Finance In Hindi: दोस्तों हमारे देश में अक्सर सभी लोग खुद को मिडिल क्लास मानकर ही चलते हैं फिर चाहे वह कितना ही कम और कितना ही ज्यादा क्यों ना कमाते हो। इंडिया में लगभग 50% लोगों का यही मानना है कि वे मिडिल क्लास के अंतर्गत आते हैं। लेकिन अगर डाटा की बात की जाए तो उसके अनुसार 5% से भी कम लोग हैं जो सही मायने में मिडिल क्लास के अंतर्गत आते हैं।
दरअसल इसके पीछे कारण यह है कि इंडिया में ज्यादातर परिवार में कमाने वाला सिर्फ एक ही शख्स होता है, जबकि खर्च करने वाले 4 से 5 लोग होते हैं। इस तरह वह इनकम 4 से 5 लोगों में बंट जाती है और per person के हिसाब से देखने पर पता चलता है कि यह फैमिली या फैमिली मेंबर्स मिडल क्लास नहीं बल्कि लोअर इनकम क्लास से बिलॉन्ग करते हैं।
इंडिया में ज्यादातर ऐसे ही परिवार हैं जो ज्यादा से ज्यादा कमाने के बावजूद भी वहीं के वहीं फंसे रह जाते हैं। इसे ही middle class trap कहा जाता है। इस ट्रैप में फंसने का सिर्फ यही कारण नहीं है बल्कि अनेक कारण हैं। तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम उसी कारणों को डिस्कस करेंगे और यह भी डिस्कस करेंगे कि हम कैसे इस ट्रैप से बाहर निकल सकते हैं और financially free हो सकते हैं।
1. Mindset
दोस्तों मिडल क्लास ट्रैप में फंसने का सबसे पहला कारण है हमारा माइंडसेट। ज्यादातर भारतीयों की प्रॉब्लम है उनका माइंडसेट जो कि बहुत ही लिमिटेड सोचने का आदी है।बहुत कम लोग हैं पूरी सोसाइटी में जो कि futuristic approach रखते हैं अपनी थिंकिंग और लाइफ दोनों में।
ज्यादातर लोगों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि सिर्फ पढ़ाई करो। जब बच्चा प्रश्न पूछता है कि पढ़ाई की क्या क्या इम्पॉर्टेंस है तो उसे जवाब मिलता है नौकरी के लिए। उसे कभी यह बताया ही नहीं जाता कि इस एजुकेशन का वह कुछ और भी यूज कर सकता है या एजुकेशन उसे क्या क्या सिखा सकती है, बना सकती है और उसकी कई तरीके से हेल्प भी कर सकती है।
बहरहाल, वह बच्चा अपने पेरेंट्स की मेहनत की कमाई से पढ़ाई करता है और अपनी एजुकेशन कंप्लीट करने के बाद लग जाता है नौकरी की तलाश में। नौकरी की तलाश खत्म ही हुई होती है और उसने जॉब करना शुरू ही किया होता है कि वह खुद या फिर उसके घरवाले उसकी शादी करवा देते हैं।
शादी के बाद ऐसा नहीं है कि उसकी पर्सनल या न्यूक्लियर फैमिली की शुरुआत हो चुकी है और उसमें 1 से 2 मेंबर्स हो गए हैं तो दोनों व्यक्ति अपना खर्च उठाने के लिए कंट्रीब्यूशन करेंगे? बिल्कुल नहीं। वाइफ जैसे ही बोलेगी कि मुझे भी कोई बिजनेस, जॉब या ऐसा कुछ काम करना है, जिससे इनकम जनरेट हो, वैसे ही हज्बंड बोलेगा कि तुम्हें काम करने की क्या जरूरत है, मैं ऑलरेडी जॉब कर रहा हूं। इस तरह इनकम का एक नया अल्टरनेट जेनरेट होने से पहले ही उसने उसे रोक दिया।
इसके बाद यह व्यक्ति अपनी जॉब में ग्रोथ करने से पहले और अप्रेजल मिलने से पहले ही बच्चा पैदा कर लेता है। अब उस छोटी सी सैलरी में तीन हिस्सेदार हो गए। आगे जब तक उसे अपनी जॉब में फर्स्ट अप्रेजल नसीब होगा, तब तक वह दूसरा बच्चा भी पैदा कर लेगा। इस तरह सैलरी में जितने पैसों का तो इंक्रीमेंट नहीं हुआ होगा, उससे ज्यादा तो उसने खर्चा बढ़ा लिया।
और बात यहीं खत्म नहीं होती। अगर पैदा होने वाले दोनों बच्चों का जेंडर फीमेल है तो यह प्रोसेस तब तक चलने वाली है जब तक उसे एक पुत्र यानी की बेटे की प्राप्ति नहीं हो जाती है। दोस्तों यह कड़वा है लेकिन सोसाइटी का यही सच है। हालाँकि यही वह तरीका है, यही वह माइंडसेट है जिसके थ्रू हम अपने आप को middle class trap में फंसा लेते हैं और फिर लाख कोशिशों के बावजूद भी हम उससे नहीं निकल पाते।
इसका कारण यह भी है कि इंडिया में बहुत कम ऐसी जॉब है, जहां आपकी सैलरी में इतना इंक्रीमेंट हो जाए कि आप अपनी फैमिली के हर इंसान को अच्छा पैसा दे भी पाए और आपकी ग्रोथ भी होती रहे। अगर आपकी सैलेरी को per person डिवाइड करके देखा जाए तो आपको खुद ही लगने लगेगा कि मैं मिडल में नहीं बल्कि बिलो पावर्टी लाइन हूं।
2. Inflation
दोस्तों, middle class trap में फंसे रहने का दूसरा सबसे बड़ा रीजन है महंगाई यानी कि इन्फ्लेशन (Inflation)। जहां पूरे देश में खाने से लेकर किराये तक हर चीज के दाम साल दर साल आसमान छूते जा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ आज भी 2023 में प्राइवेट सेक्टर में बिगिनर्स की सैलरी उतनी ही है जितनी की 2010 के आसपास हुआ करती थी।
2010 में पेट्रोल ₹55 लीटर हुआ करता था और आज उसके दाम बढ़कर ₹95 लीटर हो चुके हैं। इसके अलावा एडिबल ऑयल हो या फिर आटा, दाल या फिर डेली यूज की कोई और चीज, लगभग सभी के दाम पिछले कुछ सालों में कई गुना तक बढ़ चुके हैं। मगर वहीं अगर प्राइवेट नौकरी की सैलरी की बात की जाए तो तब भी आदमी 15से ₹20,000 में काम कर रहा था और आज भी वही हाल बना हुआ है।
हाल ही में 2020 में जब चारों तरफ कोरोना वायरस ने कोहराम मचा दिया था तब से इन्फ्लेशन Stagflation में कन्वर्ट हो गया है। यानी कि जहां एक ओर महंगाई लगातार बढ़ती चली गई, वहीं लोगों की इनकम उसके हिसाब से बढ़ने की जगह और कम हो गई। यहां तक कि कुछ लोगों को तो अपनी जॉब से ही हाथ धोना पड़ गया।
जिस प्रकार से लगातार महंगाई बढ़ रही है, उस हिसाब से तो यही लग रहा है कि जल्द ही ऐसा टाइम आएगा जब एक सैलरीड पर्सन के लिए अपने बच्चों को पढ़ाना और अपने फैमिली मेंबर्स का इलाज कराना मुश्किल ही नहीं, इम्पॉसिबल सा हो जाएगा।
अगर कोई भी व्यक्ति अपने बच्चों को ट्रडिशनल कोर्सेज कराता है, तो उसे जॉब नहीं मिल रही और अगर कोई प्रोफेशनल कोर्सेज कराने जाता है, तो उसकी फीस में सारे इंस्टीट्यूट्स ने इतना इंक्रीमेंट कर दिया है कि एक आदमी के लिए उसे भरना बहुत ही मुश्किल हो चुका है। सरकारी हॉस्पिटल्स में इलाज नहीं है और अगर प्राइवेट हॉस्पिटल की ओर अपना रुख कर लें तो उसके बिल को अपनी सारी संपत्ति बेचकर भी नहीं चुका पाएगा। आज एक मिनिमम सी सैलेरी में इंसान बाकी सारी चीजें तो छोड़ो अपना और अपने फैमिली मेंबर्स का पेट भर ले, यही बहुत बड़ी बात है।
दोस्तों यहाँ मैं स्पष्ट कर दूँ , की महंगाई को रोकने के लिए देश की सरकार पुरे जी जान से लगी है ,पर यह एक ऐसी चीज़ है ,जिसे रोक पाना दुनिया के किसी भी देश के वश में नहीं है। परन्तु जिस तरह से भारत सरकार ने inflation को संभाला है ,और जो भी कोशिश वह कर रही है उसकी हम सराहना करते हैं।
3.Tax
तीसरा रीजन है टैक्स। दोस्तों,एक एवरेज इंडियन सैलरीड पर्सन की पूरी जिंदगी बस टैक्स भरने में ही गुजर जाती है। अगर वो इनकम टैक्स के टैक्स स्लैब में आता है तब वो 10, 20 और 30 परसेंट तक के डायरेक्ट टैक्स का भुगतान कर रहा होता है। और अगर उसकी इनकम इतनी कम है कि टैक्स स्लैब में नहीं आती तो तब वह अपनी रोजमर्रा के जरूरत वाले सामान पर 18% तक का GST indirect tax के रूप में भर रहा होता है।
Indirect tax एक ऐसा टैक्स है जो बाय नेचर ही बहुत ज्यादा एग्रेसिव होता है। इसका रीजन यह है कि अगर किसी प्रोडक्ट पर 18% का इनडायरेक्ट टैक्स लगा हुआ है तो वह देश के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी पर भी 18% ही लग रहा है और एक सड़क किनारे रेहड़ी लगाकर सब्जी बेचने वाले पर भी उतना ही लग रहा है। यहां प्रॉब्लम यह है कि टैक्स तो दोनों पर बराबर लग रहा है, मगर इनकम दोनों की इक्वल नहीं है।
जहां एक ओर मुकेश अंबानी दिन का करोड़ों रुपए कमाते हैं, वहीं वह सब्जीवाला मुश्किल से दिन के ₹700 -₹1000 की दिहाड़ी बना पाता है। अंबानी जी के लिए 18% टैक्स के रूप में दिए गए ₹10 कोई मायने नहीं रखते, लेकिन उस सब्जीवाले के पूरे दिन के कमाए गए प्रॉफिट का वह 3% तक हो सकता है।
इसलिए जब भी कोई रोजमर्रा की जरूरत की चीज महंगी होती है, तो उसका सबसे ज्यादा इफेक्ट एक गरीब और मिडल क्लास आदमी पर पड़ता है। इसके साथ ही डायरेक्ट टैक्स जिसे हम इनकम टैक्स कहते हैं, उसको भरने का पूरा जिम्मा मिडल क्लास पर है। क्योंकि जहां तक बिजनेसमैन की बात करें तो वह ज्यादातर अपनी इनकम को टैक्स स्लैब में आने ही नहीं देते। लेकिन मरता कौन है? मिडल क्लास। साथ ही इतना सारा टैक्स भरने के बाद भी एक मिडिल क्लास या गरीब आदमी को मिलता क्या है? टूटी सड़कें, घटिया एजुकेशन और बेकार हॉस्पिटल।
4. False Reputation
दोस्तों , मिडल क्लास ट्रैप से न निकल पाने का चौथा रीजन है झूठी प्रतिष्ठा। मिडल क्लास ही वह क्लास है, जो काम में भेद यानी कि differentiate करता है। ज्यादातर मिडल क्लास घरों में जब भी कोई व्यक्ति कोई काम करने की सोचता है तो वहीं से घरवालों के, दोस्तों के और रिश्तेदारों के उस काम को लेकर ताने शुरू हो जाते हैं। ऐसा काम तो हम नहीं करते। यह तो हमारी शान से नीचे है।
Middle Class लोग स्मॉल बिजनेस को बहुत ही खराब नजर से देखते हैं और नौकरी को एक प्रतिष्ठा की नजर से। लेकिन असलियत में देखा जाए तो कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। अक्सर बड़े बड़े बिजनेसमैन और इंडस्ट्रियलिस्ट की शुरुआत इन छोटे छोटे बिजनेस से होती है, जिन्हें मिडल क्लास हीन भावना से देखता है।
इसके साथ ही पूरे मिडल क्लास को एक कॉमन बीमारी है और वह है झूठा show off करने की। जॉब शुरू हुई नहीं कि हो गई दिखावे की शुरुआत। जहां कभी एक टपरी पर बैठकर ₹10 की चाय से काम चल जाता था, वहां अब starbucksऔर ccd की महंगी वाली कॉफी यानी कि latte से शुरुआत होती है और वह भी दिन में दो दो बार।
जहां आसानी से पब्लिक ट्रांसपोर्ट के थ्रू स्टार्टिंग में अपना काम चलाया जा सकता है, वहां जॉब लगते ही तुरंत एक कार EMI पर उठा ली जाती है। जो काम 10 -12,000 रूपये के एंड्रॉयड फोन से चल सकता है, उसके लिए अपनी सैलरी से 8 से 10 गुना महंगा आईफोन फाइनेंस करा लिया जाता है। क्रेडिट कार्ड से वीकेंड पर पब्स और क्लब्स में पार्टीज के खर्चे, and so on दिखावों और खर्चों की लिस्ट बहुत ही लंबी है, जिनके कारण वे EMI और क्रेडिट कार्ड के चक्कर में फंस जाते हैं और जिंदगी भर कंपनीज को उस उधार का इंटरेस्ट भरते हैं।
आज के दौर में यही तो वह ट्रैप है जो हार्डवर्क के बावजूद भी एक मिडिल क्लास व्यक्ति को उसकी मौजूदा हालत से कभी निकलने ही नहीं देता और वह जीवन भर मिडिल क्लास बनकर ही रह जाते हैं। वह जानबूझकर अपने खर्चों को इतना बढ़ा देते हैं, जितनी उनकी इनकम भी नहीं बढ़ती है।
How to Get Out of This Middle Class Trap
दोस्तों यह तो हमने बात की मिडल क्लास ट्रैप में फंसने के कुछ रीजंस की ,लेकिन अब बात आती है कि आखिर इस ट्रैप से कैसे बाहर निकलें। आइए इसे समझते हैं।
- दोस्तों सबसे पहले जहां से हमारी शुरुआत होती है वह है एजुकेशन। एजुकेशन एक ऐसा हथियार है जो आपको बहुत सारी पूर्वाग्रह और अफवाओं से फ्री करती है और आपको नॉलेज प्रदान करती है। जिसका यूज आपको इंप्लॉयमेंट के साथ साथ अपनी पर्सनैलिटी और ब्रेन के डेवलपमेंट के लिए करना चाहिए ताकि You will become best।
- दूसरा है लाइफ में आपको अपने प्रिफरेंस सेट कर लेना चाहिए। यह आपको पता होना बहुत ही जरूरी है कि क्या आपका प्राइमरी गोल है और क्या सेकंडरी। यानी कि आपको कब तक करियर पर फोकस करना है, कब जाकर शादी करनी है और कब बच्चे पैदा करने हैं। यानी की कंप्लीट फैमिली प्लानिंग।
- तीसरा, अगर आपका या आपकी पार्टनर इनकम जनरेट करने में सक्षम है तो let him /her work . जिससे आपकी फैमिली को चलाना और भी आसान हो जाए और सारी रिस्पॉन्सिबिलिटी आपके ही कंधों पर बोझ बनकर न रह जाए। इसके अलावा अपनी जॉब के साथ साथ इनकम के और सोर्सेज भी जनरेट करने की कोशिश करते रहें। क्योंकि जितने मल्टीपल आपके सोर्स होंगे इनकम के, उतने ही मल्टीपल्स में आपकी इनकम ग्रो करेगी।
- चौथा, कभी भी फिजूलखर्ची न करें। हमेशा इससे बचकर रहें। कोई भी एक्सपेंसिव आइटम और कमोडिटी तभी खरीदें, जब या तो आपको उसकी बहुत ज्यादा जरूरत हो या फिर आपकी income इतनी हो कि उस प्रोडक्ट को आप कम से कम दो बार खरीद सके।
- आखिरी और सबसे इम्पॉर्टेंट start savings। जितना जल्दी हो सके उतनी जल्दी सेविंग्स करना शुरू कर दीजिए और उन्हें एफडी वगैरह या बैंक में जमा न करकर किसी अच्छी जगह लॉन्ग टर्म के लिए इन्वेस्ट कर दीजिए। अगर आपको स्टॉक मार्केट की अच्छी नॉलेज है तो आप Lumpsum या बाकी तरीकों को अपना सकते हैं। और अगर थोड़ा टेंशन मुक्त रहना चाहते हैं तो फिर SIP आपके लिए सबसे बेस्ट है।
Final Words
तो दोस्तों ये थे वो तरीके जिन्हें अपनाकर आप अपनी लाइफ को बेहतर बना सकते हैं और निकल सकते हैं मिडल क्लास नामक इस ट्रैप से। तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में इतना ही। आशा करता हूं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद।