खुद ब खुद बढ़ जाती है। आज से करीब 4500 साल पहले जब सोने की खोज पहली बार हुई थी, तब से लेकर करीब 300 साल पहले तक करंसी केवल पेपर पर बने नोट नहीं, बल्कि असली चांदी और सोने के सिक्के हुआ करते थे, जिनकी वैल्यू पर महंगाई और मंदी का कोई असर नहीं पड़ता था।
इसलिए सोना और चांदी जैसे मेटल्स लोगों के बीच इनवेस्टमेंट का पॉपुलर जरिया कल भी थे और आज भी हैं। अगर हम वैल्यू इन्वेस्टमेंट के हिसाब से देखें तो गोल्ड रियल स्टेट के बाद सेकंड नंबर पर सबसे प्रॉफिटेबल कमोडिटी है। और अगर आप पिछले 10 सालों में रिटर्न देखें तो गोल्ड ने स्टॉक मार्केट जितने अच्छे रिटर्न ही दिए हैं।
जो सोना आज से 10 साल पहले 18 -19,000 रूपये तोला था, आज वो 60 से 62000 रुपए हो गया और कई मार्केट एक्सपर्ट्स आने वाले सालों में इसे और भी ऊपर जाने की बात कर रहे हैं। ऐसे में गोल्ड आपके पास इन्वेस्टमेंट का एक बहुत अच्छा ऑप्शन है। केवल गोल्ड ही नहीं बल्कि चांदी और प्लैटिनम के दाम भी हर साल आसमान छू रहे हैं। जो इंवेस्टमेंट का एक अच्छा जरिया बनाते हैं। तो इन मेटल्स में इन्वेस्ट कैसे करें? पहला तरीका जो मेरा भी फेवरेट है वो ये कि आप फिजिकल गोल्ड लेकर रख लो।
फिजिकल गोल्ड दो फॉर्म में अवेलेबल है। गोल्ड कॉइन और बुलियन यानी गोल्ड के बिस्किट। रॉबर्ट कियोसाकि कहते हैं कि गोल्ड भगवान की करेंसी है। आप रुपए का नोट हर देश में नहीं चला सकते, लेकिन अगर आपके पास गोल्ड है तो आप इसे दुनिया में कहीं भी कुछ भी खरीद सकते हो और ये एक ऐसी करंसी है जिसे दुनिया की कोई सरकार बंद नहीं कर सकती। जैसे कि एक झटके में 1000 और 500 के नोट की वैल्यू जीरो हो गई थी, लेकिन गोल्ड की वैल्यू वैसी की वैसी ही थी।
गोल्ड में इन्वेस्टमेंट का दूसरा तरीका है डिजिटल गोल्ड। इसके अंदर आता है ईटीएफ यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, जो म्यूचुअल फंड की तरह ही होता है। वहां पर इन्वेस्टमेंट स्टॉक में होते हैं, यहां पर ये गोल्ड में इन्वेस्ट करते हैं। इसके अलावा गोल्ड म्यूचुअल फंड और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जो RBI जारी करता है। आइए अब जरा गोल्ड में इन्वेस्टमेंट के कुछ मार्केट पैरामीटर्स परख लेते हैं।
- रिटर्न - गोल्ड का एवरेज return मोस्टली 8 से 10 परसेंट का रहा है।
- रिस्क -चूँकि गोल्ड एक कमोडिटी है इसलिए यहां रिस्क के बहुत कम या मॉडरेट चांस है।
- लिक्विडिटी-गोल्ड इन्वेस्टमेंट में आपको काफी लिक्विडिटी मिल जाती है क्योंकि चाहे फिजिकल गोल्ड हो या डिजिटल, आप जब चाहे सेल करके अपना कैश निकाल सकते हो।
- वोलैटिलिटी -गोल्ड के रेट हाईली वोलेटाइल है। खासकर त्योहारों के टाइम शॉर्ट पीरियड में काफी ज्यादा फ्लक्चुएशन आते हैं। सौ बातों की एक बात है कि गोल्ड इन्वेस्टमेंट हेजिंग के लिए परफेक्ट है। यानी जब मार्केट में उतार चढ़ाव आता है, तो गोल्ड में इन्वेस्ट किया हुआ पैसा सबसे कम इफेक्ट होता है, तो आपको ये लॉस से बचा सकता है।
2. Investment in industrial commodity and raw material
गोल्ड के अलावा कई और मेटल जैसे कि कॉपर, कोबाल्ट और एल्युमिनियम भी बड़े काम के होते हैं। बहुत से इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स में इनका बड़ा इम्पोर्टेन्ट रोल होता है। जैसे कॉपर वायर इलेक्ट्रिक अप्लायंसेज की मैन्युफैक्चरिंग में काम आता है। वहीं कोबाल्ट इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की बैटरी बनाने में काम आता है। आजकल इसकी डिमांड काफी बढ़ गई है।
इसी तरह सिलिकॉन जैसे रॉ मटेरियल जिनकी डिमांड टेक्नोलॉजी और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में बूम के साथ बढ़ती जा रही है। जो कॉपर कुछ साल पहले ₹100 किलो था वो आज हजार रुपए किलो है, यानी 10 गुना प्रॉफिट। इसी तरह से 2012 में कोबाल्ट 20000 डॉलर पर टन था और 2022 में वो 40 हज़ार डॉलर पर पहुंच गया। तो हम कह सकते हैं कि इंडस्ट्रियल रॉ मटेरियल भी आपको काफी अच्छे रिटर्न दे सकते हैं।
लेकिन एक छोटी सी प्रॉब्लम है वो ये कि अगर आप इसे फिजिकल फॉर्म में खरीदकर रखोगे तो स्टोरेज की प्रॉब्लम तो आएगी ही साथ ही इसके बायर सेलर ढूंढना भी हम जैसे नॉर्मल लोगों के लिए आसान नहीं है। तो रॉ मटेरियल में इनवेस्ट करने का दूसरा रास्ता है माइनिंग कंपनी में इन्वेस्ट करना। आपको spoon feeding नहीं करूंगा, आप खुद कुछ अच्छी लिस्टिड माइनिंग कंपनी ढूंढिए।
3. Safe Haven Currencies
नेता हो, अभिनेता हो, चाहे माल्या हो या नीरव मोदी, सबके पास स्विस अकाउंट जरूर होता है। क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है कि ये सब लोग स्विस बैंक में ही अकाउंट क्यों खोलते हैं? इसका रीजन ये नहीं कि उन्हें वहां की वादियां पसंद है। इसका रीजन है स्विट्जरलैंड की करेंसी। वो क्यों? आइये समझते हैं। क्या आपने Safe Haven Currency का नाम सुना है ? जो लोग कुछ हटकर सेफ इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं उनके लिए सेफ हेवन करेंसी में इन्वेस्ट करना बहुत ही अच्छा ऑप्शन है।
दरअसल, दुनिया में कुछ ऐसे देश हैं जहां जियोपॉलिटिकल स्टेबिलिटी होती है। जहां दुनिया की सबसे स्टेबल इकोनॉमिक सिस्टम होता है, वहां की करेंसी क्राइसिस के टाइम पर भी अपनी वैल्यू नहीं खोती। इनफैक्ट, कई बार तो क्राइसिस में उसकी वैल्यू और बढ़ जाती है। ऐसी करेंसी को सेफ हेवन करेंसी कहते हैं। जैसे स्विस फ्रैंक, यूएस डॉलर, जैपनीज येन या फिर ब्रिटिश यूरो।
इन सब में स्विस फ्रैंक इन्वेस्टमेंट का सबसे स्टेबल ऑप्शन है। साल 2009 में इकोनॉमिक क्राइसिस के दौरान एक स्विस फ्रैंक ही था, जो सबसे कम अफेक्ट हुआ था। रिसेंटली रशिया यूक्रेन वॉर में भी जब यूएस ने रशिया पर बैन लगाया, उसके बाद रशिया ने भी स्विस फ्रैंक का इस्तेमाल किया सभी यूरोपियन कंट्रीज से ट्रेड करने के लिए। तो सेफ हेवन करेंसी आपके पैसों को कैसे बचाती है?
मान लो कि आपकी जेब में 500 का नोट है। आपके यहाँ इकनॉमिक क्राइसिस आई या देश में इनफ्लेशन बढा तो आपके ₹500 की वैल्यू ₹350 के बराबर हो गई। लेकिन अगर आप उन्हीं पैसों को एक्सचेंज करके स्विस फ्रैंक के रूप में सेव करते तो आपको पांच साल बाद एक्सचेंज करने पर वही ₹500 हजार या उससे भी ज्यादा बन के मिल सकते थे।
ऐसा कैसे हुआ? वो ऐसे हुआ कि क्राइसिस इनफ्लेशन के दौरान स्विस फ्रैंक की वैल्यू तो बढ़ गई और रुपए की कम हो गई। लेकिन आप इन करेंसी में इनवेस्ट कैसे करोगे? अब हर कोई तो जाकर स्विस बैंक में अकाउंट नहीं खोल सकता। इसके लिए आप करंसी ईटीएफ या फिर फॉरेक्स ट्रेड में इन्वेस्ट कर सकते हो। किसी भी प्लेटफॉर्म पर इन्वेस्ट करने से पहले आप उसे चेक जरूर कर लो। उससे जुड़े रेगुलेशंस जरूर पढ़ लो और मिनिमम अमाउंट के साथ ट्रेडिंग शुरू करो।
करेंसी ट्रेडिंग की सबसे अच्छी बात इसकी लिक्विडिटी है ,आप जब चाहो अपनी जरूरत पड़ने पर बड़ी आसानी से अपना पैसा निकाल सकते हो। और दूसरी अच्छी बात है वोलैटिलिटी यानी इसके प्राइस में ज्यादा फ्लक्चुएशन नहीं होता और लंबे समय तक सेम रहते हैं। इस तरह से सेफ हेवन करेंसी वोलेटाइल मार्केट में आपके पैसों को सेफ रखने का बहुत अच्छा तरीका है।
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4. Sovereign Guarantee
अगर कोई भी पॉलिसी लेने की बात आती है, तो आज भी हमारे देश में सबसे पहले लोगों को एलआईसी का ही नाम याद आता है। आपको पता है क्यों? क्योंकि एलआईसी के पास सॉवरेन गारंटी है। अब यह सॉवरेन गारंटी क्या है? ये शब्द शायद आपने पहले भी सुना होगा। तो चलिए आज इसका मतलब समझ लेते हैं। सॉवरेन गारंटी यानी वह पॉलिसी या इनवेस्टमेंट जिससे गवर्नमेंट खुद बैक करती है या सपोर्ट करती है।
जैसे मान लो कि अगर एलआईसी किसी वजह से बैंकरप्ट हो जाती है तो भी सॉवरेन गारंटी होने के कारण आपका पैसा डूबेगा नहीं। एलआईसी बॉन्ड में मौजूद आपका पैसा और जो बेनिफिट्स एलआईसी ने आपको प्रॉमिस किए थे, जैसे मैच्योरिटी बेनिफिट, हेल्थ बेनिफिट या फिर डेथ पर मिलने वाला अमाउंट, सब आपको भारत सरकार खुद देगी।
वहीं अगर आप प्राइवेट बॉन्ड में इन्वेस्ट करते हो तो बैंक डूबने पर आपका पैसा भी डूब सकता है। इसलिए एलआईसी के प्रीमियम इतने महंगे होने के बाद भी पॉलिसी मार्केट का 70% कंट्रोल करती है। हमारे देश में कई सॉवरेन गारंटी इन्वेस्टमेंट है जैसे कि गवर्नमेंट बैक्ड बॉन्ड्स, ट्रेजरी बॉन्ड्स, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, सॉवरेन गारंटी पॉलिसी जैसे एलआईसी। गवर्नमेंट स्कीम्स जैसे एनएससी, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट, पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि और पोस्ट ऑफिस की कई स्कीम्स।
पर लो रिस्क होने के कारण इसके एवरेज रिटर्न भी प्राइवेट बॉन्ड्स के कंपैरिजन में कम है। यह आपको ऑलमोस्ट 10 पर्सेंट का रिटर्न देते हैं। साथ ही इनकी लिक्विडिटी कम है। यानी आपका पैसा कुछ समय के लिए लॉक हो जाता है। आप उसे निकाल नहीं सकते।
5. Value Stocks and Mutual Funds
हमारे देश में ज्यादातर लोगों को स्टॉक मार्केट का नाम सुनते ही बुखार आ जाता है। या तो लोग इसे रिस्की मानकर छूना भी पसंद नहीं करते। या तो कुछ लोग रातोरात अमीर बनने के लालच में बिना होमवर्क के इन्वेस्ट करके अपना सारा पैसा गंवा देते हैं। बहुत ही कम लोग ऐसे हैं जो सही मायने में इसे समझकर इंटेलिजेंट इन्वेस्टिंग के साथ प्रॉफिट कमाते हैं।
स्टॉक मार्केट में ऑलमोस्ट गारंटीड रिटर्न पाने के दो सबसे आसान रास्ते हैं- वैल्यू स्टॉक्स और म्यूचुअल फंड्स। वैल्यू स्टॉक उन कंपनी या स्टॉक्स में इन्वेस्ट करना होता है जो अभी तक अंडरवैल्यूड है यानी जिनकी स्टॉक प्राइस उनके intrinsic value से कम है।
यह इन्वेस्टिंग स्टाइल इस बिलीफ पर काम करता है कि स्टॉक मार्केट किसी भी न्यूज पर ओवर रिएक्ट करता है और कंपनी के पास पोटेंशियल होने के बावजूद भी ट्रेड उसे कम आंकते हैं। ऐसे स्टॉक इन्वेस्टर्स को डिस्काउंटेड प्राइस पर खरीदने का मौका देते हैं। लॉन्ग टर्म में स्टॉक वैल्यू intrinsic value के आसपास या उससे ऊपर पहुंच जाए तो आप उसे बेचकर आप अच्छा खासा रिटर्न कमा सकते हो।वहीँ म्यूचुअल फंड को अगर आप समझो तो म्यूचुअल मतलब मिलकर, यानी जब कई सारे लोग मिलकर स्टॉक मार्केट में एक बड़ा पैसा इन्वेस्ट करते हैं।
इन फंड्स की सबसे अच्छी बात यह होती है कि आपको खुद हर समय मार्केट पर नजर नहीं रखनी पड़ती। फंड क्रिएटर एक फिक्स्ड पोर्टफोलियो बनाते हैं और वो खुद कंपनी में आपका पैसा इन्वेस्ट करके आपको अच्छे रिटर्न दिलाते हैं। अगर रिटर्न की बात करें तो एवरेज आपको 12 से 15 पर्सेंट का रिटर्न मिलता है। रिस्क हाई -मॉडरेट होता है।
लिक्विडिटी यूं तो है, मतलब जब आप अपना पैसा निकलना चाहो निकाल सकते हो। लेकिन अगर आप अच्छे रिटर्न चाहते हो तो आपको थोड़ा पेशेंस के साथ काम लेना होगा और कुछ समय वेट करना होगा। क्योंकि जब बात स्टॉक मार्केट की आती है तो वोलैटिलिटी तो होती ही है।
6. Land and Real Estate
लैंड और रियल एस्टेट सदियों से चला आ रहा है इन्वेस्टमेंट मेथड है । लेकिन वो कहते हैं न कि वाइन जितनी पुरानी हो उतनी ही अच्छी होती है। उसी तरह इन्वेस्टमेंट का मेथड जितना पुराना हो, उतना ही ट्रस्ट होता है।Land and Real Estate एक ऐसा मेथड है, जिस पर रिटर्न मिलना ही मिलना है। फिर चाहे वह रेंटल इनकम के फॉर्म में हो या फिर प्रॉपर्टी पर एप्रिसिएशन।
अगर आपके पास एक high अमाउंट मनी है तो आप बड़ी ही आसानी से किसी भी लैंड या रियल एस्टेट में इन्वेस्ट कर सकते हो। लेकिन अगर आपके पास काफी सारा पैसा जमा नहीं है तो भी आप रियल एस्टेट के मैदान में खेल सकते हो। कैसे ? REITS के थ्रू।
REITS यानी रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट, ये भी म्यूचुअल फंड का ही एक टाइप है। बस यहां पर ट्रस्ट के लोग मिलकर स्टॉक की जगह रियल एस्टेट में इन्वेस्ट करते हैं । ट्रस्ट क्रिएटर आपका पैसा किसी कमर्शियल प्रॉपर्टी जैसे मॉल, बिजनेस या शॉप्स में या फिर रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट्स जैसे अपार्टमेंट, हॉस्टल इन सब में इन्वेस्ट करता है और फिर जो रेंटल इनकम जनरेट होती है वो आपको डिविडेंड के थ्रू मिलती है और प्रॉपर्टी का मार्केट एप्रिसिएशन आपके यूनिट होल्डिंग्स के बढ़ते प्राइस के रूप में रिफ्लेक्ट होता है।
यानी अगर आपकी जेब में ₹500 भी हैं तो भी आप रियल एस्टेट इन्वेस्टर बन सकते हो। रही बात रिटर्न और लिक्विडिटी की, तो आप अपनी यूनिट होल्डिंग सेल करके आसानी से कैश विड्रॉ कर सकते हो।
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7. Collectibles
Collectibles यानी वो चीजें जो दुनिया में बहुत कम है जैसे विंटेज कार, लिमिटेड एडिशन चीजें, पुराने कॉइन, स्टांप से लेकर पेंटिंग्स और कार्ड तक सब कुछ Collectibles के अंदर आता है। ये कैसे आपको पैसा कमाकर देते हैं? वो ऐसे कि शौक बड़ी चीज है। दुनिया में कई लोग Collectibles को लेकर इतने दीवाने हैं कि वो इसके लिए मुंहमांगी कीमत देने को तैयार होते हैं।
जैसे लियोनार्डो दा विंची की कॉन्ट्रोवर्शियल पेंटिंग Mundi the Savior एक ऑक्शन में 50 मिलियन डॉलर की बिकी थी, जिसे क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने खरीदा था। वहीं स्मार्ट फोन का बनाया गया अल्ट्रा रेबिट का स्टील स्कल्प्चर लगभग नौ मिलियन डॉलर में बिका था। तो कब, कहां, कौन सा Collectibles कितनी प्राइस पर बिक जाए इसका अंदाजा लगाना थोडा मुश्किल है। क्योंकि किसी भी Collectibles की वैल्यू खरीदने वाले की नजरों में होती है। उसकी दीवानगी ही उसका प्राइस डिसाइड करती है।
ऐसे ही कई Collectibles हैं, जिनके प्राइस जितने पुराने होते हैं, उतनी ही बढ़ती जाती है। फॉर एग्जाम्पल टाइटेनिक, टाइटेनिक से रिलेटेड चीजों के कलेक्शन की दुनिया में दीवानगी है और ये बहुत अच्छी कीमत में बिकती है। वैसे तो लोग Collectibles शौक के लिए खरीदते हैं, लेकिन अगर आप Collectibles इस मोटिव के साथ खरीदो कि आप इसे ज्यादा प्राइस में बेचकर प्रॉफिट कमाओगे तो इसे Collectibles Investingकहते हैं।
एक मुश्किल यह है कि Collectibles को रखने और खरीदने में अच्छा खासा पैसा लगता है। पर इसका भी इलाज है। आप बहुत सी वेबसाइट्स जैसे collectibles.com पर भी अपने ट्रांजैक्शन कर सकते हो। अगर बडी चीजों में इन्वेस्ट करना आपके लिए पॉकेट फ्रेंडली नहीं है तो जर्सी, कार्ड, स्टाम्प और कॉइन जैसी छोटी छोटी चीजों में इन्वेस्ट करके इन प्लेटफॉर्म पर आप सेल कर सकते हो।
Collectibles में इन्वेस्ट करने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये आपके पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड लुक देता है और आपको इनवेस्टिंग के साथ साथ अपना पैशन फॉलो करने में भी हेल्प करता है।
Final Words
तो दोस्तों आपके इमरजेंसी फंड के अलावा जो पैसा आपके पास है आप उसे बैंक से निकालो और अलग जगहों पर इन्वेस्ट करो ताकि आपका पैसा आपको और पैसा बना कर दे।